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शुक्रवार, 6 मार्च 2015

अनुग्रह और क्षमा


   जीवन कई बातों में मनोरंजन स्थलों पर पाई जाने वाली "बम्पर कारों" के समान होता है। उन कारों में आप यह जानते हुए बैठते हैं कि आपको टक्कर अवश्य लगेगी, बस यह नहीं पता कि किसके द्वारा और कितनी ज़ोर से लगेगी। जब किसी के द्वारा आपकी कार को टक्कर लगती है, तो फिर आप उसकी कार का पीछा करके उसे टक्कर मारने का प्रयास करते हैं, और वह भी उसकी दी हुई टक्कर से अधिक ज़ोर से!

   किसी मनोरंजन स्थल में, विशेष रीति से बनाई गई कारों में बैठकर ऐसा करना मनोरंजक हो सकता है, लेकिन वास्तविक जीवन में ऐसा करना बहुत हानिकारक होता है। यदि जीवन में कोई आपको टक्कर या ठोकर दे तो पलट कर उसे टक्कर या ठोकर देना समस्या का समाधान नहीं करता वरन बात को बढ़ाता ही है, और अन्ततः यह सभी के लिए हानिकारक होता है।

   प्रभु यीशु के पास ऐसे में अपनाने के लिए एक भिन्न तथा बेहतर कार्यनीति है - जो आपको टक्कर या ठोकर दें उन्हें क्षमा कर दो। प्रभु यीशु के चेले प्रेरित पतरस के समान हम भी प्रभु से पूछ सकते हैं कि हमारे द्वारा किसी को कितनी बार क्षमा करना उचित होगा? जो उत्तर प्रभु यीशु ने पतरस को दिया था, वही हमारे लिए भी लागू होता है; पतरस ने पूछा क्या सात बार क्षमा करना उचित होगा, तो प्रभु यीशु का उत्तर था, सात के सत्तर गुना बार (मत्ती 18:21-22)! दूसरे शब्दों में, जो प्रभु यीशु कहना चाह रहे थे वह था कि अनुग्रह तथा क्षमा की कोई सीमा नहीं है, हमें सदा ही अनुग्रह और क्षमा के भाव से बर्ताव करना चाहिए। इस संदर्भ में प्रभु यीशु ने एक नीतिकथा द्वारा समझाया कि अनुग्रह और क्षमा इसलिए नहीं है क्योंकि हमारा विरोध करने वाला इसके योग्य है, वरन इसलिए अनुग्रह और क्षमा का बर्ताव बनाए रखना है क्योंकि परमेश्वर हमारे प्रति यही बर्ताव बनाए रखता है: "तब उसके स्‍वामी ने उसको बुलाकर उस से कहा, हे दुष्‍ट दास, तू ने जो मुझ से बिनती की, तो मैं ने तो तेरा वह पूरा कर्ज क्षमा किया। सो जैसा मैं ने तुझ पर दया की, वैसे ही क्या तुझे भी अपने संगी दास पर दया करना नहीं चाहिए था?" (मत्ती 18:32-33)

   हम मसीही विश्वासी यह भली भांति जानते हैं कि परमेश्वर ने कैसे प्रभु यीशु द्वारा अनुग्रह में होकर हमें क्षमा किया है, अपने साथ हमारा मेल-मिलाप किया है, हमारे साथ वह प्रेम किया है जिसके हम कभी योग्य नहीं थे। क्योंकि यह बहुतायत का अनुग्रह और क्षमा हमें सेंत-मेंत प्रदान किया गया है, इसलिए हम वे लोग बनें जो बुरे व्यवहार के बदले में वैसा ही बुरा व्यवहार नहीं वरन अनुग्रह और क्षमा का बर्ताव लौटा कर दें। - जो स्टोवैल


हमारे द्वारा दुसरों के प्रति क्षमा के व्यवहार द्वारा परमेश्वर का अनुग्रह प्रगट होता है।

और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो। - इफिसियों 4:32

बाइबल पाठ: मत्ती 18:21-35
Matthew 18:21 तब पतरस ने पास आकर, उस से कहा, हे प्रभु, यदि मेरा भाई अपराध करता रहे, तो मैं कितनी बार उसे क्षमा करूं, क्या सात बार तक? 
Matthew 18:22 यीशु ने उस से कहा, मैं तुझ से यह नहीं कहता, कि सात बार, वरन सात बार के सत्तर गुने तक। 
Matthew 18:23 इसलिये स्वर्ग का राज्य उस राजा के समान है, जिसने अपने दासों से लेखा लेना चाहा। 
Matthew 18:24 जब वह लेखा लेने लगा, तो एक जन उसके साम्हने लाया गया जो दस हजार तोड़े धारता था। 
Matthew 18:25 जब कि चुकाने को उसके पास कुछ न था, तो उसके स्‍वामी ने कहा, कि यह और इस की पत्‍नी और लड़के बाले और जो कुछ इस का है सब बेचा जाए, और वह कर्ज चुका दिया जाए। 
Matthew 18:26 इस पर उस दास ने गिरकर उसे प्रणाम किया, और कहा; हे स्‍वामी, धीरज धर, मैं सब कुछ भर दूंगा। 
Matthew 18:27 तब उस दास के स्‍वामी ने तरस खाकर उसे छोड़ दिया, और उसका धार क्षमा किया। 
Matthew 18:28 परन्तु जब वह दास बाहर निकला, तो उसके संगी दासों में से एक उसको मिला, जो उसके सौ दीनार धारता था; उसने उसे पकड़कर उसका गला घोंटा, और कहा; जो कुछ तू धारता है भर दे। 
Matthew 18:29 इस पर उसका संगी दास गिरकर, उस से बिनती करने लगा; कि धीरज धर मैं सब भर दूंगा। 
Matthew 18:30 उसने न माना, परन्तु जा कर उसे बन्‍दीगृह में डाल दिया; कि जब तक कर्ज को भर न दे, तब तक वहीं रहे। 
Matthew 18:31 उसके संगी दास यह जो हुआ था देखकर बहुत उदास हुए, और जा कर अपने स्‍वामी को पूरा हाल बता दिया। 
Matthew 18:32 तब उसके स्‍वामी ने उसको बुलाकर उस से कहा, हे दुष्‍ट दास, तू ने जो मुझ से बिनती की, तो मैं ने तो तेरा वह पूरा कर्ज क्षमा किया। 
Matthew 18:33 सो जैसा मैं ने तुझ पर दया की, वैसे ही क्या तुझे भी अपने संगी दास पर दया करना नहीं चाहिए था? 
Matthew 18:34 और उसके स्‍वामी ने क्रोध में आकर उसे दण्‍ड देने वालों के हाथ में सौंप दिया, कि जब तक वह सब कर्जा भर न दे, तब तक उन के हाथ में रहे। 
Matthew 18:35 इसी प्रकार यदि तुम में से हर एक अपने भाई को मन से क्षमा न करेगा, तो मेरा पिता जो स्वर्ग में है, तुम से भी वैसा ही करेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 1-2
  • मरकुस 10:1-31