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गुरुवार, 4 नवंबर 2010

बीज बोइये और फसल काटिये

मैंने एक छोटी कहानी पढ़ी - एक आदमी बीजों की दुकान में बीज देख रहा था, उसे अचानक विचित्र दृश्य दिखाई दिया, वहां परमेश्वर बीज बेचने वाला बनकर खड़ा था। वह आदमी तुरंत परमेश्वर के पास गया और उससे पूछा "आप क्या बेच रहे हैं?" परमेश्वर ने पलट कर पूछा "आप क्या चाहते हैं; आपके दिल की क्या इच्छा है?" आदमी ने उतर दिया "मैं केवल अपने लिये ही नहीं, सारे संसार के लिये खुशी, शांति और भय से मुक्ति चाहता हूँ।" परमेश्वर मुस्कुराया और बोला, "मैं बीज बेचता हूँ, फल नहीं!"

परमेश्वर के वचन, बाइबल में पौलुस ने जीवन में परमेश्वर का आदर और आज्ञाकारिता वाले व्यवहार रूपी बीज बोने के महत्व पर ज़ोर दिया, "क्‍योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा" (गलतियों ६:७)। यदि परमेश्वर की आशीशों के फल अनुभव करने हैं तो हमें अपना कर्तव्य भी निभाना होगा; उसके बिना यह सम्भव नहीं होगा।

इस कर्तव्य के निर्वाह में उन लोगों के उदाहरण का अनुसरण करना सहायक होगा जो अपने जीवनों में अच्छे बीज बोते रहे हैं। लेखक सैमुएल शूमेकर का कहना है कि अच्छा उदाहरण या तो हमें वैसा ही करने के लिये प्रेरित कर सकता है, यह हमें यह कहने के लिये बाध्य कर सकता है कि "हां, वह व्यक्ति ऐसा है। वह मेरी तरह गुस्से या अधीरता या चिंता से विचिलित नहीं होता। उसके स्वभाव में आनन्द है।" शूमेकर ने आगे कहा "शायद हम यह भूल जाते हैं कि उस व्यक्ति को मन की ऐसी शांति पाने के लिये बहुत संघर्ष करना पड़ा होगा, और जैसे संघर्ष कर के वह विजयी हुआ, हम भी वैसा ही संघर्ष करके विजयी हो सकते हैं।"

मसीही विश्वासी के लिये यह संघर्ष और आसान हो जाता है क्योंकि प्रभु यीशु ने अपने अनुयायीयों से वायदा किया "मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे" (यूहन्ना १४:२७)। संसार की हर परिस्थिति में मसीही विश्वासी के लिये शांति का स्रोत प्रभु यीशु है "मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शान्‍ति मिले। संसार में तुम्हें क्‍लेश होता है, परन्‍तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीत लिया है" (यूहन्ना १६:३३)।

क्या आप अपने आप से, अपने हालात से, अपने मन और जीवन की अशांति से परेशान हैं? प्रभु यीशु के पास आइये, समस्त संसार के लिये उसका खुला निमंत्रण है "हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो, और मुझ से सीखो, क्‍योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे" (मत्ती ११: २८, २९)। आज ही नये व्यवहार और नये जीवन के बीज बोना आरंभ कीजिए, परमेश्वर का आत्मा उन बीजों के फल आपके जीवन में उत्पन्न करेगा। - जोनी योडर


जो बीज हम आज बोएंगे, कल मिलने वाले फल उन्ही से निर्धारित होंगे।

...क्‍योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा। - गलतियों ६:७


बाइबल पाठ: गलतियों ६:७-१०

धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्‍योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा।
क्‍योंकि जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा; और जो आत्मा के लिये बोता है, वह आत्मा के द्वारा अनन्‍त जीवन की कटनी काटेगा।
हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्‍योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे।
इसलिये जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; विशेष करके विश्वासी भाइयों के साथ।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह ३२, ३३
  • इब्रानियों १