ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

गुरुवार, 5 नवंबर 2015

पुरुस्कार


   हमारे चर्च में बच्चों के लिए मसीही सेवकाई में हम जब बच्चों को कोई अच्छा व्यवहार करते देखते हैं तो उन्हें एक कार्ड देते हैं। बच्चे उन कार्डों को जमा करते रहते हैं और फिर उन कार्डों के बदले में, अपने अच्छे आचरण और व्यवहार के लिए पुरुस्कार ले लेते हैं। इसका उद्देश्य है किसी बुरे आचरण अथवा दुर्व्यवहार की बजाए, अच्छे आचरण और व्यवहार पर उनका ध्यान केंद्रित रखना। इस सेवकाई के अन्तर्गत जब चर्च के एक अगुवे ने 11 वर्षीय टायरी को एक कार्ड देना चाहा तो उसने कहा, "जी नहीं; धन्यवाद, मुझे कार्ड नहीं चाहिए। मैं केवल अच्छा व्यवहार बनाए रखना चाहता हूँ, चाहे उसके लिए मुझे कोई पुरुस्कार मिले या ना मिले।" उसके लिए सही कार्य करना ही अपने आप में एक पुरुस्कार था। उसका चरित्र अच्छा है और वह अच्छी बातों के साथ जीना चाहता है, चाहे उसे इसके लिए पुरुस्कार मिले या नहीं मिले।

   हम मसीही विश्वासियों को भी एक दिन पुरुस्कार मिलेंगे। परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा है, "क्योंकि अवश्य है, कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के साम्हने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उसने देह के द्वारा किए हों पाए" (2 कुरिन्थियों 5:10)। लेकिन यह प्रतिफल या पुरुस्कार प्राप्त करना ही हमारे लिए अच्छे आचरण को करने का कारण नहीं होना चाहिए; और ना ही हमारा अच्छा आचरण और अच्छे कार्य हमें उद्धार दिला सकते हैं, जो केवल पापों से पश्चाताप और मसीह यीशु पर लाए गए विश्वास से है। हमारे अच्छे आचर्फ़ण एवं व्यवहार का आधार है परमेश्वर के प्रति हमारा प्रेम। परमेश्वर के प्रति हमारे प्रेम के कारण, उसकी प्रसन्नता के लिए, हमें वह आचरण और व्यवहार प्रदर्शित करना चाहिए जो हमारे मसीही विश्वास के अनुरूप है, उसकी इच्छा के अनुसार है, हमारे मसीही विश्वास की प्रत्यक्ष गवाही है।

   यदि हम परमेश्वर से प्रेम करते हैं तो उसे, जिसने हम से हमारे पापों की दशा में भी हम से प्रेम किया (रोमियों 5:8), उसकी प्रसन्नता के लिए हमें वही करना चाहिए जो उसे पसन्द है, और पवित्र मन तथा शुद्ध ध्येय से उसकी आज्ञाकारिता में बने रहना चाहिए। हमारा सर्वोत्त्म पुरुस्कार होगा अनन्तकाल तक स्वर्ग में अपने परमेश्वर पिता के साथ बने रहना। - ऐनी सेटास


परमेश्वर को प्रसन्न करना ही हमारा उसके आज्ञाकारी रहने का मुख्य कारण है।

परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। - रोमियों 5:8

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 5:1-11
2 Corinthians 5:1 क्योंकि हम जानते हैं, कि जब हमारा पृथ्वी पर का डेरा सरीखा घर गिराया जाएगा तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग पर एक ऐसा भवन मिलेगा, जो हाथों से बना हुआ घर नहीं परन्तु चिरस्थाई है। 
2 Corinthians 5:2 इस में तो हम कराहते, और बड़ी लालसा रखते हैं; कि अपने स्‍वर्गीय घर को पहिन लें। 
2 Corinthians 5:3 कि इस के पहिनने से हम नंगे न पाए जाएं। 
2 Corinthians 5:4 और हम इस डेरे में रहते हुए बोझ से दबे कराहते रहते हैं; क्योंकि हम उतारना नहीं, वरन और पहिनना चाहते हैं, ताकि वह जो मरनहार है जीवन में डूब जाए। 
2 Corinthians 5:5 और जिसने हमें इसी बात के लिये तैयार किया है वह परमेश्वर है, जिसने हमें बयाने में आत्मा भी दिया है। 
2 Corinthians 5:6 सो हम सदा ढाढ़स बान्‍धे रहते हैं और यह जानते हैं; कि जब तक हम देह में रहते हैं, तब तक प्रभु से अलग हैं। 
2 Corinthians 5:7 क्योंकि हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्वास से चलते हैं। 
2 Corinthians 5:8 इसलिये हम ढाढ़स बान्‍धे रहते हैं, और देह से अलग हो कर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं। 
2 Corinthians 5:9 इस कारण हमारे मन की उमंग यह है, कि चाहे साथ रहें, चाहे अलग रहें पर हम उसे भाते रहें। 
2 Corinthians 5:10 क्योंकि अवश्य है, कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के साम्हने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उसने देह के द्वारा किए हों पाए। 
2 Corinthians 5:11 सो प्रभु का भय मानकर हम लोगों को समझाते हैं और परमेश्वर पर हमारा हाल प्रगट है; और मेरी आशा यह है, कि तुम्हारे विवेक पर भी प्रगट हुआ होगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 34-36
  • इब्रानियों 2