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शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

शान्ति देने वाले


   न्यू यॉर्क के एक मेडिकल कॉलेज ने, उन छात्रों के लिए जो प्रौढ़ लोगों में पाई जाने वाली बीमारियों के विशेषज्ञ बनने की शिक्षा ले रहे थे, एक विशेष कार्यक्रम चलाया। वे छात्र १० दिन तक बुज़ुर्गों के समान ही किसी नर्सिंग होम में दाखिल रहते हैं। इन १० दिनों में वे बुज़ुर्गों द्वारा अनुभव करी जाने वाली कठिनाईयों को स्वयं अनुभव करके उनके कष्टों को समझना सीखते हैं। वे छात्र पहिए वाली कुर्सी को सामन्य लोगों के लिए बने स्थानों में इधर से उधर ले जाने, पलंग से लिफ्ट की सहायता से बाहर निकलने, कुर्सी पर बैठे हुए स्नानगृह में स्नान करने, अन्दर बाहर होने और एक से दूसरे स्थान पर खिसकने आदि का व्यक्तिगत अनुभव लेते हैं। एक छात्र ने अपने इस प्रशिक्षण के समय पहचाना कि कैसे कमरों पर लगी नाम की पट्टियों को यदि थोड़ा नीचा लगाया जाए तो बुज़ुर्गों के लिए उन्हें पढ़ना सरल हो जाएगा, या यदि टी.वी. का रिमोट यदि किसी एक निर्धारित स्थान पर जहां उसे सरलता से देखा और उठाया जा सके रखा जाए तो बुज़र्गों के लिए उसका उपयोग करना कितना सहज हो जाएगा।

   इन प्रतीत होने में छोटी किंतु कुछ लोगों के लिए बड़ी और महत्वपूर्ण बातों की समझ उन छात्रों को अपने व्यक्तिगत अनुभव द्वारा ही संभव होने पाई। संभवतः वे छात्र बुज़ुर्गों की समस्याओं की पूरी समझ ना भी लेने पाएं, परन्तु जो वे अनुभव करते और सीखते हैं, उसके द्वारा अपनी शिक्षा कार्यक्रम के पूरा करने के बाद उन्हें बुज़ुर्गों की सेवा करने में सहायता मिलेगी, वे उन प्रौढ़ लोगों की मजबूरियों और समस्याओं की बेहतर समझ रख सकेंगे।

   इसी प्रकार, जब हम कठिनाइयों और समस्याओं मे पड़ते हैं और परमेश्वर उनमें हमारी सहायता करके हमें उन से निकालता है तो वह यह भी चाहता है कि हम दूसरों की कठिनाईयों और समस्याओं की समझ रखें और उनकी सहायता करने वाले बने। परमेश्वर ने अपने वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस द्वारा लिखवाया: "हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्‍ति का परमेश्वर है। वह हमारे सब क्‍लेषों में शान्‍ति देता है; ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्‍हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेष में हों" (२ कुरिन्थियों १:३-४)।

   अपनी समस्याओं और कठिनाईयों को अपनी उन्नति की सीढ़ीयाँ बनाएं; उन से प्राप्त होने वाली शिक्षाओं को दूसरों को उनके क्लेषों में शान्ति और सांत्वना देने के लिए प्रयोग करें। स्मरण रखें, लोगों के जीवनों में छोटी छोटी बातों का भी बड़ा महत्व होता है। - ऐनी सेटास


परमेश्वर हमें आरामतलब होने के लिए शान्ति नहीं देता, वरन इसलिए कि हम दूसरों को शान्ति देने वाले हों।

हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्‍ति का परमेश्वर है। वह हमारे सब क्‍लेषों में शान्‍ति देता है; ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्‍हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेष में हों। - २ कुरिन्थियों १:३-४

बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों १:३-७
2Co 1:1  पौलुस की ओर से जो परमेश्वर की इच्‍छा से मसीह यीशु का प्रेरित है, और भाई तीमुथियुस की ओर से परमेश्वर की उस कलीसिया के नाम जो कुरिन्थुस में है; और सारे अखया के सब पवित्र लोगों के नाम।
2Co 1:2  हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से अनुग्रह और शान्‍ति मिलती रहे।
2Co 1:3  हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्‍ति का परमेश्वर है। 
2Co 1:4  वह हमारे सब क्‍लेषों में शान्‍ति देता है, ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्‍हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेष में हों। 
2Co 1:5  क्‍योंकि जैसे मसीह के दुख हम को अधिक होते हैं, वैसे ही हमारी शान्‍ति भी मसीह के द्वारा अधिक होती है। 
2Co 1:6  यदि हम क्‍लेष पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्‍ति और उद्धार के लिये है और यदि शान्‍ति पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्‍ति के लिये है; जिस के प्रभाव से तुम धीरज के साथ उन क्‍लेषों को सह लेते हो, जिन्‍हें हम भी सहते हैं। 
2Co 1:7  और हमारी आशा तुम्हारे विषय में दृढ़ है; क्‍योंकि हम जानते हैं, कि तुम जैसे दुखों के वैसे ही शान्‍ति के भी सहभागी हो।

एक साल में बाइबल: 
  • दानिय्येल ५-७ 
  • २ यूहन्ना