इसके बाद के शेष ५५ वर्ष के जीवन में हिलेरी ने क्या किया? क्या उसने जीवन के कार्यों से अवकाश लेकर अपनी उपलब्धी की ख्याति पर ही बैठे रहना अपने लिए उचित समझा? जी नहीं, कदापि नहीं।
चाहे अब हिलेरी के लिए चढ़ने को कोई और पर्वत शिखर ना बचा हो, लेकिन इस बात ने उसे शिथिल नहीं कर दिया। वह अपने जीवन भर अन्य कई महत्वपुर्ण कार्य करते रहे, जिन में से एक था माउन्ट एवरेस्ट के निकट रहने वाले नेपाली शेर्पाओं के जीवन स्तर को सुधारना और उनकी उन्न्ति के लिए कार्य करना - २००८ में अपनी मृत्यु तक वे इस कार्य में लगे रहे।
क्या आप जान्ते हैं कि परमेश्वर ने अपने मन्दिर में सेवकाई करने वाले लेवियों के लिए अवकाश प्राप्त करने की आयु ५० वर्ष ठहराई थी (गिनती ८:२४-१५)। लेकिन मन्दिर की सेवकाई से अवकाश का अर्थ हर एक कार्य से अवकाश नहीं था। परमेश्वर ने साथ ही यह भी ठहराया कि "...वे अपने भाई बन्धुओं के साथ मिलापवाले तम्बू के पास रक्षा का काम किया करें..." (गिनती ८:२६)। यह हमें दिखाता है कि अपनी आयु भर दूसरों की सहायता करते रहना, कार्यों में हाथ बंटाना, हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा है।
बहुत से लोगों को लगता है कि अवकाशप्राप्त करने के बाद सार्थक रीति से समय बिताने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं है। लेकिन जैसा एडमण्ड हिलेरी और लेवियों ने किया, अवकाश प्राप्त करने के बाद हम अपने जीवन का पुनःआंकलन कर सकते हैं और किसी ना किसी रूप में दूसरों की सहायता में अपने समय को लगा सकते हैं। - सी. पी. हीया
जब हम अपने आप को दूसरों के लिए व्यय करने लगते हैं तो जीवन में एक नया अर्थ आ जाता है।
"...वे अपने भाई बन्धुओं के साथ मिलापवाले तम्बू के पास रक्षा का काम किया करें..." - गिनती ८:२६
बाइबल पाठ: गिनती ८:२३-२६
Num 8:23 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
Num 8:24 जो लेवियों को करना है वह यह है, कि पच्चीस वर्ष की अवस्था से लेकर उस से अधिक आयु में वे मिलापवाले तम्बू सम्बन्धी काम करने के लिये भीतर उपस्थित हुआ करें;
Num 8:25 और जब पचास वर्ष के हों तो फिर उस सेवा के लिये न आएं और न काम करें;
Num 8:26 परन्तु वे अपने भाई बन्धुओं के साथ मिलापवाले तम्बू के पास रक्षा का काम किया करें, और किसी प्रकार की सेवकाई न करें। लेवियों को जो जो काम सौंपे जाएं उनके विषय तू उन से ऐसा ही करना।
एक साल में बाइबल:
- भजन ३१-३२
- प्रेरितों २३:१६-३५