अंग्रेज़ी कवि एलिक्ज़ैंडर पोप ने लिखा, "आशा मनुष्य के अन्दर सदा उत्पन्न होती रहती है, क्योंकि मनुष्य धन्य होने के लिए ही सृजा गया है।" किंतु जब आशा जाती रहे तो मनुष्य क्या करे, किसकी ओर मुड़े?
एक अस्पताल के निर्देशक ने अपने साथ बीती घटना बताई: कैंसर से ग्रसित एक जवान व्यक्ति हर बार की तरह अपना इलाज लेने उसके अस्पताल में आया। उस दिन एक नया चिकित्सक बैठा था; उस विकित्सक ने बेपरवाही और कुछ बेरहमी से उस युवक से कहा - "तुम जानते हो न कि तुम इस साल भर भी ज़िन्दा नहीं रहने वाले हो।" अपना इलाज लेने के बाद लौटते हुए वह जवान अस्पताल के निर्देशक के पास आया और रो पड़ा; रोते हुए वह बोला, "उस डॉक्टर ने मेरी आशा मुझसे छीन ली।" निर्देशक ने कहा, "ठीक बात है, उसने ऐसा किया तो है; अब यह समय है कि कोई नई आशा खोजी जाए।"
इस घटना पर टिप्पणी करते हुए लुइस स्मीड्स ने लिखा, "जब आशा समाप्त हो जाए तो क्या उसे फिर से जगाया जा सकता है? जब परिस्थिति बिलकुल निराशाजनक हो तो क्या कोई आशा रखी जा सकती है? ये वे प्रश्न हैं जो हमें अनन्त काल की आशा की ओर मोड़ देते हैं, क्योंकि मसीही विश्वास में आशा किसी "संभव" पर नहीं वरन परमेश्वर की अटल प्रतिज्ञाओं पर है।" क्योंकि न परमेश्वर का अन्त हो सकता है, न उसकी भलाई और उसकी प्रतिज्ञाओं का, इसलिए मसीही विश्वास में आशा का भी कोई अन्त संभव नहीं; क्योंकि परमेश्वर आशा का दाता है (रोमियों १५:१३) इसलिए हर निराशा में भी मसीही विश्वासी की आशा वर्तमान रहती है।
जब हमारी आशा परमेश्वर और हमें पाप तथा मृत्यु से छुड़ाने वाले उसके पुत्र हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह पर आधारित है, तो कवि एलिक्ज़ैंडर पोप द्वारा उपरोक्त कही बात एक सदा विद्यमान वास्तविकता बन जाती है; हम हर निराशा में भी धन्य होते हैं। आशा का दाता हमारा परमेश्वर तब भी हम में आशा को प्रवाहित करता रहता है जब हमारी अपनी सारी आशा समाप्त हो जाती है। - डेनिस डी हॉन
बाइबल पाठ: यर्मियाह १७:५-८
Jer 17:5 यहोवा यों कहता है, श्रापित है वह पुरुष जो मनुष्य पर भरोसा रखता है, और उसका सहारा लेता है, जिसका मन यहोवा से भटक जाता है।
Jer 17:6 वह निर्जल देश के अधमूए पेड़ के समान होगा और कभी भलाई न देखेगा। वह निर्जल और निर्जन तथा लोनछाई भूमि पर बसेगा।
Jer 17:7 धन्य है वह पुरुष जो यहोवा पर भरोसा रखता है, जिस ने परमेश्वर को अपना आधार माना हो।
Jer 17:8 वह उस वृक्ष के समान होगा जो नदी के तीर पर लगा हो और उसकी जड़ जल के पास फैली हो; जब घाम होगा तब उसको न लगेगा, उसके पत्ते हरे रहेंगे, और सूखे वर्ष में भी उनके विषय में कुछ चिन्ता न होगी, क्योंकि वह तब भी फलता रहेगा।
एक साल में बाइबल:
एक अस्पताल के निर्देशक ने अपने साथ बीती घटना बताई: कैंसर से ग्रसित एक जवान व्यक्ति हर बार की तरह अपना इलाज लेने उसके अस्पताल में आया। उस दिन एक नया चिकित्सक बैठा था; उस विकित्सक ने बेपरवाही और कुछ बेरहमी से उस युवक से कहा - "तुम जानते हो न कि तुम इस साल भर भी ज़िन्दा नहीं रहने वाले हो।" अपना इलाज लेने के बाद लौटते हुए वह जवान अस्पताल के निर्देशक के पास आया और रो पड़ा; रोते हुए वह बोला, "उस डॉक्टर ने मेरी आशा मुझसे छीन ली।" निर्देशक ने कहा, "ठीक बात है, उसने ऐसा किया तो है; अब यह समय है कि कोई नई आशा खोजी जाए।"
इस घटना पर टिप्पणी करते हुए लुइस स्मीड्स ने लिखा, "जब आशा समाप्त हो जाए तो क्या उसे फिर से जगाया जा सकता है? जब परिस्थिति बिलकुल निराशाजनक हो तो क्या कोई आशा रखी जा सकती है? ये वे प्रश्न हैं जो हमें अनन्त काल की आशा की ओर मोड़ देते हैं, क्योंकि मसीही विश्वास में आशा किसी "संभव" पर नहीं वरन परमेश्वर की अटल प्रतिज्ञाओं पर है।" क्योंकि न परमेश्वर का अन्त हो सकता है, न उसकी भलाई और उसकी प्रतिज्ञाओं का, इसलिए मसीही विश्वास में आशा का भी कोई अन्त संभव नहीं; क्योंकि परमेश्वर आशा का दाता है (रोमियों १५:१३) इसलिए हर निराशा में भी मसीही विश्वासी की आशा वर्तमान रहती है।
जब हमारी आशा परमेश्वर और हमें पाप तथा मृत्यु से छुड़ाने वाले उसके पुत्र हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह पर आधारित है, तो कवि एलिक्ज़ैंडर पोप द्वारा उपरोक्त कही बात एक सदा विद्यमान वास्तविकता बन जाती है; हम हर निराशा में भी धन्य होते हैं। आशा का दाता हमारा परमेश्वर तब भी हम में आशा को प्रवाहित करता रहता है जब हमारी अपनी सारी आशा समाप्त हो जाती है। - डेनिस डी हॉन
परमेश्वर पर अपने विश्वास द्वारा ही हम अपनी हर परिस्थिति को संभाल पाते हैं।
धन्य है वह पुरुष जो यहोवा पर भरोसा रखता है, जिस ने परमेश्वर को अपना आधार माना हो। - यर्मियाह १७:७बाइबल पाठ: यर्मियाह १७:५-८
Jer 17:5 यहोवा यों कहता है, श्रापित है वह पुरुष जो मनुष्य पर भरोसा रखता है, और उसका सहारा लेता है, जिसका मन यहोवा से भटक जाता है।
Jer 17:6 वह निर्जल देश के अधमूए पेड़ के समान होगा और कभी भलाई न देखेगा। वह निर्जल और निर्जन तथा लोनछाई भूमि पर बसेगा।
Jer 17:7 धन्य है वह पुरुष जो यहोवा पर भरोसा रखता है, जिस ने परमेश्वर को अपना आधार माना हो।
Jer 17:8 वह उस वृक्ष के समान होगा जो नदी के तीर पर लगा हो और उसकी जड़ जल के पास फैली हो; जब घाम होगा तब उसको न लगेगा, उसके पत्ते हरे रहेंगे, और सूखे वर्ष में भी उनके विषय में कुछ चिन्ता न होगी, क्योंकि वह तब भी फलता रहेगा।
एक साल में बाइबल:
- २ इतिहास १९-२०
- यूहन्ना १३:२१-३८