बॉस्टन के भीड़-भाड़ वाले इलाके के मार्ग की एक सुरंग में मेरी कार खराब होकर रुक गई। मेरे अगल बगल से बच कर निकलते हुए अन्य कार चालक उन्हें हो रही असुविधा के कारण अपने क्रोध और कुण्ठा को व्यक्त करते हुए निकलने लगे। कुछ समय पश्चात कार ठीक करने वालों ने अपनी गाड़ी भेजकर मेरी गाड़ी खींचकर मरम्मत के लिए मंगा ली, और कार को ठीक कर के मुझे वापस सौंप दिया। कुछ दिन के बाद कार फिर खराब हो गई और मुझे अन्तर्राज्य राजमार्ग पर रात के दो बजे फिर फंसा दिया। मैंने फिर से गाड़ी मंगाई, जो आई और कार को खींचकर मरम्मत के लिए ले गई। लेकिन अब की बार कुछ और बात साथ हो गई - मेरे दुर्भाग्यवश मरम्मत की दुकान द्वारा प्रयोग करे जाने वाला कार खड़ी करने का स्थान, स्थानीय बेसबॉल टीम के खेलने के समय सार्वजनिक कार खड़े करने के स्थान के रूप में भी प्रयोग होता था। जिस दिन मुझे कार वापस मिलनी थी वह उस टीम के खेलने का दिन था; इसलिए जब मैं संध्या को अपना कार्य समाप्त करके अपनी कार को लेने के लिए पहुँचा तो मुझे मेरी कार 30 अन्य कारों से घिरी खड़ी मिली, जहाँ से बाहर निकल पाना संभव नहीं था!
यह देखकर मैंने क्या किया? बस यूँ समझ लीजिए कि मेरी प्रतिक्रिया मसीही चरित्र के अनुसार नहीं थी। मैं भी वापस मरम्मत की दुकान पर पहुँच कर अन्य लोगों के समान ही चिल्लाने और भला-बुरा कहने लगा। यह करते हुए थोड़ी देर में मुझे एहसास हुआ कि मेरे ऐसा करने से वहाँ उपस्थित मरम्मत करने वाले कर्मचारियों का रवैया, जो स्वयं भी अब दिन की समाप्ति पर अपने अपने घरों को लौटकर जाने की तैयारी में थे, मेरे प्रति और उदासीन तथा सहायता ना करने वाला होता जा रहा था। मैं स्वयं ही अपनी सहायता करने के उद्देश्य से खिसिया हुआ, पैर पटकता हुआ दुकान के बन्द दरवाज़े पर पहुँचा और उन्हें हिला हिला कर खोलने का असफल प्रयास करने लगा। असफलता से मेरा क्रोध और भी बढ़ गया था, और मेरे क्रोध, खिसियाहट और असफलता को देखकर वे कर्मचारी हंसने लगे, मेरा ठट्टा करने लगे।
कुण्ठित और क्रोधित मैं वापस मुड़कर बाहर की ओर चला ही था कि मुझे यह एहसास हुआ कि मैंने मसीही चरित्र से कितना विपरीत व्यवहार किया है। अपने इस व्यवहार से शर्मिंदा होकर मैं लौट कर उन कर्मचारियों के पास आया और उनसे बोला, "मैं शर्मिंदा हूँ, कृप्या मुझे क्षमा कर दीजिए"। मेरी यह बात सुनकर वे अवाक रह गए; उन्होंने वे बन्द दरवाज़े मेरे लिए खोल दिए और मुझे अन्दर आ लेने दिया। मैंने नम्र होकर उनसे कहा कि एक मसीही विश्वासी होने के नाते मुझे ऐसा अभद्र व्यवहार नहीं करना चाहिए था; यह उनके लिए और भी अचरज की बात थी। कुछ ही मिनिटों में वे सब मिलकर मेरे लिए मेरी कार के चारों तरफ खड़ी अन्य कारों को हटाने लगे, और कुछ ही समय में मुझे अपनी कार निकाल कर ले जाने का रास्ता मिल गया।
मैंने एक महत्वपूर्ण सबक सीख लिया था, चिड़चिड़े और क्रोधित व्यवहार की अपेक्षा नम्र व्यवहार अधिक कारगर होता है और परिस्थितियों को अनुकूल बनाने में सहायक होता है। - रैंडी किल्गोर
नम्र व्यवहार कठोर हृदय को तोड़ने का माध्यम बन जाता है।
विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्ता करे। जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो। - फिलिप्पियों 2:3-5
बाइबल पाठ: नीतिवचन 15:1-5
Proverbs 15:1 कोमल उत्तर सुनने से जलजलाहट ठण्डी होती है, परन्तु कटुवचन से क्रोध धधक उठता है।
Proverbs 15:2 बुद्धिमान ज्ञान का ठीक बखान करते हैं, परन्तु मूर्खों के मुंह से मूढ़ता उबल आती है।
Proverbs 15:3 यहोवा की आंखें सब स्थानों में लगी रहती हैं, वह बुरे भले दोनों को देखती रहती हैं।
Proverbs 15:4 शान्ति देने वाली बात जीवन-वृक्ष है, परन्तु उलट फेर की बात से आत्मा दु:खित होती है।
Proverbs 15:5 मूढ़ अपने पिता की शिक्षा का तिरस्कार करता है, परन्तु जो डांट को मानता, वह चतुर हो जाता है।
एक साल में बाइबल:
- 2 राजा 15-17