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गुरुवार, 7 अक्टूबर 2010

आपसी समझ

किसी भी आदमी के लिये अपनी पत्नि से प्रेम रखने का सर्वोत्तम तरीका है उसे समझना। पतरस ने कहा, अनिवार्य है कि "...हे पतियों, तुम भी बुद्धिमानी से पत्‍नियों के साथ जीवन निर्वाह करो..." (१ पतरस ३:७)।

यह सिद्धांत दोनो पक्षों पर लागू होता है। पति भी चाहते हैं कि पत्नियां उन्हें समझें। वास्तव में हम सब ऐसा चाहते हैं, चाहे हम शादीशुदा हों या नहीं। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उससे संबंधित लोग उसे भली भांति समझ सकें। हम इस इच्छा के साथ पैदा होते हैं और यह जीवन भर हमारे साथ बनी रहती है।

किसी के लिये हमारा यह कहना कि मैं उसे नहीं समझ पा रहा हूँ, बात टालने का सूचक है। अगर चाहें तो हम दूसरे को समझ सकते हैं और हमें समझना भी है। इसके लिये आवश्यक है उस व्यक्ति के प्रति धैर्य और उसके लिये समय निकालना। जब हम समय लगाकर, धैर्य के साथ दूसरे की सुनने को तैयार हों, बातों को स्पष्ट करने के लिये उससे विनम्रता के साथ बात करने और उसकी बातों को महत्व देने को तैयार हों, तो यह संभव हो सकता है - यह बस इतना ही सरल अथवा कठिन है! कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे के हृदय की गहराईयों को पूरी तरह चाहे नहीं समझ पाए, परन्तु उसके बारे में प्रतिदिन कुछ नया ज़रूर सीख सकता है। नीतिवचन के ज्ञानी लेखक ने कहा "जिसके पास बुद्धि है, उसके लिये वह जीवन का सोता है..." (नीतिवचन १६:२२)।

आज ही परमेश्वर से प्रार्थना में मांगें कि वह आपको यह अनुग्रह दे कि आप अपने जीवन से संबंधित लोगों के लिये समय निकल सकें, उनको समझ सकें। - डेविड रोपर


सुनना, समझने के लिये खुला द्वार है।

मनुष्य के मन की युक्ति अथाह तो है, तौभी समझ वाला मनुष्य उसको निकाल लेता है। - नीतिवचन २०:५


बाइबल पाठ: नीतिवचन १६:१६-२२

बुद्धि की प्राप्ति चोखे सोने से क्या ही उत्तम है! और समझ की प्राप्ति चान्दी से अति योग्य है।
बुराई से हटना सीधे लोगों के लिये राजमार्ग है, जो अपने चालचलन की चौकसी करता, वह अपने प्राण की भी रक्षा करता है।
विनाश से पहिले गर्व, और ठोकर खाने से पहले घमण्ड होता है।
घमण्डियों के संग लूट बांट लेने से, दीन लोगों के संग नम्र भाव से रहना उत्तम है।
जो वचन पर मन लगाता, वह कल्याण पाता है, और जो यहोवा पर भरोसा रखता, वह धन्य होता है।
जिसके हृदय में बुद्धि है, वह समझ वाला कहलाता है, और मधुर वाणी के द्वारा ज्ञान बढ़ता है।
जिसके पास बुद्धि है, उसके लिये वह जीवन का सोता है, परन्तु मूढ़ों को शिक्षा देना मूढ़ता ही होती है।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह २८, २९
  • फिलिप्पियों ३