ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

सही दिशा

   मेरे पास्टर होने के जीवन के सबसे कठिन अनुभवों में से एक था अपने चर्च की एक सदस्या को बताना कि उसके पति, पुत्र और ससुर सब की मृत्यु एक नौका दुर्घटना में डूबने से हो गई है। मैं जानता था कि यह समाचार उसके जीवन को बिखरा के रख देगा।

   इस दुखद घटना के बाद के दिनों में, मुझे उसके तथा उसके परिवार के अन्य सदस्यों के अप्रत्याशित विश्वास को देखकर बहुत अचरज हुआ। अवश्य ही उनके जीवन टूट गए थे, उनके मनों में असमंजस और व्याकुलता थी, यद्यपि उनके लिए अन्य हर बात अर्थहीन थी, फिर भी वे प्रभु यीशु के पास थे। समझ से बाहर कठिनाई के अपने उस समय में वे उसे तजने की बजाए, उसी में शरण लेकर उससे अपनी उम्मीद और साहस प्राप्त करते रहे थे। इस भयानक त्रासदी में उनके लिए आशा का एकमात्र स्त्रोत प्रभु यीशु ही था।

   इससे मुझे प्रभु यीशु के चेलों की प्रतिक्रिया स्मरण हो आई, जब उन चेलों में से कुछ ने प्रभु यीशु को छोड़ कर वापस जाने का निर्णय लिया क्योंकि वे प्रभु की बातें समझ नहीं पा रहे थे (यूहन्ना ६:६६)। तब प्रभु यीशु ने अपने अन्य चेलों से मुड़कर पूछा, "क्या तुम भी चले जाना चाहते हो?" (यूहन्ना ६:६७); तब पतरस का उत्तर था, "हे प्रभु हम किस के पास जाएं? अनन्‍त जीवन की बातें तो तेरे ही पास हैं" (यूहन्ना ६:६८)।

   आज आप जिस भी परिस्थिति का सामना कर रहे हों, पतरस के उत्तर और उस साहसिक परिवार के उदाहरण से, जिसने अप्रत्याशित कठिन परिस्थितियों में भी अपने विश्वास को कायम रखा, प्रोत्साहन लें। जब तक अपने साहस तथा सामर्थ के लिए आप यीशु के साथ बढ़ रहे हैं आप सही दिशा में बढ़ रहे हैं। हर परिस्थिति का सामना करने का साहस और उस पर जयवंत होने की सामर्थ आपको वहीं मिलेगी, क्योंकि उसका वायदा है कि वह ना कभी छोड़ेगा और ना कभी त्यागेगा (इब्रानियों १३:५)। - जो स्टोवेल


जब सब छूट जाए तब स्मरण रखें कि यीशु कभी नहीं छोड़ता; उसी की शरण में ही सच्ची शांति है।

शमौन पतरस ने उस को उत्तर दिया, कि "हे प्रभु हम किस के पास जाएं? अनन्‍त जीवन की बातें तो तेरे ही पास हैं"। - यूहन्ना ६:६८

बाइबल पाठ: यूहन्ना ६:५३-६९
Joh 6:53  यीशु ने उन से कहा; मैं तुम से सच सच कहता हूं जब तक मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, और उसका लोहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं।
Joh 6:54 जो मेरा मांस खाता, और मेरा लोहू पीता हे, अनन्‍त जीवन उसी का है, और मैं अंतिम दिन फिर उसे जिला उठाऊंगा।
Joh 6:55 क्‍योंकि मेरा मांस वास्‍तव में खाने की वस्‍तु है और मेरा लोहू वास्‍तव में पीन की वस्‍तु है।
Joh 6:56  जो मेरा मांस खाता और मेरा लोहू पीता है, वह मुझ में स्थिर बना रहता है, और मैं उस में।
Joh 6:57  जैसा जीवते पिता ने मुझे भेजा और मैं पिता के कारण जीवित हूं वैसा ही वह भी जो मुझे खाएगा मेरे कारण जीवित रहेगा।
Joh 6:58 जो रोटी स्‍वर्ग से उतरी यही है, बापदादों के समान नहीं कि खाया, और मर गए: जो कोई यह रोटी खाएगा, वह सर्वदा जीवित रहेगा।
Joh 6:59  ये बातें उस ने कफरनहूम के एक आराधनालय में उपदेश देते समय कहीं।
Joh 6:60  इसलिये उसके चेलों में से बहुतों ने यह सुनकर कहा, कि यह बात नागवार है; इसे कौन सुन सकता है?
Joh 6:61 यीशु ने अपने मन में यह जान कर कि मेरे चेले आपस में इस बात पर कुड़कुड़ाते हैं, उन से पूछा, क्‍या इस बात से तुम्हें ठोकर लगती है?
Joh 6:62 और यदि तुम मनुष्य के पुत्र को जहां वह पहिले था, वहां ऊपर जाते देखोगे, तो क्‍या होगा?
Joh 6:63  आत्मा तो जीवनदायक है, शरीर से कुछ लाभ नहीं: जो बातें मैं ने तुम से कहीं हैं वे आत्मा है, और जीवन भी हैं।
Joh 6:64 परन्‍तु तुम में से कितने ऐसे हैं जो विश्वास नहीं करते: क्‍योंकि यीशु तो पहिले ही से जानता था कि जो विश्वास नहीं करते, वे कौन हैं और कौन मुझे पकड़वाएगा।
Joh 6:65  और उस ने कहा, इसी लिये मैं ने तुम से कहा था कि जब तक किसी को पिता की ओर यह वरदान न दिया जाए तक तक वह मेरे पास नहीं आ सकता।
Joh 6:66  इस पर उसके चेलों में से बहुतेरे उल्टे फिर गए और उसके बाद उसके साथ न चले।
Joh 6:67 तब यीशु ने उन बारहों से कहा, क्‍या तुम भी चले जाना चाहते हो?
Joh 6:68 शमौन पतरस ने उस को उत्तर दिया, कि "हे प्रभु हम किस के पास जाएं? अनन्‍त जीवन की बातें तो तेरे ही पास हैं"।
Joh 6:69  और हम ने विश्वास किया, और जान गए हैं, कि परमेश्वर का पवित्र जन तू ही है।


एक साल में बाइबल: 

  • गिनती १-३ 
  • मरकुस ३