मुझे
जेन योलेन द्वारा लिखित निबंध “Working Up to Anon” (Anonymus - अज्ञात) बारंबार पढ़ना
बहुत अच्छा लगता है, और मैं इसे कई बार पढ़ चुका हूँ। मैंने इस निबंध की एक प्रति
कई वर्ष पहल ‘द राईटर’ पत्रिका से ली थी। जेन ने लिखा है कि सबसे अच्छे लेखक वे
होते हैं जो वास्तव में, अपने दिल की गहराईयों में, अपने नाम के बजाए ‘अज्ञात’ होकर
लिखना चाहते हैं। उनके लिए महत्व कहानी का है, न कि कहानी को बताने वाले का।
हम
मसीही विश्वासी भी प्रभु यीशु के विषय, जिन्होंने हमारे उद्धार के लिए अपने प्राण
बलिदान कर दिए, बताते हैं। उनके अन्य विश्वासियों के साथ मिलकर हम उनके लिए जीवन
जीते हैं तथा औरों के साथ उनके प्रेम को बाँटते हैं।
परमेश्वर
के वचन बाइबल में रोमियों 12:3-21 में नम्रता और प्रेम के उस आचरण का वर्णन किया
गया है जिसे मसीही अनुयायी होने के नाते हमें औरों के साथ अपने संबंधों में दिखाना
चाहिए – “क्योंकि मैं उस अनुग्रह के कारण जो मुझ को मिला है, तुम में से हर एक से कहता हूं, कि जैसा समझना चाहिए,
उस से बढ़कर कोई भी अपने आप को न समझे पर जैसा परमेश्वर ने हर एक को
परिमाण के अनुसार बांट दिया है, वैसा ही सुबुद्धि के साथ
अपने को समझे। भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्पर
आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो” (पद 3, 10)।
अपनी
उपलब्धियों में किया जाने वाला हमारा गर्व औरों के गुणों के प्रति हमें अन्धा कर
सकता है। हमारा अभिमान हमारे भविष्य में ज़हर घोल सकता है।
यूहन्ना
बपतिस्मा देने वाले ने, जिसका उद्देश्य था प्रभु यीशु के लिए मार्ग तैयार करना था,
कहा – “अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूं” (यूहन्ना 3:30)।
यह
हम सभी के अनुसरण करने के लिए अच्छा सिद्धान्त है। - अज्ञात
परमेश्वर के समक्ष सदा नम्र रहो और उसे
अपना सर्वे-सर्वा होने दो।
इसलिये परमेश्वर के बलवन्त हाथ के नीचे
दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। - 1 पतरस
5:6
बाइबल पाठ: रोमियों 12:1-13
Romans 12:1 इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान कर के चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा
है।
Romans 12:2 और इस संसार के सदृश न बनो;
परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी
बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो।
Romans 12:3 क्योंकि मैं उस अनुग्रह के
कारण जो मुझ को मिला है, तुम में से हर एक से कहता हूं,
कि जैसा समझना चाहिए, उस से बढ़कर कोई भी अपने
आप को न समझे पर जैसा परमेश्वर ने हर एक को परिमाण के अनुसार बांट दिया है,
वैसा ही सुबुद्धि के साथ अपने को समझे।
Romans 12:4 क्योंकि जैसे हमारी एक देह में
बहुत से अंग हैं, और सब अंगों का एक ही सा काम नहीं।
Romans 12:5 वैसा ही हम जो बहुत हैं,
मसीह में एक देह हो कर आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
Romans 12:6 और जब कि उस अनुग्रह के अनुसार
जो हमें दिया गया है, हमें भिन्न भिन्न वरदान मिले हैं,
तो जिस को भविष्यद्वाणी का दान मिला हो, वह
विश्वास के परिमाण के अनुसार भविष्यद्वाणी करे।
Romans 12:7 यदि सेवा करने का दान मिला हो,
तो सेवा में लगा रहे, यदि कोई सिखाने वाला हो,
तो सिखाने में लगा रहे।
Romans 12:8 जो उपदेशक हो, वह उपदेश देने में लगा रहे; दान देनेवाला उदारता से
दे, जो अगुआई करे, वह उत्साह से करे,
जो दया करे, वह हर्ष से करे।
Romans 12:9 प्रेम निष्कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई मे लगे रहो।
Romans 12:10 भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे
पर दया रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो।
Romans 12:11 प्रयत्न करने में आलसी न हो;
आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा
करते रहो।
Romans 12:12 आशा मे आनन्दित रहो; क्लेश मे स्थिर रहो; प्रार्थना मे नित्य लगे रहो।
Romans 12:13 पवित्र लोगों को जो कुछ अवश्य
हो, उस में उन की सहायता करो; पहुनाई
करने मे लगे रहो।
एक साल में बाइबल:
- यिर्मयाह 27-29
- तीतुस 3