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बुधवार, 21 जुलाई 2010

सुन्दरता

अलास्का के बाहर एक स्थान, ’एंकरेज’ में मैंने एक बहुत सुन्दर दृश्य देखा। स्लेटी आकश की पृष्टभूमि में समुद्र का मुहाना हलकी हरियाली लिये हुए था और उसमें कुछ सफेद टोपीनुमा चीज़ें दिख रहीं थीं। थोड़ी देर में स्पष्ट हो गया कि वे सफेद टोपीनुमा चीज़ें वास्तव में सफेद व्हेल मछलियां थीं जो किनारे से केवल ५० फीट की दूरी पर झुंड के रूप में अपना भोजन ले रहीं थीं। समुद्र की लहरों के लयबद्ध संगीत और उसमें सफेद व्हेल मछलियों की अटखेलियां, सब देखने वाले शांत और मंत्रमुग्ध थे, जैसे उस पल के लिये अन्य कुछ भी कोई अर्थ नहीं रखता था।

सभोपदेशक का लेखक वहां जमा भीड़ की इस प्रतिक्रिया को भली भांति समझ सकता था। उसने बड़ी स्पष्टता से इस सृष्टि की भवय सुन्दरता को देखा और यह भी कि परमेश्वर ने "मनुष्यों के मन में अनादि-अनन्त काल का ज्ञान उत्पन्न किया है" (सभोपदेशक ३:११)। ऐसा सुन्दर वाक्यांश मनुष्य के अनुभवों से ही संबंधित नहीं है, उसमें धार्मिकता का भी बोध है; किंतु हमारे मन अनन्त की समझ धर्म के बाहर भी कर सकते हैं।

सभोपदेशक इस संसार और जीवन के दोनो पहलुओं को दिखाता है: प्रथम, संसार की ऐसी लुभावनी बातें और वशीभूत करने वाले भोग-विलास कि मनुष्य अपना सारा जीवन उनके पीछे गवां दे और दूसरा यह कि भोग-विलास में सन्तुष्टि नहीं है। परमेश्वर का अद्‍भुत संसार हमारी अपनी समझ की सीमाओं से बहुत बड़ा है, उसके प्रति सही दृष्टिकोण रखने के लिये हमें परमेश्वर की सहायता अनिवार्य है। जब तक हम अपनी सीमाएं मान कर अपने आप को परमेश्वर के नियमों के आधीन नहीं कर देते, और जब तक हम जीवन की हर भली भेंट के देने वाले पर सच्चा विश्वास नहीं कर लेते, तब तक हमारे अपने प्रयासों का अन्त निराशा ही होगी।

किंतु जब हम परमेश्वर और उसके नियमों की सहायता से इस संसार को निहारेंगे और उपयोग करेंगे तो न केवल लौकिक भवयता तथा सुन्दरता का सही आनन्द ले पाएंगे, वरन लौकिक द्वारा अलौकिक का बोध भी कर पाएंगे। - फिलिप यैन्सी


आज का सर्वाधिक लाभ उठाने के लिये सनातन को ध्यान में रखें।


बाइबल पाठ: सभोपदेशक ३:९-१७

काम करने वाले को अधिक परिश्र्म से क्या लाभ होता है?

मैं ने उस दु:ख भरे काम को देखा है जो परमेश्वर ने मनुष्यों के लिये ठहराया है कि वे उस में लगे रहें।

उस ने सब कुछ ऐसा बनाया कि अपने अपने समय पर वे सुन्दर होते हैं, फिर उस ने मनुष्यों के मन में अनादि-अनन्त काल का ज्ञान उत्पन्न किया है, तौभी काल का ज्ञान उत्पन्न किया है, वह आदि से अन्त तक मनुष्य बूझ नहीं सकता।

मैं ने जान लिया है कि मनुष्यों के लिये आनन्द करने और जीवन भर भलाई करने के सिवाय, और कुछ भी अच्छा नहीं;

और यह भी परमेश्वर का दान है कि मनुष्य खाए-पीए और अपने सब परिश्र्म में सुखी रहे।

मैं जानता हूं कि जो कुछ परमेश्वर करता है वह सदा स्थिर रहेगा; न तो उस में कुछ बढ़ाया जा सकता है और न कुछ घटाया जा सकता है, परमेश्वर ऐसा इसलिये करता है कि लोग उसका भय मानें।

जो कुछ हुआ वह इस से पहिले भी हो चुका, जो होनेवाला है, वह हो भी चुका है, और परमेश्वर बीती हुई बात को फिर पूछता है।

फिर मैं ने संसार में क्या देखा कि न्याय के स्थान में दुष्टता होती है, और धर्म के स्थान में भी दुष्टता होती है।

मैं ने मन में कहा, परमेश्वर धर्मी और दुष्ट दोनों का न्याय करेगा, क्योंकि उसके यहां एक एक विषय और एक एक काम का समय है।

एक साल में बाइबल:
  • भजन २९, ३०
  • प्रेरितों के काम २३:१-१५