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गुरुवार, 26 जून 2014

प्रार्थना


   एक इतवार प्रातः की बात है, सुप्रसिद्ध मसीही प्रचारक डी. एल. मूडी कुछ बच्चों को सन्डे स्कूल ले जाने के लिए एक घर में गए। घर के अन्दर तीन व्यक्तियों ने उन्हें घेर कर एक कोने में जा खड़ा किया और उन्हें बुरी तरह से धमकाने लगे। मूडी ने उन तीनों से आग्रह किया, "क्या आप मुझे प्रार्थना करने का समय भी नहीं देंगे?" यह सुनकर उन्होंने मूडी को प्रार्थना करने का अवसर दे दिया, और मूडी उन तीनों के हित के लिए परमेश्वर से प्रार्थना करने लगे। उनके हित के लिए मूडी की प्रार्थना इतनी खराई और ईमानदारी से थी कि वे तीनों उसे सुनकर मूडी को छोड़कर वहाँ से चले गए।

   यदि मैं वहाँ मूडी के स्थान पर होता तो ना जाने क्या करती; शायद अपनी सहायता के लिए चिल्लाती, या बचकर भागने के लिए कोई पिछला दरवाज़ा अथवा खिड़की ढूँढ़ने लगती। मुझे नहीं लगता कि मैं हमारे प्रभु यीशु द्वारा अपने अनुयायियों को दिए गए निर्देश, "जो तुम्हें श्राप दें, उन को आशीष दो: जो तुम्हारा अपमान करें, उन के लिये प्रार्थना करो" (लूका 6:28) का पालन करती।

   ऐसे लोगों के हित के लिए प्रार्थना करना जो हम मसीही विश्वासियों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं, उन्हें अपमानित करते हैं, एक तरीका है उन लोगों के साथ भलाई करने का, जैसा प्रभु यीशु ने लूका 6:27 में कहा है। प्रभु यीशु ने अपने चेलों को समझाया कि उन लोगों के साथ भलाई करने से जो हमारे साथ भलाई करते हैं मसीही विश्वासियों को कोई श्रेय नहीं मिलता, क्योंकि पापी भी तो ऐसा ही करते हैं (लूका 6:33)। लेकिन इसके विपरीत उनके लिए प्रार्थना करने, उनकी भलाई की कामना करना (रोमियों 12:14) हमें संसार से भिन्न बनाता है और परमेश्वर के व्यवहार के अनुकूल करता है क्योंकि परमेश्वर भी तो पापियों पर दया करता है, उनके लिए भलाई करता है (लूका 6:35)।

   आज यदि आप किसी विरोधी के द्वारा घेर कर एक कोने में फंसाया हुआ अनुभव करें, तो आवश्यकतानुसार अपनी सुरक्षा के मार्ग के बारे तो सोचें लेकिन साथ ही प्रभु यीशु की शिक्षानुसार उसके लिए प्रार्थना अवश्य करें (लूका 23:34) क्योंकि प्रार्थना ही आपका सर्वोत्तम बचाव है। - जैनिफर बेन्सन शुल्ट्ज़


भलाई के बदले भलाई करना मानवीय है, बुराई के बदले भलाई करना ईश्वरीय है।

अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो। - रोमियों 12:14

बाइबल पाठ: लूका 6:27-36
Luke 6:27 परन्तु मैं तुम सुनने वालों से कहता हूं, कि अपने शत्रुओं से प्रेम रखो; जो तुम से बैर करें, उन का भला करो। 
Luke 6:28 जो तुम्हें श्राप दें, उन को आशीष दो: जो तुम्हारा अपमान करें, उन के लिये प्रार्थना करो। 
Luke 6:29 जो तेरे एक गाल पर थप्पड़ मारे उस की ओर दूसरा भी फेर दे; और जो तेरी दोहर छीन ले, उसको कुरता लेने से भी न रोक। 
Luke 6:30 जो कोई तुझ से मांगे, उसे दे; और जो तेरी वस्तु छीन ले, उस से न मांग। 
Luke 6:31 और जैसा तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो। 
Luke 6:32 यदि तुम अपने प्रेम रखने वालों के साथ प्रेम रखो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी अपने प्रेम रखने वालों के साथ प्रेम रखते हैं। 
Luke 6:33 और यदि तुम अपने भलाई करने वालों ही के साथ भलाई करते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी ऐसा ही करते हैं। 
Luke 6:34 और यदि तुम उसे उधार दो, जिन से फिर पाने की आशा रखते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी पापियों को उधार देते हैं, कि उतना ही फिर पाएं। 
Luke 6:35 वरन अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, और भलाई करो: और फिर पाने की आस न रखकर उधार दो; और तुम्हारे लिये बड़ा फल होगा; और तुम परमप्रधान के सन्तान ठहरोगे, क्योंकि वह उन पर जो धन्यवाद नहीं करते और बुरों पर भी कृपालु है। 
Luke 6:36 जैसा तुम्हारा पिता दयावन्‍त है, वैसे ही तुम भी दयावन्‍त बनो।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 97-99