मैं
जब एक मसीही पत्रिका में प्रशिक्षार्थी होकर कार्य कर रहा था, तब मैंने एक ऐसे
व्यक्ति के बारे में लिखा जिसने मसीही विश्वास को ग्रहण किया था। इसके बाद उसके
जीवन में नाटकीय परिवर्तन आया, और उसने अपनी पुरानी जीवन शैली को त्याग कर अपने नए
स्वामी, प्रभु यीशु मसीह का पूर्णतः अनुसरण करना आरंभ कर दिया। पत्रिका के उस अंक
के छपकर वितरण में आने के कुछ दिन के पश्चात, एक अज्ञात व्यक्ति ने गुमनाम फोन
करके मुझे धमकाया और कहा, “दरमानी सावधान रहना। हम तुम पर दृष्टि रखे हुए हैं! यदि
तुम ऐसी कहानियाँ लिखते रहोगे तो इस देश में तुम्हारा जीवन खतरे में है।”
अपने
मसीही विश्वास और लोगों को मसीह यीशु की ओर आकर्षित करने में केवल यही अवसर नहीं
था, जब मुझे धमकाया गया हो। एक बार एक व्यक्ति ने, जिसे मैं प्रभु यीशु मसीह के
बारे में एक पर्चा देने का प्रयास कर रहा था, मुझसे कहा कि मैं उस पर्चे के साथ
वहाँ से चला जाऊँ, नहीं तो...। दोनों ही बार मैं भयभीत हुआ था। परन्तु ये तो केवल
मौखिक धमकियां थीं। अनेकों मसीही विश्वासियों के विरुद्ध तो धमकियों को
कार्यान्वित भी किया गया है। कुछ स्थानों पर तो मात्र भक्ति का जीवन बिताने भर के
कारण मसीही विश्वासियों को लोगों से दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है।
परमेश्वर
के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि परमेश्वर ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता से कहा, “...जिस
किसी के पास मैं तुझे भेजूं वहां तू जाएगा, और जो कुछ
मैं तुझे आजा दूं वही तू कहेगा” (यिर्मयाह 1:7)। प्रभु
यीशु ने भी अपने शिष्यों से कहा था, “देखो, मैं
तुम्हें भेड़ों के समान भेडिय़ों के बीच में भेजता हूं...” (मत्ती 10:16)। निश्चय ही मसीही सेवकाई में हमें धमकियों, कठिनाइयों, और
पीड़ा का अनुभव करना पड़ सकता है, परन्तु परमेश्वर का आश्वासन है कि वह हमारे साथ
रहेगा। परमेश्वर ने यिर्मयाह से कहा, “तू उनके मुख को देखकर मत डर,
क्योंकि तुझे छुड़ाने के लिये मैं तेरे साथ हूँ, यहोवा की यही वाणी है”(यिर्मयाह 1:8), और प्रभु
यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “...देखो, मैं जगत
के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं” (मत्ती 28:20)।
प्रभु
यीशु मसीह के लिए जीवन व्यतीत करने में हमें चाहे जैसे भी संघर्ष का सामना करना
पड़े, हमारा प्रभु परमेश्वर सदा हमारे साथ बना रहता है।
धन्य हैं वे, जो धर्म
के कारण सताए जाते हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का
है। - मत्ती 5:10
बाइबल पाठ: यिर्मयाह 1:1-10
Jeremiah 1:1 हिल्किय्याह का पुत्र
यिर्मयाह जो बिन्यामीन देश के अनातोत में रहने वाले याजकों में से था, उसी के ये वचन हैं।
Jeremiah 1:2 यहोवा का वचन उसके पास आमोन
के पुत्र यहूदा के राजा योशिय्याह के दिनों में उसके राज्य के तेरहवें वर्ष में
पहुंचा।
Jeremiah 1:3 इसके बाद योशिय्याह के पुत्र
यहूदा के राजा यहोयाकीम के दिनों में, और योशिय्याह के पुत्र
यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्य के ग्यारहवें वर्ष के अन्त तक भी प्रगट होता
रहा जब तक उसी वर्ष के पांचवें महीने में यरूशलेम के निवासी बंधुआई में न चले गए।
Jeremiah 1:4 तब यहोवा का यह वचन मेरे पास
पहुंचा,
Jeremiah 1:5 गर्भ में रचने से पहिले ही
मैं ने तुझ पर चित्त लगाया, और उत्पन्न होने से पहिले ही मैं
ने तुझे अभिषेक किया; मैं ने तुझे जातियों का भविष्यद्वक्ता
ठहराया।
Jeremiah 1:6 तब मैं ने कहा, हाय, प्रभु यहोवा! देख, मैं तो
बोलना ही नहीं जानता, क्योंकि मैं लड़का ही हूँ।
Jeremiah 1:7 परन्तु यहोवा ने मुझ से कहा,
मत कह कि मैं लड़का हूँ; क्योंकि जिस किसी के
पास मैं तुझे भेजूं वहां तू जाएगा, और जो कुछ मैं तुझे आजा
दूं वही तू कहेगा।
Jeremiah 1:8 तू उनके मुख को देखकर मत डर,
क्योंकि तुझे छुड़ाने के लिये मैं तेरे साथ हूँ, यहोवा की यही वाणी है।
Jeremiah 1:9 तब यहोवा ने हाथ बढ़ाकर मेरे
मुंह को छुआ; और यहोवा ने मुझ से कहा, देख,
मैं ने अपने वचन तेरे मुंह में डाल दिये हैं।
Jeremiah 1:10 सुन, मैं
ने आज के दिन तुझे जातियों और राज्यों पर अधिकारी ठहराया है; उन्हें गिराने और ढा देने के लिये, नाश करने और काट
डालने के लिये, या उन्हें बनाने और रोपने के लिये।
एक साल में बाइबल:
- यिर्मयाह 1-2
- 1 तिमुथियुस 3