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गुरुवार, 7 जुलाई 2011

चिकने और गोलाकार

समुद्र के किनारे पैदल चलते हुए मैं एक छोटी से खाड़ीनुमा स्थान पर आया जिसका मुहाना तंग तथा सुरक्षित था और बड़ी तथा तेज़ लहरें वहाँ अन्दर तक वेग से नहीं आ पाती थीं। मैंने ध्यान किया कि जो पत्थर और चट्टानें वहाँ तट पर पड़ीं थीं वे उबड़-खाबड़ और पैनी थीं न की चिकनी और गोलाकार, जैसी की उस खाड़ीनुमा इलाके के बाहर थीं जहाँ पर समुद्र की लहरें वेग से आकर चट्टानों पर टूटती थीं और उन से घिस कर चट्टानों का पैनापन जाता रहा था और वे चिकनी हो गई थीं।

यही बात मसीही विश्वासी के चरित्र पर भी लागु होती है। जैसे लहरों और पानी का कठोर प्रहार चट्टानों को घिस कर चिकना कर देता है, वैसे ही हमारे जीवनों की कठिनाईयाँ और परिक्षाएं हमारे चरित्र को निखार कर हम में मसीही परिपक्वता ले आती हैं। इसी लिए भजनकार ने लिखा कि, "मुझे जो दु:ख हुआ वह मेरे लिये भला ही हुआ है, जिस से मैं तेरी विधियों को सीख सकूं" (भजन ११९:७१)। इसी भाव को प्रचारक सैमुएल रदरफोर्ड ने भी व्यक्त किया जब उसने कहा कि "क्लेषों की भट्टी से होकर निकलने से मुझे परमेश्वर का वचन एक नए रूप में मिल गया है।" जब उसका विश्वास परखा गया तो परमेश्वर के वचन की एक नई समझ उसे मिली और साथ ही उसका चरित्र भी और अधिक निखर गया।

एक सामन्य भ्रांति है कि जब हमारे साथ कुछ बुरा हो रहा होता है, तब परमेश्वर हमें दण्ड दे रहा होता है। यह सदा सत्य नहीं होता, परमेश्वर का वचन हमें यह भी सिखाता है कि परीक्षाएं एक मसीही विश्वासी के लिए सम्मान के पदक भी हो सकते हैं। वे दिखाती हैं कि उन परीक्षाओं में होकर परमेश्वर हम में कार्य कर रहा है जिससे वह हम में वह धैर्य उत्पन्न कर सके जिसकी चर्चा याकूब ने करी और जो हमें परिपक्व करता है जिससे हम किसी भी घटी में न रहें (याकूब १:४)।

क्लेषों और परीक्षाओं के द्वारा परमेश्वर हमारे चरित्र के पैने और ऊबड़-खाबड़ हिस्सों को घिस कर चिकना और गोलाकार करता है और हमें अपने पुत्र और हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की समानता में बदलता जाता है। - पौल वैन गोर्डर


परमेश्वर हमारे जीवनों में कठिनाईयाँ और परिक्षाएं हमें निखारने के लिए आने देता है, हमें बिगाड़ने के लिए नहीं।

...तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्‍पन्न होता है। - याकूब १:३


बाइबल पाठ: याकूब १:१-१८

Jas 1:1 परमेश्वर के और प्रभु यीशु मसीह के दास याकूब की ओर से उन बारहों गोत्रों को जो तित्तर बित्तर होकर रहते हैं नमस्‍कार पहुंचे।
Jas 1:2 हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो
Jas 1:3 तो इसे पूरे आनन्‍द की बात समझो, यह जानकर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्‍पन्न होता है।
Jas 1:4 पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे।
Jas 1:5 पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है और उस को दी जाएगी।
Jas 1:6 पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्‍देह न करे क्‍योंकि सन्‍देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है।
Jas 1:7 ऐसा मनुष्य यह न समझे, कि मुझे प्रभु से कुछ मिलेगा।
Jas 1:8 वह व्यक्ति दुचित्ता है, और अपनी सारी बातों में चंचल है।
Jas 1:9 दीन भाई अपने ऊंचे पद पर घमण्‍ड करे।
Jas 1:10 और धनवान अपनी नीच दशा पर: क्‍योंकि वह घास के फूल की नाई जाता रहेगा।
Jas 1:11 क्‍योंकि सूर्य उदय होते ही कड़ी धूप पड़ती है और घास को सुखा देती है, और उसका फूल झड़ जाता है, और उस की शोभा जाती रहती है; उसी प्रकार धनवान भी अपने मार्ग पर चलते चलते धूल में मिल जाएगा।
Jas 1:12 धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है क्‍योंकि वह खरा निकल कर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिस की प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों को दी है।
Jas 1:13 जब किसी ही परीक्षा हो, तो वह यह न कहे, कि मेरी परीक्षा परमेश्वर की ओर से होती है क्‍योंकि न तो बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है, और न वही किसी की परीक्षा आप करता है।
Jas 1:14 परन्‍तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंचकर, और फंसकर परीक्षा में पड़ता है।
Jas 1:15 फिर अभिलाषा गर्भवती होकर पाप को जनता है और पाप बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्‍पन्न करता है।
Jas 1:16 हे मेरे प्रिय भाइयों, धोखा न खाओ।
Jas 1:17 क्‍योंकि हर एक अच्‍छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, ओर न अदल बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है।
Jas 1:18 उस ने अपनी ही इच्‍छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्‍पन्न किया, ताकि हम उस की सृष्‍टि की हुई वस्‍तुओं में से एक प्रकार के प्रथम फल हों।

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३४-३५
  • प्रेरितों १५:१-२१