एक मित्र ने, जिसके जीवन में एकाकीपन के साथ संघर्ष चल रहा था, अपने फेसबुक पृष्ठ पर लिखा, "ऐसा नहीं है कि क्योंकि मेरे कोई मित्रगण नहीं हैं इसलिए मैं एकाकी अनुभव करती हूँ। मेरे बहुत से मित्र हैं। मैं जानती हूँ कि मेरे बहुत से साथी हैं जो मुझे थामेंगे, मुझे आश्वस्त करेंगे, मेरे साथ बातचीत करेंगे, मेरे बारे में चिंता करेंगे और मेरी देखभाल करेंगे। परन्तु वे हमेशा मेरे साथ बने नहीं रह सकते हैं।"
प्रभु यीशु इस प्रकार के एकाकीपन को समझते हैं। मेरा विचार है कि इस पृथ्वी पर अपनी सेवकाई के दिनों में प्रभु ने यह एकाकीपन कोढ़ियों की आँखों और अन्धों की आवाज़ में देखा था। लेकिन इस भी बढ़कर उन्होंने स्वयं इसे अनुभव किया जब उनके निकट साथी उन्हें छोड़कर भाग गए (मरकुस 14:50)।
परन्तु जैसा उन्होंने अपने साथियों द्वारा छोड़े जाने की भविष्यवाणी की थी, वैसे ही प्रभु ने परमेश्वर पिता की साथ बनी रहने वाली उपस्थिति के आश्वासन के बारे में भी कहा था। प्रभु ने अपने शिष्यों से कहा: "देखो, वह घड़ी आती है वरन आ पहुंची कि तुम सब तित्तर बित्तर हो कर अपना अपना मार्ग लोगे, और मुझे अकेला छोड़ दोगे, तौभी मैं अकेला नहीं क्योंकि पिता मेरे साथ है" (यूहन्ना 16:32)। यह कहने के कुछ समय के पश्चात उन्होंने हमारे लिए क्रूस उठा लिया और उस पर हमारे पापों को अपने ऊपर लिए वे बलिदान हो गए। अपने इस बलिदान के द्वारा उन्होंने हमारे लिए संभव कर दिया कि हमारा मेल-मिलाप परमेश्वर पिता के साथ पुनः स्थापित हो सके, हम परमेश्वर के परिवार के सदस्य बन सकें।
मनुष्य होने के नाते हमें एकाकीपन के समयों से होकर निकलना पड़ेगा; परन्तु प्रभु यीशु हमें यह समझने में सहायता करते हैं कि उस एकाकीपन में भी पिता परमेश्वर की उपस्थिति सदा हमारे साथ बनी रहेगी। परमेश्वर सर्वव्यापी और शाश्वत है; केवल वह ही है जो सदा हमारे साथ बना रह सकता है। इसलिए जो भी स्वेच्छा से प्रभु यीशु पर लाए गए विश्वास और पापों के लिए पश्चाताप के द्वारा परमेश्वर के परिवार का अंग बन गया है, वह कभी भी एकाकी नहीं होगा। - पो फैंग चिया
यदि आप प्रभु यीशु के हैं तो आप एकाकी कभी नहीं हो सकते हैं।
तुम्हारा स्वभाव लोभरिहत हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। - इब्रानियों 13:5
बाइबल पाठ: मरकुस 14:32-50
Mark 14:32 फिर वे गतसमने नाम एक जगह में आए, और उसने अपने चेलों से कहा, यहां बैठे रहो, जब तक मैं प्रार्थना करूं।
Mark 14:33 और वह पतरस और याकूब और यूहन्ना को अपने साथ ले गया: और बहुत ही अधीर, और व्याकुल होने लगा।
Mark 14:34 और उन से कहा; मेरा मन बहुत उदास है, यहां तक कि मैं मरने पर हूं: तुम यहां ठहरो, और जागते रहो।
Mark 14:35 और वह थोड़ा आगे बढ़ा, और भूमि पर गिरकर प्रार्थना करने लगा, कि यदि हो सके तो यह घड़ी मुझ पर से टल जाए।
Mark 14:36 और कहा, हे अब्बा, हे पिता, तुझ से सब कुछ हो सकता है; इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले: तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, पर जो तू चाहता है वही हो।
Mark 14:37 फिर वह आया, और उन्हें सोते पाकर पतरस से कहा; हे शमौन तू सो रहा है? क्या तू एक घड़ी भी न जाग सका?
Mark 14:38 जागते और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो: आत्मा तो तैयार है, पर शरीर दुर्बल है।
Mark 14:39 और वह फिर चला गया, और वही बात कहकर प्रार्थना की।
Mark 14:40 और फिर आकर उन्हें सोते पाया, क्योंकि उन की आंखे नींद से भरी थीं; और नहीं जानते थे कि उसे क्या उत्तर दें।
Mark 14:41 फिर तीसरी बार आकर उन से कहा; अब सोते रहो और विश्राम करो, बस, घड़ी आ पहुंची; देखो मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है।
Mark 14:42 उठो, चलें: देखो, मेरा पकड़वाने वाला निकट आ पहुंचा है।
Mark 14:43 वह यह कह ही रहा था, कि यहूदा जो बारहों में से था, अपने साथ महायाजकों और शास्त्रियों और पुरनियों की ओर से एक बड़ी भीड़ तलवारें और लाठियां लिये हुए तुरन्त आ पहुंची।
Mark 14:44 और उसके पकड़ने वाले ने उन्हें यह पता दिया था, कि जिस को मैं चूमूं वही है, उसे पकड़ कर यतन से ले जाना।
Mark 14:45 और वह आया, और तुरन्त उसके पास जा कर कहा; हे रब्बी और उसको बहुत चूमा।
Mark 14:46 तब उन्होंने उस पर हाथ डालकर उसे पकड़ लिया।
Mark 14:47 उन में से जो पास खड़े थे, एक ने तलवार खींच कर महायाजक के दास पर चलाई, और उसका कान उड़ा दिया।
Mark 14:48 यीशु ने उन से कहा; क्या तुम डाकू जानकर मेरे पकड़ने के लिये तलवारें और लाठियां ले कर निकले हो?
Mark 14:49 मैं तो हर दिन मन्दिर में तुम्हारे साथ रहकर उपदेश दिया करता था, और तब तुम ने मुझे न पकड़ा: परन्तु यह इसलिये हुआ है कि पवित्र शास्त्र की बातें पूरी हों।
Mark 14:50 इस पर सब चेले उसे छोड़कर भाग गए।
एक साल में बाइबल:
- 2 इतिहास 21-22
- यूहन्ना 14