1924 में जौनी नामक एक बालक ने, जिसे बास्केटबॉल खेलना बहुत अच्छा लगता था, गाँव के एक छोटे से स्कूल से आठवीं कक्षा की परीक्षा पास करी। उसके पिता का दिल अपने बेटे के लिए प्रेम से तो भरा था, किन्तु बेटे के स्कूल पास कर लेने पर उसे कोई ईनाम दे पाने के लिए उनकी जेब खाली थी। इसलिए जौनी के पिता ने उसे एक कार्ड पर जीवन निर्वाह के 7 सिद्धांत लिख कर ईनाम के रूप में दिए, और उसे प्रोत्साहित किया कि वह उनका प्रतिदिन पालन करना आरंभ कर दे। उन सात सिद्धांतों में से तीन थे: अच्छी पुस्तकों का, विशेष कर परमेश्वर के वचन बाइबल का प्रतिदिन गहराई के साथ अध्य्यन करना; प्रत्येक दिन को अपनी सर्वश्रेष्ठ कृति बनाने का प्रयास करना; और, प्रतिदिन अपने मार्गदर्शन के लिए परमेश्वर से प्रार्थना करना और उससे मिलने वाली आशीषों के लिए प्रतिदिन उसका धन्यवादी बने रहना।
अपने सारे जीवन भर जौनी परमेश्वर से सामर्थ माँग कर अपना प्रत्येक दिन व्यतीत करता रहा। बड़ा होकर वह एक उतकृष्ठ बास्केटबॉल खिलाड़ी बना जिसने परड्यू विश्वविद्यालय में तीन बार सर्वश्रेष्ठ अमेरीकी बास्केटबॉल खिलाड़ी होने का खिताब जीता, और फिर आगे चलकर वह तब तक का सर्वश्रेष्ठ बास्केटबॉल प्रशिक्षक भी बना। जब 99 वर्ष की आयु में प्रशिक्षक जौन वुडेन की मृत्यु हुई, वह मृत्योप्रांत सबसे अधिक अपने चरित्र, अपने विश्वास और अनेक जीवनों को प्रभावित करने के लिए सराहे गए।
परमेश्वर का वचन बाइबल आपके जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन और उन्नति लाने की सामर्थ रखती है। उसका हर खण्ड परमेश्वर के अद्भुत ज्ञान तथा सामर्थ से परिपूर्ण है। प्रभु यीशु ने अपने चेलों को एक छोटी सी प्रार्थना सिखाई (मत्ती 6:9-13); किन्तु इस छोटी सी प्रार्थना में परमेश्वर और उससे हमारे संबंध के बारे में विलक्षण बातें हैं। यह प्रार्थना सिखाती है कि परमेश्वर से हमारा संबंध पिता और सन्तान का है और हम इसी संबंध के आधार पर प्रार्थना में उसके सम्मुख निसंकोच आ सकते हैं; उसकी आराधना और स्तुति कर सकते हैं (पद 9); हमें परमेश्वर के राज्य और उसकी इच्छा के खोजी होना चाहिए (पद 10); अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उस पर भरोसा रखना चाहिए (पद 11); और उससे क्षमा, छुटकारा तथा सामर्थ लेते रहना चाहिए (पद 12-13)।
परमेश्वर के वचन बाइबल की यह अद्भुत शिक्षाएं, जैसे जौनी के जीवन में वैसे ही हमारे जीवनों में भी अद्भुत कार्य कर सकती हैं और हमें सामर्थ प्रदान कर सकती हैं कि हम भी अपने चरित्र, अपने विश्वास और अनेक जीवनों को प्रभावित करने के लिए जाने तथा सराहे जाने वाले व्यक्ति हो सकें। - डेविड मैक्कैसलैण्ड
प्रभु यीशु के प्रति समर्पण प्रतिदिन निर्वाह की बुलाहट है।
जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से। - भजन 119:9
बाइबल पाठ: मत्ती 6:5-15
Matthew 6:5 और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े हो कर प्रार्थना करना उन को अच्छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।
Matthew 6:6 परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्द कर के अपने पिता से जो गुप्त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
Matthew 6:7 प्रार्थना करते समय अन्यजातियों की नाईं बक बक न करो; क्योंकि वे समझते हैं कि उनके बहुत बोलने से उन की सुनी जाएगी।
Matthew 6:8 सो तुम उन की नाईं न बनो, क्योंकि तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि तुम्हारी क्या क्या आवश्यक्ता है।
Matthew 6:9 सो तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो; “हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए।
Matthew 6:10 तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।
Matthew 6:11 हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे।
Matthew 6:12 और जिस प्रकार हम ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर।
Matthew 6:13 और हमें परीक्षा में न ला, परन्तु बुराई से बचा; क्योंकि राज्य और पराक्रम और महिमा सदा तेरे ही हैं।” आमीन।
Matthew 6:14 इसलिये यदि तुम मनुष्य के अपराध क्षमा करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा।
Matthew 6:15 और यदि तुम मनुष्यों के अपराध क्षमा न करोगे, तो तुम्हारा पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा न करेगा।
एक साल में बाइबल:
- प्रेरितों 22-24