सफल और लगातार बने रहने तथा बढ़ते रहने वाले संबंधों का आधार प्रेम ही है। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें स्पष्ट करती है कि हमें प्रेम रखने वाले लोग होना है - वे जो परमेश्वर से अपने पूरे मन से प्रेम रखें, जो अपने पड़ौसियों से अपने समान प्रेम रखें और अपने शत्रुओं से भी प्रेम रखें। लेकिन जब हमें ही प्रेम का अनुभव नहीं हो तो फिर हमारा दूसरों से प्रेम रखना कठिन है - वे बच्चे जिन्होंने उपेक्षित जीवन व्यतीत किया है, वे लोग जिन्होंने अपने परिवार या जीवन साथी से तिरिस्कार भोगा है, वे अभिभावक जिनके बच्चों ने उन्हें बिसरा दिया है, नज़रन्दाज़ कर रखा है - ये तथा इनके समान अनुभव रखने वाले अन्य सभी लोग प्रेम विहीन जीवन के दुख से भली-भांति परिचित हैं।
इसलिए जो कोई भी प्रेम के अनुभव की लालसा रखता है, उन सबको परमेश्वर का निमंत्रण है, क्योंकि परमेश्वर सभी अद्भुत प्रेम करता है। परमेश्वर के प्रेम के प्रकटिकरण को हम कलवरी के क्रूस पर प्रभु यीशु के बलिदान में देखते हैं, तथा उस प्रेम के जीवन बदलने वाले गहरे प्रभाव को सभी जन विश्वास द्वारा अपने जीवन में अनुभव कर सकते हैं। इस बात पर थोड़ा मनन कीजिए कि यदि आपने विश्वास द्वारा उस प्रेम को अपने जीवन में स्वीकार कर लिया है, तो परमेश्वर का वह प्रेम आपके सभी पापों और दोषों को अपनी बेदाग़ धार्मिकता ढांप देगा (रोमियों 3:22-24)। तब आप इस बात से आश्वस्त तथा आनन्दित रह सकते हैं कि अब आपको उस प्रेम से कोई कभी अलग नहीं कर सकता (रोमियों 8:38-39)। इसलिए अपने सुरक्षित वर्तमान एवं अनन्तकाल के आनन्दमय भविष्य के लिए उस के प्रेम के निमंत्रण को स्वीकार कर लें (यूहन्ना 3:16)।
जब प्रेरित यूहन्ना कहता है, "...हम को भी आपस में प्रेम रखना चाहिए", तो वह साथ ही यह भी स्मरण दिलाता है कि हम परमेश्वर के प्रीय हैं (1 यूहन्ना 4:11; 3:1-2)। जब एक बार आप परमेश्वर के अद्भुत प्रेम को पहचान लेते हैं, उसे स्वीकार कर लेते हैं, तो फिर आपके लिए वैसा प्रेम करने वाला व्यक्ति बन जाना सरल हो जाता है, जैसा परमेश्वर चाहता है कि हम बनें। तब ही हम परमेश्वर प्रभु यीशु के समान ही उनसे भी प्रेम रखने की सामर्थ पा लेते हैं जो हमसे प्रेम नहीं रखते या हमारे शत्रु हैं। प्रेम सब बातों को ढांप देता है। - जो स्टोवैल
अपने लिए परमेश्वर के प्रेम को स्वीकार कर लेना ही दूसरों के प्रति प्रेम दिखाने की कुंजी है।
क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी। - रोमियों 8:38-39
बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 4:7-21
1 John 4:7 हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है: और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है; और परमेश्वर को जानता है।
1 John 4:8 जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है।
1 John 4:9 जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इस से प्रगट हुआ, कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है, कि हम उसके द्वारा जीवन पाएं।
1 John 4:10 प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर से प्रेम किया; पर इस में है, कि उसने हम से प्रेम किया; और हमारे पापों के प्रायश्चित्त के लिये अपने पुत्र को भेजा।
1 John 4:11 हे प्रियो, जब परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया, तो हम को भी आपस में प्रेम रखना चाहिए।
1 John 4:12 परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा; यदि हम आपस में प्रेम रखें, तो परमेश्वर हम में बना रहता है; और उसका प्रेम हम में सिद्ध हो गया है।
1 John 4:13 इसी से हम जानते हैं, कि हम उस में बने रहते हैं, और वह हम में; क्योंकि उसने अपने आत्मा में से हमें दिया है।
1 John 4:14 और हम ने देख भी लिया और गवाही देते हैं, कि पिता ने पुत्र को जगत का उद्धारकर्ता कर के भेजा है।
1 John 4:15 जो कोई यह मान लेता है, कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है: परमेश्वर उस में बना रहता है, और वह परमेश्वर में।
1 John 4:16 और जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उसको हम जान गए, और हमें उस की प्रतीति है; परमेश्वर प्रेम है: जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है; और परमेश्वर उस में बना रहता है।
1 John 4:17 इसी से प्रेम हम में सिद्ध हुआ, कि हमें न्याय के दिन हियाव हो; क्योंकि जैसा वह है, वैसे ही संसार में हम भी हैं।
1 John 4:18 प्रेम में भय नहीं होता, वरन सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय से कष्ट होता है, और जो भय करता है, वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ।
1 John 4:19 हम इसलिये प्रेम करते हैं, कि पहिले उसने हम से प्रेम किया।
1 John 4:20 यदि कोई कहे, कि मैं परमेश्वर से प्रेम रखता हूं; और अपने भाई से बैर रखे; तो वह झूठा है: क्योंकि जो अपने भाई से, जिस उसने देखा है, प्रेम नहीं रखता, तो वह परमेश्वर से भी जिसे उसने नहीं देखा, प्रेम नहीं रख सकता।
1 John 4:21 और उस से हमें यह आज्ञा मिली है, कि जो कोई अपने परमेश्वर से प्रेम रखता है, वह अपने भाई से भी प्रेम रखे।
एक साल में बाइबल:
- यहोशू 16-18
- लूका 2:1-24