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मंगलवार, 21 जनवरी 2014

सच्चा मित्र


   अंग्रेज़ी भाषा के उन विशेषज्ञों ने, जो शब्दों के बदलते हुए अर्थों पर शोध करते रहते हैं, कुछ वर्ष पहले अंग्रेज़ी शब्द "unfriend" को New Oxford American Dictionary का उस वर्ष का खिताबी शब्द चुना। उन्होंने इस शब्द "unfriend" की परिभाषा एक क्रीया के रूप में इस प्रकार करी: "किसी को सोशल नेटवर्किंग साईट जैसे फेसबुक से अपने मित्रों की सूची से हटा देना।" ऐसी वेब साईट्स पर जो लोग मित्र सूची में सम्मिलित होते हैं वे अपने ’मित्रों’ की व्यक्तिगत जानकारियाँ देख सकते हैं, उनपर टिप्पणी कर सकते हैं। संभव है कि वे परस्पर एक दूसरे से कभी मिले भी ना हों और ना ही उन्होंने कभी कोई अभिवादन एक दूसरे से बाँटा हो, लेकिन उस साईट पर वे अपने मित्र की व्यक्तिगत जानकारी देख सकते हैं, उसे प्रयोग कर सकते हैं, और सरलता से एक दूसरे को मित्र सूची से हटा भी सकते हैं। आज के संसार में व्याप्त इंटरनैट पर परस्पर पहचान की अविश्वसनीयता और अस्थिरता ने लोगों को इस बात का एहसास दिलाया है कि वास्तविक और सच्चे मित्र रखना कितना अर्थपूर्ण है।

   जब प्रभु यीशु ने अपने चेलों को "मित्र" कहा (यूहन्ना 15:15) तो उसने एक अनूठे आपसी संबंध के संदर्भ में यह कहा, एक ऐसा संबंध जो एक दूसरे के प्रति विशवास और कटिबद्धता पर आधारित है। कुछ ही घंटों में प्रभु यीशु अपने प्राण बलिदान करने वाले थे (पद 13), और उन्होंने चेलों से कहा कि उनकी आज्ञाकारिता में बने रहकर वे अपनी मित्रता को प्रदर्शित करें (पद 15)। प्रभु यीशु द्वारा इस वार्तालाप में कहा गया एक कथन बहुत अद्भुत है: "अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं" (यूहन्ना 15:15)।

   जब मित्रता सच्ची होती है तो एक मित्र दूसरे को उसकी आवश्यकता के समयों में सहारा दे कर निराश या भयभीत होने से बचाए रखता है। यही प्रभु यीशु उनके साथ करता है जो उसके साथ संबंध जोड़कर उसके मित्र हो जाते हैं - वह उनका सदा काल तक पूर्णतया विश्वासयोग्य एवं सच्चा मित्र बना रहता है, उन्हें कभी नहीं छोड़ता, उनकी चिंता करता है, उनकी सहायता करता है। क्या आपने प्रभु यीशु को अपना मित्र बनाया है? - डेविड मैक्कैसलैंड


इस संसार का हमारा सबसे अच्छा मित्र, प्रभु यीशु की मित्रता की तुलना में एक छाया मात्र ही है।

अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं। - यूहन्ना 15:15

बाइबल पाठ: यूहन्ना 15:9-17
John 15:9 जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही मैं ने तुम से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो। 
John 15:10 यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं। 
John 15:11 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए। 
John 15:12 मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। 
John 15:13 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे। 
John 15:14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो। 
John 15:15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं। 
John 15:16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जा कर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे। 
John 15:17 इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 18-20