जब हम बार बार किसी पाप में पड़ने लगते हैं तो यह दिखाता है कि हम उसके गुलाम हो गए हैं। एडस (AIDS) रोग से पीड़ित और मृत्यु के निकट एक व्यक्ति ने स्वीकार किया कि उसे अपने समलैंगिक जीवन को लेकर पापबोध तो था और वह इससे निकलना भी चाहता था, लेकिन अपने इस अनैतिक जीवन शैली से वह अपने आप को निकाल नहीं सका। एक अन्य जवान व्यक्ति ने माना कि उसकी पत्नि उसे इसलिए छोड़कर चली गई क्योंकि वह अशलीलता (pornography) से अपने आप को दूर नहीं कर पा रहा था; वह इस बात से दुखी तो है, किंतु अब भी अशलीलता को छोड़ नहीं पा रहा है।
बाइबल का पात्र शिमशोन भी पाप का गुलाम हो गया था। वह दलीला से प्रेम लीला में रत रहा, यह जानते हुए भी कि वह उसके दुशमनों से मिली हुई है और अपने प्रेम जाल के द्वारा उसे दुशमनों के हाथों में सौंपना चाहती है। शिमशोन की यह मूर्खता उसकी वासना की गुलामी के कारण थी। जैसे उपरोक्त समलैंगिकता में तथा अशलीलता की लत में पड़े व्यक्ति थे, वैसे ही जानते समझते हुए भी, शिमशोन भी वह नहीं कर पाया जो उसे करना लेना चाहिए था।
एक बार हम गलत मार्ग पर चल निकलें तो वापस मुड़कर बाहर निकल पाना कठिन हो जाता है। प्रभु यीशु ने कहा, "मैं तुम से सच सच कहता हूं कि जो कोई पाप करता है, वह पाप का दास है" (यूहन्ना ८:३४)। पाप क्षणिक शारीरिक आनन्द द्वारा हमें फंसाता देता है और अनन्त खतरे में डाल देता है। पाप और उसकी गुलामी से बचने का एक ही मार्ग है - यीशु के आधीन हो जाओ, उसके दास हो जाओ।
यदि आप किसी बुरी आदत में फंसे हैं जो आपके जीवन को बरबाद कर रही है तो प्रभु यीशु के सम्मुख उस पाप को और उससे निकल पाने की अपनी अस्मर्थता को स्वीकार कर लें और सम्पूर्णतः उसके आधीन हो जाएं; वही आपको बचा सकता है - यह प्रभु का वायदा है। - हर्ब वैन्डर लुग्ट
मैं तुम से सच सच कहता हूं कि जो कोई पाप करता है, वह पाप का दास है। - यूहन्ना ८:३४
बाइबल पाठ: रोमियों ६:५-२३
Rom 6:6 क्योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्व में न रहें।
Rom 6:7 क्योंकि जो मर गया, वह पाप से छूटकर धर्मी ठहरा।
Rom 6:8 सो यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है, कि उसके साथ जीएंगे भी।
Rom 6:9 क्योंकि यह जानते हैं, कि मसीह मरे हुओं में से जी उठकर फिर मरने का नहीं, उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होने की।
Rom 6:10 क्योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिये एक ही बार मर गया; परन्तु जो जीवित है, तो परमेश्वर के लिये जीवित है।
Rom 6:11 ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो।
Rom 6:12 इसलिये पाप तुम्हारे मरणहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के अधीन रहो।
Rom 6:13 और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमश्ेवर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो।
Rom 6:14 और तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो।
Rom 6:15 तो क्या हुआ क्या हम इसलिये पाप करें, कि हम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हैं कदापि नहीं।
Rom 6:16 क्या तुम नहीं जानते, कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों की नाईं सौंप देते हो, उसी के दास हो: और जिस की मानते हो, चाहे पाप के, जिस का अन्त मृत्यु है, चाहे आज्ञा मानने के, जिस का अन्त धामिर्कता है
Rom 6:17 परन्तु परमश्ेवर का धन्यवाद हो, कि तुम जो पाप के दास थे तौभी मन से उस उपदेश के मानने वाले हो गए, जिस के सांचे में ढाले गए थे।
Rom 6:18 और पाप से छुड़ाए जाकर धर्म के दास हो गए।
Rom 6:19 मैं तुम्हारी शारीरिक र्दुबलता के कारण मनुष्यों की रीति पर कहता हूं, जैसे तुम ने अपने अंगो को कुकर्म के लिये अशुद्धता और कुकर्म के दास करके सौंपा था, वैसे ही अब अपने अंगों को पवित्रता के लिये धर्म के दास करके सौंप दो।
Rom 6:20 जब तुम पाप के दास थे, तो धर्म की ओर से स्वतंत्र थे।
Rom 6:21 सो जिन बातों से अब तुम लज्ज़ित होते हो, उन से उस समय तुम क्या फल पाते थे?
Rom 6:22 क्योंकि उन का अन्त तो मृत्यु है परन्तु अब पाप से स्वतंत्र होकर और परमेश्वर के दास बनकर तुम को फल मिला जिस से पवित्रता प्राप्त होती है, और उसका अन्त अनन्त जीवन है।
Rom 6:23 क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का बरदान हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनन्त जीवन है।
एक साल में बाइबल:
बाइबल का पात्र शिमशोन भी पाप का गुलाम हो गया था। वह दलीला से प्रेम लीला में रत रहा, यह जानते हुए भी कि वह उसके दुशमनों से मिली हुई है और अपने प्रेम जाल के द्वारा उसे दुशमनों के हाथों में सौंपना चाहती है। शिमशोन की यह मूर्खता उसकी वासना की गुलामी के कारण थी। जैसे उपरोक्त समलैंगिकता में तथा अशलीलता की लत में पड़े व्यक्ति थे, वैसे ही जानते समझते हुए भी, शिमशोन भी वह नहीं कर पाया जो उसे करना लेना चाहिए था।
एक बार हम गलत मार्ग पर चल निकलें तो वापस मुड़कर बाहर निकल पाना कठिन हो जाता है। प्रभु यीशु ने कहा, "मैं तुम से सच सच कहता हूं कि जो कोई पाप करता है, वह पाप का दास है" (यूहन्ना ८:३४)। पाप क्षणिक शारीरिक आनन्द द्वारा हमें फंसाता देता है और अनन्त खतरे में डाल देता है। पाप और उसकी गुलामी से बचने का एक ही मार्ग है - यीशु के आधीन हो जाओ, उसके दास हो जाओ।
यदि आप किसी बुरी आदत में फंसे हैं जो आपके जीवन को बरबाद कर रही है तो प्रभु यीशु के सम्मुख उस पाप को और उससे निकल पाने की अपनी अस्मर्थता को स्वीकार कर लें और सम्पूर्णतः उसके आधीन हो जाएं; वही आपको बचा सकता है - यह प्रभु का वायदा है। - हर्ब वैन्डर लुग्ट
पाप का आनन्द तो कुछ समय का होता है, किंतु उसके दुषपरिणाम सदाकाल के होते हैं।
मैं तुम से सच सच कहता हूं कि जो कोई पाप करता है, वह पाप का दास है। - यूहन्ना ८:३४
बाइबल पाठ: रोमियों ६:५-२३
Rom 6:6 क्योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्व में न रहें।
Rom 6:7 क्योंकि जो मर गया, वह पाप से छूटकर धर्मी ठहरा।
Rom 6:8 सो यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है, कि उसके साथ जीएंगे भी।
Rom 6:9 क्योंकि यह जानते हैं, कि मसीह मरे हुओं में से जी उठकर फिर मरने का नहीं, उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होने की।
Rom 6:10 क्योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिये एक ही बार मर गया; परन्तु जो जीवित है, तो परमेश्वर के लिये जीवित है।
Rom 6:11 ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो।
Rom 6:12 इसलिये पाप तुम्हारे मरणहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के अधीन रहो।
Rom 6:13 और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमश्ेवर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो।
Rom 6:14 और तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो।
Rom 6:15 तो क्या हुआ क्या हम इसलिये पाप करें, कि हम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हैं कदापि नहीं।
Rom 6:16 क्या तुम नहीं जानते, कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों की नाईं सौंप देते हो, उसी के दास हो: और जिस की मानते हो, चाहे पाप के, जिस का अन्त मृत्यु है, चाहे आज्ञा मानने के, जिस का अन्त धामिर्कता है
Rom 6:17 परन्तु परमश्ेवर का धन्यवाद हो, कि तुम जो पाप के दास थे तौभी मन से उस उपदेश के मानने वाले हो गए, जिस के सांचे में ढाले गए थे।
Rom 6:18 और पाप से छुड़ाए जाकर धर्म के दास हो गए।
Rom 6:19 मैं तुम्हारी शारीरिक र्दुबलता के कारण मनुष्यों की रीति पर कहता हूं, जैसे तुम ने अपने अंगो को कुकर्म के लिये अशुद्धता और कुकर्म के दास करके सौंपा था, वैसे ही अब अपने अंगों को पवित्रता के लिये धर्म के दास करके सौंप दो।
Rom 6:20 जब तुम पाप के दास थे, तो धर्म की ओर से स्वतंत्र थे।
Rom 6:21 सो जिन बातों से अब तुम लज्ज़ित होते हो, उन से उस समय तुम क्या फल पाते थे?
Rom 6:22 क्योंकि उन का अन्त तो मृत्यु है परन्तु अब पाप से स्वतंत्र होकर और परमेश्वर के दास बनकर तुम को फल मिला जिस से पवित्रता प्राप्त होती है, और उसका अन्त अनन्त जीवन है।
Rom 6:23 क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का बरदान हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनन्त जीवन है।
एक साल में बाइबल:
- न्यायियों १९-२१
- लूका ७:३१-५०