7. बचे रहने में अनुपम और विशिष्ट
संसार के इतिहास
में जितना प्रयास बाइबल को नष्ट करने के लिए किया गया है,
उतना किसी भी अन्य पुस्तक या ग्रंथ के लिए नहीं किया गया, किन्तु इन सभी प्रयासों के बावजूद, बाइबल सुरक्षित बनी
रही, और संसार के इतिहास में सर्वाधिक बिकने तथा वितरित होने
वाली पुस्तक है।
बाइबल की आरंभिक
पुस्तकें papyrus (पेपिरस या भोजपत्रों) पर हाथ से लिखी
गई थीं। पेपिरस मिस्र और सीरिया की नदियों और छिछले पानी के तालाबों में उगाने वाला
एक प्रकार का नरकट या सरकंडा होता है, जिसे पतला काट और
छील कर, उसकी परतों को आपस में दबा कर, सुखा कर कागज के समान लिखने के योग्य बनाया जाता था। अंग्रेजी
शब्द paper इसी पेपिरस से बने लिखने की सामग्री से
आया है। बाद में चर्मपत्रों पर, जो पशुओं की खाल
से बनाए जाते थे, लिखना आरंभ हुआ। यह बहुत अचरज की बात है
कि नाजुक और नाशमान, शीघ्र गल या खराब हो जाने वाले पेपिरस
पर लिखे हुए उपलब्ध सबसे प्राचीन लेख लगभग 2400 ईस्वी पूर्व के हैं।
बाइबल
की लेखों की सत्यता और सही होने पर भी प्रश्न उठाए गए हैं। बाइबल के पुराने नियम की
पुस्तकों को हाथ से लिखने के लिए यहूदियों में विशेष प्रशिक्षण पाए हुए लोग प्रयोग
किए जाते थे। उन लेखों के हर अक्षर, मात्रा, शब्द, और परिच्छेद की
गिनती की हुई थी, और प्रत्येक हस्तलिपि का प्रत्येक पृष्ठ
बारीकी से उस संख्या के अनुसार सही होने के लिए लिखें वाले से भिन्न अन्य प्रशिक्षित
लोगों के द्वारा जाँचा जाता था, और बिना त्रुटि
के पाए जाने पर ही उसे संकलित करने के लिए स्वीकार किया जाता था, अन्यथा उसे नष्ट कर दिया जाता था, जिससे त्रुटिपूर्ण लेख की संकलित पुस्तक में सम्मिलित होने
के कोई संभावना शेष न रहे। इस प्रकार से यहूदियों ने यह सुनिश्चित किया हुआ था कि उन्हें
मिले परमेश्वर के वचन का हर अक्षर, मात्रा, शब्द, और अनुच्छेद ठीक
वैसा ही रहे जैसे वह मूल स्वरूप में था। बाइबल की पुस्तकों से संबंधित जितने भी पुराने
लेख या उनके जो भी अंश मिले हैं, उनका अवलोकन करने से यह बात स्पष्ट है कि जैसा उन पुराने
लेखों में था, लेख वैसे ही आज भी विद्यमान है।
इन
नाशमान सामग्रियों पर हाथ से इतने परिश्रम से लिखे जाने के बावजूद, बाइबल की अनेकों पुस्तकों के प्राचीन लेख या उनके अंश की
प्रतिलिपियाँ आज भी विद्यमान हैं, समय और वातावरण
के प्रभाव के कारण सभी नष्ट नहीं हुईं, और प्रमाणित करती
हैं कि उन लेखों में लिखी बात सदियों और हजारों वर्षों से अपरिवर्तित चली आ रही है।
संसार
भर में, बाइबल के संकलित होकर एक पुस्तक बनने के
आरंभ से ही, बाइबल के शत्रुओं ने उसे नष्ट करके समाप्त
करने के अनगिनत प्रयास किए हैं। बाइबल के प्रसारण पर प्रतिबंध लगे गए, उसकी प्रतियों को खोज-खोज कर एकत्रित किया गया और जला दिया
गया। रोमी शासन से लेकर वर्तमान समय में कम्युनिस्ट देशों में उसे कानून द्वारा वर्जित
कर दिया गया, उसकी प्रतियों को अपने साथ रखना दण्डनीय
अपराध घोषित किया गया। किन्तु बाइबल की प्रतियाँ फिर भी बची रहीं, और बढ़ती रहीं; लोगों ने जान पर
खेलकर या जान तक देकर, बेघर होकर, बंदीगृहों में कठोर दंड सहने के लिए डाल दिए जाने के बावजूद
बाइबल को बचा कर रखा, और उसे प्रकाशित तथा प्रसारित करते रहे।
वोल्टेयर
नामक विख्यात फ्रांसीसी नास्तिक और परमेश्वर का घोर विरोध एवं निन्दा करने वाले व्यक्ति
ने, जिसका देहांत 1778 में हुआ था, भविष्यवाणी की थी कि उसके समय से 100 वर्ष के अंदर ही, मसीही विश्वास और बाइबल दोनों समाप्त हो जाएंगे, इतिहास में दब कर रह जाएंगे। वोल्टेयर जाता रहा, उसकी भविष्यवाणी भी बिना पूरी हुए जाती रही; किन्तु एक बहुत रोचक बात भी हुई। वोल्टेयर की मृत्यु के पचास
वर्ष बाद, जेनेवा बाइबल सोसायटी ने वोल्टेयर के घर
को खरीद लिया, और फिर उसके घर में लगी छापने की मशीन
से बाइबल की छपाई होने लगी, छपी हुई बाइबल का
प्रसार और वितरण उसी के घर से होना आरंभ हो गया। प्रभु यीशु मसीह ने कहा था, "आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी" (मरकुस 13:31), और आज तक उनकी कही यह बात सही प्रमाणित होती रही है; कोई परमेश्वर के वचन को नाश अथवा झूठा प्रमाणित करने नहीं
करने पाया है।
आलोचकों
ने कई धारणाएं बनाई, कि बाइबल को झूठा या गलत प्रमाणित कर दें।
एक प्रयास यह तर्क देने के द्वारा किया गए कि मूसा द्वारा लिखी बाइबल की पहली पाँच
पुस्तकें उसके द्वारा लिखी हुई हो ही नहीं सकती थीं क्योंकि मूसा के समय
(1500-1400 ईस्वी पूर्व) तक लिखना इतना विकसित ही नहीं होने पाया था; इसलिए वे पुस्तकें बाद में कभी लिखी गई होंगे, और उन्हें मूसा के नाम रख दिया गया है। किन्तु इस तर्क और
धारणा के दिए जाने के कुछ समय बाद "हममूराबी की लाठ" खोज निकाली गई; पत्थर की इस लाठ पर उसके द्वारा उसके राज्य में लागू किए
गए नियम लिखे हैं, और यह लाठ मूसा से सैकड़ों वर्ष पुरानी
है - अर्थात, यह प्रमाणित हो गया कि मूसा के समय से
भी बहुत पहले से लोग लिखना जानते थे, और लिखित नियम विद्यमान
थे। बाद में हुई अन्य पुरातत्व खोजों ने भी यह प्रमाणित कर दिया है कि मूसा के समय
से पहले भी लिखित सामग्री विद्यमान थी, भाषा विकसित हो
चुकी थी। इसी प्रकार का एक अन्य तर्क यह दिया गया था कि अब्राहम के साथ उत्पत्ति की
पुस्तक में जिन हित्ती लोगों का उल्लेख आया है, उनका बाइबल के बाहर कोई प्रमाण नहीं है। किन्तु पुरातत्व खोजों ने इस दावे को
भी झूठा दिखा दिया और हित्तियों की प्राचीन सभ्यता को उजागर कर दिया।
आज
तक भी, सारे संसार भर में, और सारे इतिहास में, बाइबल को गलत या झूठा प्रमाणित करने, उसे नष्ट करने के सभी प्रयास असफल ही रहे हैं। बाइबल को नष्ट करने का प्रयास
करने वाले नाश हो गए, किन्तु परमेश्वर का वचन बाइबल आज भी स्थिर
और दृढ़ स्थापित है, अटल है, अचूक है।
बाइबल पाठ: यशायाह 40:1-8
यशायाह 40:1 तुम्हारा परमेश्वर यह कहता
है, मेरी प्रजा को शान्ति दो, शान्ति!
यशायाह 40:2 यरूशलेम से शान्ति की बातें
कहो; और उस से पुकार कर कहो कि तेरी कठिन सेवा
पूरी हुई है, तेरे अधर्म का दण्ड अंगीकार किया गया है:
यहोवा के हाथ से तू अपने सब पापों का दूना दण्ड पा चुका है।
यशायाह 40:3 किसी की पुकार सुनाई देती
है, जंगल में यहोवा का मार्ग सुधारो, हमारे परमेश्वर के लिये अराबा में एक राजमार्ग चौरस करो।
यशायाह 40:4 हर एक तराई भर दी जाए और हर
एक पहाड़ और पहाड़ी गिरा दी जाए; जो टेढ़ा है वह
सीधा और जो ऊंचा नीचा है वह चौरस किया जाए।
यशायाह 40:5 तब यहोवा का तेज प्रगट होगा
और सब प्राणी उसको एक संग देखेंगे; क्योंकि यहोवा ने
आप ही ऐसा कहा है।
यशायाह 40:6 बोलने वाले का वचन सुनाई दिया, प्रचार कर! मैं ने कहा, मैं क्या प्रचार करूं? सब प्राणी घास हैं, उनकी शोभा मैदान के फूल के समान है।
यशायाह 40:7 जब यहोवा की सांस उस पर चलती
है, तब घास सूख जाती है, और फूल मुर्झा जाता है; नि:सन्देह प्रजा घास है।
यशायाह 40:8 घास
तो सूख जाती, और फूल मुर्झा जाता है; परन्तु हमारे परमेश्वर का वचन सदैव अटल रहेगा।
एक साल में बाइबल:
- भजन 81 -83
- रोमियों 11:19-36