परमेश्वर ऐसा कुछ नहीं कर सकता जो उसके पवित्र चरित्र के अनुकूल न हो। क्योंकि परमेश्वर अपने स्वभाव से पवित्र और सिद्ध है, इसलिये उसके सारे गुण उसकी इस पवित्रता और सिद्धता को दर्शाते हैं। कुछ बातों पर ध्यान कीजिए:
१. पवित्र परमेश्वर होने के नाते वह अपनी धार्मिकता में सिद्ध है। हम उसकी इच्छा के आधीन बेखटके हो सकते हैं क्योंकि इब्राहिम द्वारा उत्पत्ति १८:२५ में उठाये गये प्रश्न "क्या सारी पृथ्वी का न्यायी न्याय न करे?" का एक ही उत्तर संभव हो सकता है - " हाँ "।
२. पवित्र परमेश्वर होने के नाते वह अपने न्याय में सिद्ध है। पौलुस ने कहा "...हम सब के सब परमेश्वर के न्याय सिंहासन के साम्हने खड़े होंगे।" (रोमियों १४:१०); पतरस ने लिखा "क्योंकि वह समय आ पहुंचा है, कि पहिले परमेश्वर के लोगों का न्याय किया जाए, और जब कि न्याय का आरम्भ हम ही से होगा तो उन का क्या अन्त होगा जो परमेश्वर के सुसमाचार को नहीं मानते?" (१ पतरस ४:१७); यूहन्ना, अविश्वासियों के संबंध में कहता है " ...उन में से हर एक के कामों के अनुसार उन का न्याय किया गया।" (प्रकाशितवाक्य २०:१३)।
३. पवित्र परमेश्वर होने के नाते वह अपने सदा सत्य होने में सिद्ध है। इस कारण हम उसके वचन पर सम्पूर्ण विश्वास कर सकते हैं। गिनती २३:१९ में लिखा है " ईश्वर मनुष्य नहीं, कि झूठ बोले, और न वह मनुष्य है, कि अपनी इच्छा बदले। क्या जो कुछ उस ने कहा उसे न करे? क्या वह वचन देकर उस पूरा न करे?"
४. पवित्र परमेश्वर होने के नाते वह अपनी विश्वासयोग्यता में सिद्ध है। यर्मियाह नबी ने लिखा " हम मिट नहीं गए, यह यहोवा की महान करुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है।" (विलापगीत ३:२२, २३)
हम अपने धर्मी, न्यायी, सच्चे और विश्वासयोग्य परमेश्वर पर समपूर्ण भरोसा रख सकते हैं क्योंकि वह पवित्र है। - रिचर्ड डी हॉन
...सेनाओं का यहोवा पवित्र, पवित्र, पवित्र है; सारी पृथ्वी उसके तेज से भरपूर है। - यशायाह ६:३
बाइबल पाठ: भजन ४८
हमारे परमेश्वर के नगर में, और अपने पवित्र पर्वत पर यहोवा महान और अति स्तुति के योग्य है!
सिय्योन पर्वत ऊंचाई में सुन्दर और सारी पृथ्वी के हर्ष का कारण है, राजाधिराज का नगर उत्तरीय सिरे पर है।
उसके महलों में परमेश्वर ऊंचा गढ़ माना गया है।
क्योंकि देखो, राजा लोग इकट्ठे हुए, वे एक संग आगे बढ़ गए।
उन्होंने आप ही देखा और देखते ही विस्मित हुए, वे घबराकर भाग गए।
वहां कंपकंपी ने उनको आ पकड़ा, और जच्चा की सी पीड़ाएं उन्हें होने लगीं।
तू पूर्वी वायु से तर्शीश के जहाजों को तोड़ डालता है।
सेनाओं के यहोवा के नगर में, अपने परमेश्वर के नगर में, जैसा हम ने सुना था, वैसा देखा भी है; परमेश्वर उसको सदा दृढ़ और स्थिर रखेगा।
हे परमेश्वर हम ने तेरे मन्दिर के भीतर तेरी करूणा पर ध्यान किया है।
हे परमेश्वर तेरे नाम के योग्य तेरी स्तुति पृथ्वी की छोर तक होती है। तेरा दहिना हाथ धर्म से भरा है;
तेरे न्याय के कामों के कारण सिय्योन पर्वत आनन्द करे, और यहूदा के नगर की पुत्रियां मगन हों!
सिय्योन के चारों ओर चलो, और उसकी परिक्रमा करो, उसके गुम्मटों को गिन लो,
उसकी शहरपनाह पर दृष्टि लगाओ, उसके महलों को ध्यान से देखो; जिस से कि तुम आने वाली पीढ़ी के लोगों से इस बात का वर्णन कर सको।
क्योंकि वह परमेश्वर सदा सर्वदा हमारा परमेश्वर है, वह मृत्यु तक हमारी अगुवाई करेगा।
एक साल में बाइबल:
१. पवित्र परमेश्वर होने के नाते वह अपनी धार्मिकता में सिद्ध है। हम उसकी इच्छा के आधीन बेखटके हो सकते हैं क्योंकि इब्राहिम द्वारा उत्पत्ति १८:२५ में उठाये गये प्रश्न "क्या सारी पृथ्वी का न्यायी न्याय न करे?" का एक ही उत्तर संभव हो सकता है - " हाँ "।
२. पवित्र परमेश्वर होने के नाते वह अपने न्याय में सिद्ध है। पौलुस ने कहा "...हम सब के सब परमेश्वर के न्याय सिंहासन के साम्हने खड़े होंगे।" (रोमियों १४:१०); पतरस ने लिखा "क्योंकि वह समय आ पहुंचा है, कि पहिले परमेश्वर के लोगों का न्याय किया जाए, और जब कि न्याय का आरम्भ हम ही से होगा तो उन का क्या अन्त होगा जो परमेश्वर के सुसमाचार को नहीं मानते?" (१ पतरस ४:१७); यूहन्ना, अविश्वासियों के संबंध में कहता है " ...उन में से हर एक के कामों के अनुसार उन का न्याय किया गया।" (प्रकाशितवाक्य २०:१३)।
३. पवित्र परमेश्वर होने के नाते वह अपने सदा सत्य होने में सिद्ध है। इस कारण हम उसके वचन पर सम्पूर्ण विश्वास कर सकते हैं। गिनती २३:१९ में लिखा है " ईश्वर मनुष्य नहीं, कि झूठ बोले, और न वह मनुष्य है, कि अपनी इच्छा बदले। क्या जो कुछ उस ने कहा उसे न करे? क्या वह वचन देकर उस पूरा न करे?"
४. पवित्र परमेश्वर होने के नाते वह अपनी विश्वासयोग्यता में सिद्ध है। यर्मियाह नबी ने लिखा " हम मिट नहीं गए, यह यहोवा की महान करुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है।" (विलापगीत ३:२२, २३)
हम अपने धर्मी, न्यायी, सच्चे और विश्वासयोग्य परमेश्वर पर समपूर्ण भरोसा रख सकते हैं क्योंकि वह पवित्र है। - रिचर्ड डी हॉन
परमेश्वर की जो पवित्रता पापी को दोषी सिद्ध करती है, वही धर्मी को सांत्वना भी देती है।
...सेनाओं का यहोवा पवित्र, पवित्र, पवित्र है; सारी पृथ्वी उसके तेज से भरपूर है। - यशायाह ६:३
बाइबल पाठ: भजन ४८
हमारे परमेश्वर के नगर में, और अपने पवित्र पर्वत पर यहोवा महान और अति स्तुति के योग्य है!
सिय्योन पर्वत ऊंचाई में सुन्दर और सारी पृथ्वी के हर्ष का कारण है, राजाधिराज का नगर उत्तरीय सिरे पर है।
उसके महलों में परमेश्वर ऊंचा गढ़ माना गया है।
क्योंकि देखो, राजा लोग इकट्ठे हुए, वे एक संग आगे बढ़ गए।
उन्होंने आप ही देखा और देखते ही विस्मित हुए, वे घबराकर भाग गए।
वहां कंपकंपी ने उनको आ पकड़ा, और जच्चा की सी पीड़ाएं उन्हें होने लगीं।
तू पूर्वी वायु से तर्शीश के जहाजों को तोड़ डालता है।
सेनाओं के यहोवा के नगर में, अपने परमेश्वर के नगर में, जैसा हम ने सुना था, वैसा देखा भी है; परमेश्वर उसको सदा दृढ़ और स्थिर रखेगा।
हे परमेश्वर हम ने तेरे मन्दिर के भीतर तेरी करूणा पर ध्यान किया है।
हे परमेश्वर तेरे नाम के योग्य तेरी स्तुति पृथ्वी की छोर तक होती है। तेरा दहिना हाथ धर्म से भरा है;
तेरे न्याय के कामों के कारण सिय्योन पर्वत आनन्द करे, और यहूदा के नगर की पुत्रियां मगन हों!
सिय्योन के चारों ओर चलो, और उसकी परिक्रमा करो, उसके गुम्मटों को गिन लो,
उसकी शहरपनाह पर दृष्टि लगाओ, उसके महलों को ध्यान से देखो; जिस से कि तुम आने वाली पीढ़ी के लोगों से इस बात का वर्णन कर सको।
क्योंकि वह परमेश्वर सदा सर्वदा हमारा परमेश्वर है, वह मृत्यु तक हमारी अगुवाई करेगा।
एक साल में बाइबल:
- गिनती ९-११
- मरकुस ५:१-२०