ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शनिवार, 6 दिसंबर 2014

प्रोत्साहन


   क्या आपको प्रोत्साहन की आवश्यकता है? क्या संसार से मिल रहे विभिन्न निराशाजनक तथा बुरे समाचारों के कारण आपको कुछ ऐसा चाहिए जो आपको उभार सके, थोड़ा बढ़ावा दे सके? परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन संहिता में आपको अनेक ऐसे खण्ड मिल जाएंगे जो आपको हर परिस्थिति में प्रोत्साहित कर सकते हैं, उभार सकते हैं।

   उदाहरण के लिए भजन 19 को लीजिए - यहाँ पद 7-9 में हमें उन सकारात्मक बातों की एक संक्षिप्त सूची मिलती है जो परमेश्वर के नियम और व्यवस्था के पालन से होती हैं। परमेश्वर की व्यवस्था और नियम की बात सुनते ही लोगों के मन में संकोच होता है, उन्हें लगता है कि ये वे बातें हैं जो हमारी स्वतंत्रता को छीन लेती हैं, हमें बाँध देती हैं, हमारे आनन्द को भंग कर देती हैं। इस भजन के लेखक ने परमेश्वर के निर्देशों के बारे में कुछ शब्दों का प्रयोग किया है, उसने उन्हें व्यव्स्था, नियम, उपदेश, आज्ञा, यहोवा का भय, धर्ममय इत्यादि कहा है। इन शब्दों से बहुतेरे लोग डरते हैं, उन के तात्पर्य को शक की दृष्टि से देखते हैं, उनका तिरिस्कार करते हैं। लेकिन साथ ही यह भी देखिए कि इन बातों पर विश्वास करने तथा उन्हें मानने वालों के लिए परमेश्वर ने क्या आशीषें रख छोड़ी हैं - प्राणों की बहाली, बुद्धिमता, आनन्दित हृदय, ज्योतिर्मय आँखें, स्थिरता, सत्य और धार्मिकता।

   अब ऐसा अद्भुत प्रोत्साहन और कहाँ मिलेगा? इसीलिए इस भजन का लेखक दाऊद परमेश्वर की वयवस्था और नियमों के लिए कहता है: "वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं; वे मधु से और टपकने वाले छत्ते से भी बढ़कर मधुर हैं" (भजन 19:10)। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर के वचन का पालन ही मसीही विश्वासी की सबसे बड़ी स्वतंत्रता है।

जब तेरे वचन मेरे पास पहुंचे, तब मैं ने उन्हें मानो खा लिया, और तेरे वचन मेरे मन के हर्ष और आनन्द का कारण हुए; क्योंकि, हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, मैं तेरा कहलाता हूँ। - यिर्मयाह 15:16 

बाइबल पाठ: भजन 19
Psalms 19:1 आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। 
Psalms 19:2 दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है। 
Psalms 19:3 न तो कोई बोली है और न कोई भाषा जहां उनका शब्द सुनाई नहीं देता है। 
Psalms 19:4 उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूंज गया है, और उनके वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं। उन में उसने सूर्य के लिये एक मण्डप खड़ा किया है, 
Psalms 19:5 जो दुल्हे के समान अपने महल से निकलता है। वह शूरवीर की नाईं अपनी दौड़ दौड़ने को हर्षित होता है। 
Psalms 19:6 वह आकाश की एक छोर से निकलता है, और वह उसकी दूसरी छोर तक चक्कर मारता है; और उसकी गर्मी सब को पहुंचती है।
Psalms 19:7 यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के नियम विश्वासयोग्य हैं, साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं; 
Psalms 19:8 यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आंखों में ज्योति ले आती है; 
Psalms 19:9 यहोवा का भय पवित्र है, वह अनन्तकाल तक स्थिर रहता है; यहोवा के नियम सत्य और पूरी रीति से धर्ममय हैं। 
Psalms 19:10 वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं; वे मधु से और टपकने वाले छत्ते से भी बढ़कर मधुर हैं। 
Psalms 19:11 और उन्हीं से तेरा दास चिताया जाता है; उनके पालन करने से बड़ा ही प्रतिफल मिलता है। 
Psalms 19:12 अपनी भूलचूक को कौन समझ सकता है? मेरे गुप्त पापों से तू मुझे पवित्र कर। 
Psalms 19:13 तू अपने दास को ढिठाई के पापों से भी बचाए रख; वह मुझ पर प्रभुता करने न पाएं! तब मैं सिद्ध हो जाऊंगा, और बड़े अपराधों से बचा रहूंगा।। 
Psalms 19:14 मेरे मुंह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहण योग्य हों, हे यहोवा परमेश्वर, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार करने वाले!

एक साल में बाइबल: 
  • कुलुस्सियों 1-4