परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम खण्ड में रूत की पुस्तक एक अद्भुत सच्ची जीवन गाथा है। यह पुस्तक है तो छोटी सी, लेकिन इस में परमेश्वर का एक अनोखा चित्रण है, उसके अनुग्रह की एक विलक्षण कहानी है, बार बार उसका नाम लिया गया है।
यह पुस्तक आरंभ होती है इस्त्राएल के बेतलेहम में पड़े अकाल और इस अकाल से पीड़ित एक परिवार के साथ। अकाल से बचने के लिए पति, पत्नी और दो बेटों का यह परिवार अपना स्थान और भूमि छोडकर एक दूसरे देश मोआब को चला जाता है। वहाँ पर दोनो बेटों की शादियाँ उस देश की स्त्रियों के साथ हो जाती हैं, और कुछ समय में पति और दोनों बेटों की मृत्यु भी हो जाती है। अब केवल पत्नी, जिसका नाम नाओमी है अपनी दो बहुओं के साथ बचती है और वह वापस बेतलेहम लौट जाने की योजना बनाती है और अपनी दोनों निसन्तान बहुओं से कहती है कि वे अपने ही देश मोआब में बनी रहें और अपने घर फिर बसाएं। एक बहु तो उसकी बात मानकर वहीं रुक जाती है किन्तु दूसरी, जिसका नाम रूत है, अपनी सास के साथ ही इस्त्राएल के बेतलेहम जाने की ठान लेती है, और अपनी सास नाओमी के साथ ही बेतलेहम आ जाती है।
नाओमी शायद यह सोच कर बेतलेहम से गई थी कि वह जब लौटेगी तो समृद्ध और संपन्न होगी, लेकिन हुआ बिलकुल विपरीत और अनेपक्षित; इसलिए उसके लौटने पर जब लोग उससे बातचीत करते हैं तो, "उसने उन से कहा, मुझे नाओमी (अर्थात मनोहर) न कहो, मुझे मारा (अर्थात कड़ुवाहट) कहो, क्योंकि सर्वशक्तिमान् ने मुझ को बड़ा दु:ख दिया है" (रूत 1:20)। लेकिन यह कहानी का अन्त नहीं है। थोड़े ही समय में नाओमी परमेश्वर के अद्भुत हाथ को अपने और रूत के जीवन में कार्यरत देखती है, और वह जो उन दोनों को जीवन का एक दुखद अन्त प्रतीत हो रहा था वास्तव में एक नई और आशीषित शुरुआत का प्रवेश द्वार बन जाता है। आगे चलकर रूत का विवाह एक संपन्न और संभ्रांत जन के साथ होता है और उससे उत्पन्न होने वाली सन्तान के वंश से राजा दाऊद और फिर प्रभु यीशु का जन्म होता है।
नाओमी और रूत की कहानी से परमेश्वर हमें स्मरण दिलाता है कि परमेश्वर के मार्ग और उपाय अद्भुत हैं और वह अनेक अनेपक्षित विधियों द्वारा हमारे लिए कार्य करता रहता है, हमें आशीषित करता रहता है। वह कठिन, दुखदायी और समझ से बाहर परिस्थितियों और घटनाओं को भी अन्ततः हमारी भलाई और उन्नति के लिए प्रयोग कर लेता है। परमेश्वर की दया अपने बच्चों पर सदा बनी रहती है और उसके अनेपक्षित कार्य उनके जीवनों को संभालते और संवारते रहते हैं। इसलिए यदि आप प्रभु यीशु में मिली पापों की क्षमा और उद्धार द्वारा परमेश्वर की सन्तान हो गए हैं तो विपरीत परिस्थितियों के कारण कभी अपना हियाव ना छोड़ें; अनेपक्षित घटनाएं परमेश्वर की भलाईयों के आने के मार्ग हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड
परमेश्वर के प्रत्यक्ष प्रावधान हमें परमेश्वर के परोक्ष उद्देश्यों पर विश्वास रखने को प्रेरित करते हैं।
नाओमी ने अपनी बहू से कहा, वह यहोवा की ओर से आशीष पाए, क्योंकि उसने न तो जीवित पर से और न मरे हुओं पर से अपनी करूणा हटाई! - रूत 2:20
बाइबल पाठ: रूत 2:17-23
Ruth 2:17 सो वह सांझ तक खेत में बीनती रही; तब जो कुछ बीन चुकी उसे फटका, और वह कोई एपा भर जौ निकला।
Ruth 2:18 तब वह उसे उठा कर नगर में गई, और उसकी सास ने उसका बीना हुआ देखा, और जो कुछ उसने तृप्त हो कर बचाया था उसको उसने निकाल कर अपनी सास को दिया।
Ruth 2:19 उसकी सास ने उस से पूछा, आज तू कहां बीनती, और कहां काम करती थी? धन्य वह हो जिसने तेरी सुधि ली है। तब उसने अपनी सास को बता दिया, कि मैं ने किस के पास काम किया, और कहा, कि जिस पुरूष के पास मैं ने आज काम किया उसका नाम बोअज है।
Ruth 2:20 नाओमी ने अपनी बहू से कहा, वह यहोवा की ओर से आशीष पाए, क्योंकि उसने न तो जीवित पर से और न मरे हुओं पर से अपनी करूणा हटाई! फिर नाओमी ने उस से कहा, वह पुरूष तो हमारा कुटुम्बी है, वरन उन में से है जिन को हमारी भूमि छुड़ाने का अधिकार है।
Ruth 2:21 फिर रूत मोआबिन बोली, उसने मुझ से यह भी कहा, कि जब तक मेरे सेवक मेरी कटनी पूरी न कर चुकें तब तक उन्हीं के संग संग लगी रह।
Ruth 2:22 नाओमी ने अपनी बहु रूत से कहा, मेरी बेटी यह अच्छा भी है, कि तू उसी की दासियों के साथ साथ जाया करे, और वे तुझ को दूसरे के खेत में न मिलें।
Ruth 2:23 इसलिये रूत जौ और गेहूं दोनों की कटनी के अन्त तक बीनने के लिये बोअज की दासियों के साथ साथ लगी रही; और अपनी सास के यहां रहती थी।
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति 30-32