अपने अधिकांश जीवन मैंने क्रिसमस की कहानी में प्रभु यीशु के सांसारिक पिता यूसुफ की भूमिका के महत्व को नज़रंदाज़ किया। लेकिन जब मैं स्वयं पति और फिर पिता बना, तब मैं यूसुफ के कोमल चरित्र को बेहतर समझ और पहचान सका, उसकी प्रशंसा कर सका। यह जानने से पूर्व ही कि उसकी मंगेतर मरियम गर्भवती कैसे हो गई, उसने यह ठान लिया था कि उस प्रतीत होने वाली बेवफाई के लिए वह मरियम को शर्मिंदा या दण्डित नहीं करेगा (मत्ती 1:19), जबकि ऐसा करना उसका नैतिक और कानूनी अधिकार था।
मुझे उसकी नम्रता और आज्ञाकारिता पर अचंभा होता है, क्योंकि उसने, किसी के कुछ भी कहने की संभावना की परवाह किए बिना, ना केवल वह किया जो कि स्वर्गदूत ने उसे करने को कहा (24), वरन जब तक कि मरियम से प्रभु यीशु का जन्म नहीं हो गया, उसने मरियम से कोई शारीरिक संबंध भी नहीं रखे (25)। इसके बाद हम देखते हैं कि शिशु यीशु के प्राणों की रक्षा के लिए वह अपना घर-बार छोड़कर मिस्त्र को चले जाने को भी राज़ी हो गया (मत्ती 2:13-23)।
ज़रा कल्पना कीजिए उस तनाव और दबाव की जो यूसुफ और मरियम ने अनुभव किया होगा जब उन्हें पता चला कि प्रभु यीशु के रूप में सदेह आने वाले, सारी सृष्टि का संचालन और पालन करने वाले परमेश्वर कोीक बच्चे के रूप में उन्हें पालना-पोसना होगा, उसका ध्यान रखना होगा। ज़रा विचार कीजिए उनके जीवन में रहने वाली उस जटिलता और तनाव पर, पवित्रता का जीवन जीने के उनके उस अविरल प्रयास पर जो परमेश्वर के पुत्र की लगातार उपस्थिति में रहने के कारण उन्होंने अपने जीवनों में अनुभव किया होगा। यूसुफ कैसा चरित्रवान पुरुष रहा होगा कि परमेश्वर ने उसे इस कार्य के लिए चुना! हमारे अनुसरण के लिए कैसा अद्भुत उदाहरण है, चाहे हम अपने बच्चों, या अन्य किसी के बच्चों का पालन-पोषण करने की ज़िम्मेदारी निभा रहे हों।
परमेश्वर हमें सामर्थ दे कि चाहे हम परमेश्वर की योजना को समझ ना पाएं फिर भी हम युसुफ के समान परमेश्वर और उसके निर्देशों के प्रति विश्वासयोग्य रहें। - रैंडी किलगोर
सच्ची सेवकाई का रहस्य पूर्ण विश्वासयोग्यता के साथ वहाँ रहना तथा वह करना है,
जहाँ रहने और जिसे करने के लिए हमारे लिए परमेश्वर ने ठहराया है।
जो थोड़े से थोड़े में सच्चा है, वह बहुत में भी सच्चा है: और जो थोड़े से थोड़े में अधर्मी है, वह बहुत में भी अधर्मी है। - लूका 16:10
बाइबल पाठ: मत्ती 1:18-25
Matthew 1:18 अब यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उस की माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उन के इकट्ठे होने के पहिले से वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई।
Matthew 1:19 सो उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी था और उसे बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने की मनसा की।
Matthew 1:20 जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्वप्न में दिखाई देकर कहने लगा; हे यूसुफ दाऊद की सन्तान, तू अपनी पत्नी मरियम को अपने यहां ले आने से मत डर; क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है।
Matthew 1:21 वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा।
Matthew 1:22 यह सब कुछ इसलिये हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था; वह पूरा हो।
Matthew 1:23 कि, देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा जिस का अर्थ यह है “परमेश्वर हमारे साथ”।
Matthew 1:24 सो यूसुफ नींद से जागकर प्रभु के दूत की आज्ञा अनुसार अपनी पत्नी को अपने यहां ले आया।
Matthew 1:25 और जब तक वह पुत्र न जनी तब तक वह उसके पास न गया: और उसने उसका नाम यीशु रखा।
एक साल में बाइबल:
- होशे 12-14
- प्रकाशितवाक्य 4