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शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2015

रोटी


   ऐसे समाज में जहाँ भोजन वस्तुओं की बहुतायत और विविधता हो, रोटी को दैनिक भोजन के अनिवार्य भाग के रूप में नहीं देखा जाता है; कुछ लोग कई दिन तक बिना रोटी खाए भी अन्य वस्तुओं को खाते हुए सरलता से रह लेते हैं। लेकिन प्रभु यीशु के जीवनकाल में रोटी भोजन का अनिवार्य भाग थी; रोटी बिना भोजन की कलपना भी नहीं की जा सकती थी।

   एक दिन लोगों की एक भीड़ प्रभु यीशु को खोजती हुई आई क्योंकि उन्होंने पाँच रोटी और दो मछलियों के सहारे पाँच हज़ार से अधिक लोगों की भीड़ को खिलाया था (यूहन्ना 6:11, 26)। लोगों ने चाहा कि प्रभु यीशु उनके सामने कोई आश्चर्यकर्म करें, जैसे कि परमेश्वर ने स्वर्ग से मन्ना बरसा कर अपने लोगों की बियाबान में आवश्यकता-पूर्ति करी थी (यूहन्ना 6:30-31, निर्गमन 16:4)। लेकिन जब प्रभु यीशु ने उनसे कहा कि यीशु स्वयं ही स्वर्ग से उतरने वाली सच्ची रोटी हैं तो लोगों को उनकी बात समझ नहीं आई। लोग अपने सामने प्रत्यक्ष दैनिक भोजन वाली रोटी चाहते थे, परन्तु प्रभु यीशु उनसे उनकी आध्यात्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली आत्मिक रोटी की बात कर रहा था। प्रभु यीशु का तात्पर्य था कि यदि वे साधारण सामान्य विश्वास से उसके वचनों को ग्रहण करें और अपने जीवन में उन्हें लागू करें, तो वे ना केवल अपने दैनिक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति को होता देखेंगे वरन अनन्त आत्मिक संतुष्टि को भी अनुभव करेंगे (पद 35)।

   प्रभु यीशु हमारे जीवनों में वैकल्पिक संसाधन बनकर नहीं आना चाहता; वह हमारे जीवन का अनिवार्य भाग बनकर रहना चाहता है, ऐसा भाग जिसके बिना हमारे लिए कुछ भी कर पाने की सामर्थ रखना असंभव हो। जैसे प्रभु यीशु के समय के वे लोग बिना रोटी के भोजन की कलपना भी नहीं कर सकते थे, वैसे ही आज हम भी बिना प्रभु यीशु के जीवन की कलपना ना करें। - मार्विन विलियम्स


केवल सच्ची आत्मिक रोटी ही आत्मा की भूख मिटा सकती है।

जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी मैं हूं। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा और जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिये दूंगा, वह मेरा बदन है। - यूहन्ना 6:51 

बाइबल पाठ: यूहन्ना 6:24-35
John 6:24 सो जब भीड़ ने देखा, कि यहां न यीशु है, और न उसके चेले, तो वे भी छोटी छोटी नावों पर चढ़ के यीशु को ढूंढ़ते हुए कफरनहूम को पहुंचे। 
John 6:25 और झील के पार उस से मिलकर कहा, हे रब्बी, तू यहां कब आया? 
John 6:26 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच सच कहता हूं, तुम मुझे इसलिये नहीं ढूंढ़ते हो कि तुम ने अचम्भित काम देखे, परन्तु इसलिये कि तुम रोटियां खाकर तृप्‍त हुए। 
John 6:27 नाशमान भोजन के लिये परिश्रम न करो, परन्तु उस भोजन के लिये जो अनन्त जीवन तक ठहरता है, जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा, क्योंकि पिता, अर्थात परमेश्वर ने उसी पर छाप कर दी है। 
John 6:28 उन्होंने उस से कहा, परमेश्वर के कार्य करने के लिये हम क्या करें? 
John 6:29 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया; परमेश्वर का कार्य यह है, कि तुम उस पर, जिसे उसने भेजा है, विश्वास करो। 
John 6:30 तब उन्होंने उस से कहा, फिर तू कौन का चिन्ह दिखाता है कि हम उसे देखकर तेरी प्रतीति करें, तू कौन सा काम दिखाता है? 
John 6:31 हमारे बाप दादों ने जंगल में मन्ना खाया; जैसा लिखा है; कि उसने उन्हें खाने के लिये स्वर्ग से रोटी दी। 
John 6:32 यीशु ने उन से कहा, मैं तुम से सच सच कहता हूं कि मूसा ने तुम्हें वह रोटी स्वर्ग से न दी, परन्तु मेरा पिता तुम्हें सच्ची रोटी स्वर्ग से देता है। 
John 6:33 क्योंकि परमेश्वर की रोटी वही है, जो स्वर्ग से उतरकर जगत को जीवन देती है। 
John 6:34 तब उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, यह रोटी हमें सर्वदा दिया कर। 
John 6:35 यीशु ने उन से कहा, जीवन की रोटी मैं हूं: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी प्यासा न होगा। 

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 32-33
  • कुलुस्सियों 1