जब
डॉक्टर ऋषि मनचंदा किसी मरीज़ से उसके रहने के स्थान के बारे में पूछते हैं, तो वे
उनके निवास स्थान के पते से भी कुछ अधिक को जानना चाहते हैं। उन्होंने अपने मरीजों
में एक नमूना देखा है। जो उनके पास सहायता के लिए आते हैं वे अकसर तनावपूर्ण
पर्यावरण में रहने वाले होते हैं। उस वातावरण के फफूँदी, कीड़े-मकौड़े, और विषैले
तत्व उन्हें बीमार बना रहे होते हैं। इसलिए डॉक्टर ऋषि मनचंदा उन लोगों के
प्रोत्साहन और कार्यवाही को सम्मिलित करते हैं जिन्हें वे अपस्ट्रीम डॉक्टर कहते
हैं। यह वे लोग होते हैं जो त्वरित चिकित्सीय सहायता के साथ-साथ मरीजों और
समुदायों को बेहतर स्वास्थ्य बनाए रखने के तरीकों और स्त्रोतों तक पहुंचाने का
प्रयास कर रहे हैं।
परमेश्वर
के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि जब प्रभु यीशु ने उन्हें चंगाई दी जो उनके पास आ
रहे थे (मत्ती 4:23-24), तो साथ ही उसने उनकी दृष्टि उस शारीरिक और भौतिक देखभाल
के आवश्यकता से ऊपर भी उठाई। अपने पहाड़ी उपदेश के द्वारा, उसने लोगों को चिकत्सीय
चमत्कार से भी बढ़कर पाने का मार्ग दिया (मत्ती 5:1-12)। इस खंड में प्रभु यीशु ने
सात बार मन और हृदय के उस रवैये के बारे में बात की जो आत्मिक स्वास्थ्य के द्वारा
एक नया दृष्टिकोण और सुखद कल्याण भावना लाता है (पद 3-9)। साथ ही प्रभु ने उन्हें
धन्य कहा जो निरंतर सताव सहते हुए भी प्रभु में अपना घर और सांत्वना पाते हैं (पद
10-12)।
प्रभु
यीशु के शब्द मुझे सोचने पर मजबूर करते हैं की मैं कहाँ रह रहा हूँ? क्या मैं अपनी
शारीरिक चंगाई और भलाई से भी बढ़कर अपनी आत्मिक भलाई के बारे में सोचता हूँ और उस
पाने का प्रयास करता हूँ? मैं अपने लिए कोई आश्चर्यकर्म तो चाहता हूँ किन्तु क्या
मैं उस दीन, टूटे, भूखे, कृपालु, और मेल करवाने वाले शांतीप्रीय हृदय की लालसा
रखता हूँ जिसे प्रभु यीशु ने धन्य कहा है? – मार्ट डीहॉन
जब प्रभु परमेश्वर हमारा गढ़ हो, तो वही
हमारी आशा भी होता है।
तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में: जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे, तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ
में बने न रहो तो नहीं फल सकते। - यूहन्ना 15:4
बाइबल पाठ: मत्ती 4:23-5:12
Matthew 4:23 और यीशु सारे गलील में फिरता
हुआ उन की सभाओं में उपदेश करता और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और लोगों की हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर करता रहा।
Matthew 4:24 और सारे सूरिया में उसका यश
फैल गया; और लोग सब बीमारों को, जो
नाना प्रकार की बीमारियों और दुखों में जकड़े हुए थे, और जिन
में दुष्टात्माएं थीं और मिर्गी वालों और झोले के मारे हुओं को उसके पास लाए और
उसने उन्हें चंगा किया।
Matthew 4:25 और गलील और दिकापुलिस और
यरूशलेम और यहूदिया से और यरदन के पार से भीड़ की भीड़ उसके पीछे हो ली।
Matthew 5:1 वह इस भीड़ को देखकर, पहाड़ पर चढ़ गया; और जब बैठ गया तो उसके चेले उसके
पास आए।
Matthew 5:2 और वह अपना मुंह खोल कर उन्हें
यह उपदेश देने लगा,
Matthew 5:3 धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं
का है।
Matthew 5:4 धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्योंकि वे शांति पाएंगे।
Matthew 5:5 धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।
Matthew 5:6 धन्य हैं वे जो धर्म के भूखे
और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किये जाएंगे।
Matthew 5:7 धन्य हैं वे, जो दयावन्त हैं, क्योंकि उन पर दया की जाएगी।
Matthew 5:8 धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को
देखेंगे।
Matthew 5:9 धन्य हैं वे, जो मेल करवाने वाले हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के
पुत्र कहलाएंगे।
Matthew 5:10 धन्य हैं वे, जो धर्म के कारण सताए जाते हैं, क्योंकि स्वर्ग का
राज्य उन्हीं का है।
Matthew 5:11 धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें, और सताएं
और झूठ बोल बोलकर तुम्हरो विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें।
Matthew 5:12 आनन्दित और मगन होना क्योंकि
तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा फल है इसलिये कि उन्होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो
तुम से पहिले थे इसी रीति से सताया था।
एक साल में बाइबल:
- लैव्यवस्था 26-27
- मरकुस 2