मैंने एक बार एक महिला को, उसके बारे में जिसकी वह सहायता कर रही थी यह कहते सुना, "वह मेरा शिष्य है।" मसीह यीशु के शिष्य होने के नाते हम सभी मसीही विश्वासियों को प्रभु यीशु का सुसमाचार सुनाने और प्रभु के शिष्य बनाने तथा उनके आत्मिक बढ़ोतरी का ध्यान रखने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। परन्तु प्रभु यीशु को केन्द्र बिन्दु बनाना सिखाने के स्थान पर अपने आप पर ध्यान केंद्रित करवा लेना सरल होता है।
परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि प्रेरित पौलुस इस बात से चिंतित था कि कुरिन्थुस के मसीही विश्वासियों का ध्यान प्रभु यीशु पर केन्द्रित होने से भटक रहा था। उन दिनों के दो सबसे अच्छे प्रचारक थे पौलुस तथा अपुल्लोस। उन्हें लेकर मसीही विश्वासियों की मण्डली में विभाजन आने लगा था; कुछ कहते थे कि हम पौलुस के अनुयायी हैं, तो कुछ अन्य अपने आप को अपुल्लोस का अनुयायी बताते थे। उन लोगों का ध्यान उध्दारकर्ता मसीह यीशु के स्थान पर मसीह के शिष्यों, मनुष्यों पर, अर्थात गलत स्थान पर केंद्रित होता जा रहा था। लेकिन पौलुस ने उन्हें अपनी गलती सुधारने के लिए कहा: "मेरा कहना यह है, कि तुम में से कोई तो अपने आप को पौलुस का, कोई अपुल्लोस का, कोई कैफा का, कोई मसीह का कहता है। क्या मसीह बँट गया? क्या पौलुस तुम्हारे लिये क्रूस पर चढ़ाया गया? या तुम्हें पौलुस के नाम पर बपतिस्मा मिला?" (1 कुरिन्थियों 1:12-13), उसने उन्हें समझाया कि वह तथा अपुल्लोस तो केवल मसीह के सह-कर्मी हैं। महत्व इसका नहीं है कि कौन लगाता है या कौन सींचता है, महत्व उसका है जो बढ़ोतरी देता है अर्थात परमेश्वर। मसीही विश्वासी तो परमेश्वर की खेती हैं, उसकी रचना हैं; वे न तो पौलुस के हैं और न ही अपुल्लोस के, वरन केवल प्रभु यीशु के हैं।
प्रभु यीशु ने हमें आज्ञा दी है कि हम जाकर लोगों को उसका सुसमाचार सुनाएं, उन्हें प्रभु यीशु के शिष्य बनाएं और उन्हें प्रभु की शिक्षाएं मानना सिखाएं (मत्ती 28:18-20)। इसी प्रकार इब्रानियों का लेखक भी हमें हमारे विश्वास के कर्ता और सिध्द करने वाले मसीह पर ध्यान केंद्रित रखने को कहता है: "विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिसने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्ज़ा की कुछ चिन्ता न कर के, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा" (इब्रानियों 12:2)।
जब हम मसीह यीशु को, जो सभी मनुष्यों से कहीं अधिक बढ़कर और महान है, अपने जीवन का तथा अपने प्रचार का केंद्र बिन्दु बनाएंगे, तो उसे आदर मिलेगा और हम आशीषित होंगे। - सी. पी. हिया
मसीह यीशु को जीवन में सर्वप्रथम स्थान दें।
यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जा कर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं। - मत्ती 28:18-20
बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 3:1-9
1 Corinthians 3:1 हे भाइयों, मैं तुम से इस रीति से बातें न कर सका, जैसे आत्मिक लोगों से; परन्तु जैसे शारीरिक लोगों से, और उन से जो मसीह में बालक हैं।
1 Corinthians 3:2 मैं ने तुम्हें दूध पिलाया, अन्न न खिलाया; क्योंकि तुम उसको न खा सकते थे; वरन अब तक भी नहीं खा सकते हो।
1 Corinthians 3:3 क्योंकि अब तक शारीरिक हो, इसलिये, कि जब तुम में डाह और झगड़ा है, तो क्या तुम शारीरिक नहीं? और मनुष्य की रीति पर नहीं चलते?
1 Corinthians 3:4 इसलिये कि जब एक कहता है, कि मैं पौलुस का हूं, और दूसरा कि मैं अपुल्लोस का हूं, तो क्या तुम मनुष्य नहीं?
1 Corinthians 3:5 अपुल्लोस क्या है? और पौलुस क्या है? केवल सेवक, जिन के द्वारा तुम ने विश्वास किया, जैसा हर एक को प्रभु ने दिया।
1 Corinthians 3:6 मैं ने लगाया, अपुल्लोस ने सींचा, परन्तु परमेश्वर ने बढ़ाया।
1 Corinthians 3:7 इसलिये न तो लगाने वाला कुछ है, और न सींचने वाला, परन्तु परमेश्वर जो बढ़ाने वाला है।
1 Corinthians 3:8 लगाने वाला और सींचने वाला दानों एक हैं; परन्तु हर एक व्यक्ति अपने ही परिश्रम के अनुसार अपनी ही मजदूरी पाएगा।
1 Corinthians 3:9 क्योंकि हम परमेश्वर के सहकर्मी हैं; तुम परमेश्वर की खेती और परमेश्वर की रचना हो।
एक साल में बाइबल:
- 1 इतिहास 10-12
- यूहन्ना 6:45-71