मुझे समाचार मिला कि मेरे एक मसीही विश्वासी मित्र का देहांत हो गया है; इस बात पर मेरे एक अन्य मसीही विश्वासी मित्र ने, जो उस स्वर्गवासी मित्र का भी मित्र था, मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल के इस पद: "यहोवा के भक्तों की मृत्यु, उसकी दृष्टि में अनमोल है" (भजन 116:15) की याद दिलाई। हमारे उस दिवंगत मित्र का मसीह यीशु में सजीव तथा जोशीला विश्वास उसके पार्थिव जीवन की विशिष्टता थी, और हम आश्वस्त थे कि अब वह स्वर्ग में परमेश्वर पिता के साथ है। ना केवल हम मित्रगण, वरन उसका परिवार भी उसके अनन्तकाल के स्थान को लेकर पूर्ण्त्या आश्वस्त था, लेकिन फिर भी मेरा ध्यान केवल उन के शोक पर ही गया।
लोगों के दुःख और शोक में उनके साथ सहानुभूति रखना, उन्हें सांत्वना देना सही और अच्छी बात है, लेकिन मेरे मित्र द्वारा स्मरण कराए गए बाइबल के उस पद ने मेरा ध्यान हमारे मित्र की मृत्यु के प्रति परमेश्वर के दृष्टिकोण की ओर खेंचा - वह परमेश्वर की दृष्टि में अनमोल थी। हम समझते हैं कि अनमोल का अर्थ है वह जिसकी कीमत का आंकलन ना हो सके, परन्तु इससे भी बढ़कर एक अर्थ यहाँ निहित है। परमेश्वर के किसी जन की मृत्यु में कुछ ऐसा है जो संसार में उसकी अनुपस्थिति के शोक से भी कहीं बढ़कर है।
परमेश्वर के वचन बाइबल के भिन्न अनुवाद, जो शब्दों के तात्पर्यों का खुलासा भी देते हैं, इस बात को भिन्न शब्दों में समझाने का प्रयत्न करते हैं: एंप्लीफ़ाईड बाइबल अनमोल का तात्पर्य समझाने के लिए उसे ’महत्वपूर्ण और हल्के में ना ली जा सकने वाली बात’ कहती है; और लिविंग बाइबल कहती है कि "परमेश्वर के प्रीय उसके लिए अति अनमोल हैं और वह उन्हें यूँ ही नहीं मर जाने देता"; मृत्यु परमेश्वर की दृष्टि में कोई हलकी बात नहीं है। लेकिन हम मसीही विश्वासियों के लिए परमेश्वर के अनुग्रह और सामर्थ का अचरज यह है कि पृथ्वी के जीवन का अन्त स्वर्ग के अनन्त आनन्द तथा लाभ का आरंभ भी होता है।
आज हम इन बातों के महत्व की समझ की केवल एक झलक मात्र ही देखने-समझने पाते हैं, लेकिन एक दिन परमेश्वर की ज्योति की परिपूर्णता में इन्हें भली भांति समझने पाएंगे। तब तक के लिए उसके संतों की मृत्यु के अनमोल होने का बाइबल में दिया गया परमेश्वर का दृष्टिकोण हमारी सांत्वना और आशा को बनाए रखने के लिए काफी है। - डेविड मैक्कैसलैंड
मृत्यु की खाई को पाटने के लिए मसीही विश्वास एक स्थिर सेतु प्रदान करता है।
धर्मी जन नाश होता है, और कोई इस बात की चिन्ता नहीं करता; भक्त मनुष्य उठा लिये जाते हैं, परन्तु कोई नहीं सोचता। धर्मी जन इसलिये उठा लिया गया कि आने वाली विपत्ति से बच जाए। - यशायाह 57:1
बाइबल पाठ: भजन 116
Psalms 116:1 मैं प्रेम रखता हूं, इसलिये कि यहोवा ने मेरे गिड़गिड़ाने को सुना है।
Psalms 116:2 उसने जो मेरी ओर कान लगाया है, इसलिये मैं जीवन भर उसको पुकारा करूंगा।
Psalms 116:3 मृत्यु की रस्सियां मेरे चारों ओर थीं; मैं अधोलोक की सकेती में पड़ा था; मुझे संकट और शोक भोगना पड़ा।
Psalms 116:4 तब मैं ने यहोवा से प्रार्थना की, कि हे यहोवा बिनती सुन कर मेरे प्राण को बचा ले!
Psalms 116:5 यहोवा अनुग्रहकारी और धर्मी है; और हमारा परमेश्वर दया करने वाला है।
Psalms 116:6 यहोवा भोलों की रक्षा करता है; जब मैं बलहीन हो गया था, उसने मेरा उद्धार किया।
Psalms 116:7 हे मेरे प्राण तू अपने विश्राम स्थान में लौट आ; क्योंकि यहोवा ने तेरा उपकार किया है।
Psalms 116:8 तू ने तो मेरे प्राण को मृत्यु से, मेरी आंख को आंसू बहाने से, और मेरे पांव को ठोकर खाने से बचाया है।
Psalms 116:9 मैं जीवित रहते हुए, अपने को यहोवा के साम्हने जान कर नित चलता रहूंगा।
Psalms 116:10 मैं ने जो ऐसा कहा है, इसे विश्वास की कसौटी पर कस कर कहा है, कि मैं तो बहुत ही दु:खित हुआ;
Psalms 116:11 मैं ने उतावली से कहा, कि सब मनुष्य झूठे हैं।
Psalms 116:12 यहोवा ने मेरे जितने उपकार किए हैं, उनका बदला मैं उसको क्या दूं?
Psalms 116:13 मैं उद्धार का कटोरा उठा कर, यहोवा से प्रार्थना करूंगा,
Psalms 116:14 मैं यहोवा के लिये अपनी मन्नतें सभों की दृष्टि में प्रगट रूप में उसकी सारी प्रजा के साम्हने पूरी करूंगा।
Psalms 116:15 यहोवा के भक्तों की मृत्यु, उसकी दृष्टि में अनमोल है।
Psalms 116:16 हे यहोवा, सुन, मैं तो तेरा दास हूं; मैं तेरा दास, और तेरी दासी का पुत्र हूं। तू ने मेरे बन्धन खोल दिए हैं।
Psalms 116:17 मैं तुझ को धन्यवाद बलि चढ़ाऊंगा, और यहोवा से प्रार्थना करूंगा।
Psalms 116:18 मैं यहोवा के लिये अपनी मन्नतें, प्रगट में उसकी सारी प्रजा के साम्हने
Psalms 116:19 यहोवा के भवन के आंगनों में, हे यरूशलेम, तेरे भीतर पूरी करूंगा। याह की स्तुति करो!
एक साल में बाइबल:
- निर्गमन 23-24
- मत्ती 20:1-16