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गुरुवार, 10 अक्टूबर 2013

स्मरण

   मेरे एक पुराने मित्र ने मुझे लिखे एक पत्र में अपने 90वें जन्म दिन के आस-पास के दिनों के बारे में लिखा, "यह समय था बीते समय के बारे में चिन्तन करने का, बीते हुए जीवन का पुनःअवलोकन करने का, और कई घंटे ’स्मरण कर सकने के अनुग्रह’ में बिताने का। कितना सरल होता है भूल जाना कि प्रभु कैसे हमें अपने साथ सुरक्षित लिए चलता रहा है! ’हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना’ (भजन 103:2)"। यह मनोभावना उस व्यक्ति की विशेषता रही है, जिसे मैं पिछले 50 से भी अधिक वर्षों से जानता हूँ और जिसकी सराहना करता रहा हूँ। बजाए इसके कि वे अपने जीवन की निराशाएं स्मरण करते, उनका पत्र परमेश्वर के लिए धन्यवाद और स्तुति से भरा हुआ था।

   पहले उन्होंने परमेश्वर से मिली पार्थिव आशीषों को स्मरण किया - अच्छा स्वास्थ्य, अच्छा परिवार, अच्छा जीवन साथी और बच्चे, कार्य में मिले आनन्द, सफलता और उन्नति, उनको उठाए रखने और संभालने वाले मित्रगण, परमेश्वर की सेवा के लिए मिले अवसर, आदि। उन्होंने इन सब बातों को परमेश्वर से मिले उपहार माना, जो उन्हें, उनमें से एक के भी योग्य ना होने पर भी, अनुग्रह पूर्वक दे दिए गए और उन्होंने कृतज्ञता से स्वीकार किए, उपयोग किए। इसके बाद उन्होंने परमेश्वर से मिली आत्मिक आशीषों को स्मरण किया - मसीही विश्वासी अभिभावकों के प्रभाव और परमेश्वर की दया तथा अनुग्रह का अनुभव जब किशोरावस्था में उन्होंने प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता ग्रहण किया। उन्होंने चर्च मण्डलियों, स्कूलों और मसीही विश्वासी लोगों से मिले प्रोत्साहन और उनकी प्रार्थनाओं के स्मरण के साथ अपने पत्र का अन्त किया।

   मेरे उस मित्र का यह पत्र एक नमूना है, जिसका अनुसरण हमें करते रहना चाहिए और परमेश्वर की आशीषों, देख-भाल तथा दया के आनन्द को सदा अपने सम्मुख रखना चाहिए। बीती बातों में हमारे प्रति परमेश्वर की लगातार बनी विश्वासयोग्यता, आते समय में सदा उपलब्ध रहने वाली उसकी विश्वासयोग्यता के प्रति हमें आश्वस्त करती रहेगी, हमारे विश्वास को दृढ़ बनाए रखेगी और हमें उसके मार्गों से भटकने नहीं देगी: "हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह; और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे!" (भजन 103:1)। - डेविड मैक्कैसलैंड


परमेश्वर के उदार उपहारों के लिए उसके धन्यवादी रहें।

हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना। - भजन 103:2

बाइबल पाठ: भजन 103:1-14
Psalms 103:1 हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह; और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे! 
Psalms 103:2 हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना। 
Psalms 103:3 वही तो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता, और तेरे सब रोगों को चंगा करता है, 
Psalms 103:4 वही तो तेरे प्राण को नाश होने से बचा लेता है, और तेरे सिर पर करूणा और दया का मुकुट बान्धता है, 
Psalms 103:5 वही तो तेरी लालसा को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है, जिस से तेरी जवानी उकाब की नाईं नई हो जाती है।
Psalms 103:6 यहोवा सब पिसे हुओं के लिये धर्म और न्याय के काम करता है। 
Psalms 103:7 उसने मूसा को अपनी गति, और इस्राएलियों पर अपने काम प्रगट किए। 
Psalms 103:8 यहोवा दयालु और अनुग्रहकरी, विलम्ब से कोप करने वाला और अति करूणामय है। 
Psalms 103:9 वह सर्वदा वादविवाद करता न रहेगा, न उसका क्रोध सदा के लिये भड़का रहेगा। 
Psalms 103:10 उसने हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया, और न हमारे अधर्म के कामों के अनुसार हम को बदला दिया है। 
Psalms 103:11 जैसे आकाश पृथ्वी के ऊपर ऊंचा है, वैसे ही उसकी करूणा उसके डरवैयों के ऊपर प्रबल है। 
Psalms 103:12 उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है, उसने हमारे अपराधों को हम से उतनी ही दूर कर दिया है। 
Psalms 103:13 जैसे पिता अपने बालकों पर दया करता है, वैसे ही यहोवा अपने डरवैयों पर दया करता है। 
Psalms 103:14 क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही है।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 34-36 
  • कुलुस्सियों 2