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गुरुवार, 18 मई 2023

Miscellaneous Questions / कुछ प्रश्न - 14a - Back Sliders - Part 1/ पीछे हटने वाले - भाग 1

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क्या विश्वास से भटकने अथवा पीछे हटने वाले स्वर्ग जाएँगे? - भाग (1)


प्रश्न:
    एक बार जो व्यक्ति उद्धार पा गया तो क्या वह विश्वास से भटक जाने के बाद स्वर्ग जाएगा?

उत्तर:
    जिसने भी उद्धार पाया है, अर्थात, स्वेच्छा तथा सच्चे मन से, अपने पापों से पश्चाताप करके, प्रभु यीशु मसीह को अपना निज उद्धारकर्ता स्वीकार किया है, उससे अपने पापों की क्षमा माँगी है, और अपना जीवन उसे समर्पित किया है, परमेश्वर के अनुग्रह से केवल वही व्यक्ति स्वर्ग जाएगा – लेकिन मनुष्य की वास्तवक आत्मिक दशा केवल परमेश्वर ही जानता है, इसलिए कौन स्वर्ग जाएगा और कौन नहीं, इसका निर्धारण केवल परमेश्वर ही कर सकता है, और कोई नहीं।

    परमेश्वर के वचनबाइबल के अनुसारयह बिलकुल स्पष्ट और स्थापित है कि उद्धार सदा काल के लिए है अर्थात ‘eternal’ है। इब्रानियों की पत्री का लेखकप्रभु यीशु मसीह के द्वारा मनुष्यों को उद्धार प्रदान करने के लिए किए गए कार्यों के विषय लिखता है, “और पुत्र होने पर भीउसने दुख उठा उठा कर आज्ञा माननी सीखी। और सिद्ध बन करअपने सब आज्ञा मानने वालों के लिये सदा काल के उद्धार (eternal salvation) का कारण हो गया” (इब्रानियों 5:8-9)। प्रभु यीशु मसीह ने भी कहा कि उस पर विश्वास लाए हुए उसके लोगों को वह अनन्त जीवन (अर्थात कभी समाप्त न होने वाला अक्षय जीवन, eternal life) प्रदान करता हैतथा साथ ही यह आश्वासन भी दिया कि कोई भी प्रभु या परमेश्वर के हाथों से उन अनन्त जीवन पाए हुओं को नहीं छीन सकता है (यूहन्ना 10:27-29) – प्रभु का यह वायदा बहुत ही गंभीर एवं बहुत महत्वपूर्ण तात्पर्य रखने वाला कथन है। प्रभु के इस वायदे के आधार पर, उद्धार खो देने का अभिप्राय होता है कि, शैतान ने किसी विधि से उन उद्धार पाए हुए व्यक्तियों को प्रभु या परमेश्वर के हाथ से छीन कर फिर से अपनी आधीनता में ले लिया है। यदि किसी भी प्रकार यह संभव होता, तो फिर तीन असंभव बातें संभव हो जाती हैं – पहली यह कि शैतान परमेश्वर से अधिक शक्तिशाली है; दूसरी यह प्रभु यीशु ने झूठ बोला, उसने झूठा आश्वासन दिया कि कोई भी उद्धार पाए हुओं को उसके या परमेश्वर पिता के हाथों से छीन नहीं सकता है; और तीसरी यह कि प्रभु को न शैतान की, न अपनी और न परमेश्वर की शक्ति की वास्तविकताओं का पता है, और वह यूं ही कुछ भी कहे जा रहा है! क्योंकि यह हो पाना पूर्णतः असंभव है, इसलिए प्रगट है कि कोई भी व्यक्तिजिसने वास्तव में उद्धार पाया है, वह यूहन्ना 10:27-29 के आधार पर अपना उद्धार कभी भी नहीं खो सकता है। और क्योंकि उद्धार पाए हुओं पर दण्ड की कोई आज्ञा नहीं है (रोमियों 8:1), इसलिए जो वास्तव में उद्धार पाए हुए हैंवे स्वर्ग में अवश्य ही प्रवेश करेंगे, चाहे विश्वास में उनकी परिपक्वता एवं स्थिति का स्तर कुछ भी क्यों न हो।

    किन्तु यह बात केवल परमेश्वर ही जानता है कि कौन वास्तविक मसीही विश्वासी है और कौन नहीं। उदाहरण के लिए युहूदा इस्करियोती को ही लीजिएवह प्रभु द्वारा बुलाया गयाप्रभु के साथ रहाप्रभु से शिक्षा पाईप्रभु की सामर्थ्य और निर्देशन द्वाराअन्य शिष्यों के साथ सुसमाचार प्रचार पर भी गया और उनके साथ मिलकर प्रचार कियाआश्चर्यकर्म भी किएकिन्तु अन्त में वह प्रभु के द्वारा विनाश का पुत्र’ और नाश होने वाला’ कहा गया (यूहन्ना 17:12), और अनन्त विनाश में चला गया। प्रभु यीशु मसीह ने भी अपने पहाड़ी प्रचार के अन्त में कहा है कि हर कोई जो उन्हें हे प्रभु’ कहता हैवह स्वर्ग में प्रवेश नहीं करेगाचाहे उन्होंने प्रभु के नाम में कई प्रकार के प्रचार, आश्चर्यकर्म, तथा अद्भुत एवँ उल्लेखनीय कार्य ही क्यों न किए हों – प्रभु ने उन लोगों के इन कामों को ‘कुकर्म’ कहा ; स्वर्ग में केवल वे ही प्रवेश करेंगे जो परमेश्वर पिता के आज्ञाकारी रहते हैं और परमेश्वर की इच्छे के अनुसार कार्य करते हैं (मत्ती 7:21-23)। इसलिए लोगों के प्रगट व्यवहारप्रचार, और कार्यों के आधार पर हम किसी भी मनुष्य के विषय यह निश्चित नहीं कह सकते हैं कि प्रभु में विश्वास रखने का दावा करने और उसके नाम से प्रचार और कार्य करने वाला प्रत्येक व्यक्ति वास्तव में उद्धार पाया हुआ है भी कि नहीं! पौलुस ने भी इस बात के विषय सचेत किया और समझाया कि शैतान और उसके दूत भी ज्योतिर्मय स्वर्गदूतों और मसीह के प्रेरितों का स्वरूप धारण कर के लोगों को बहकाते हैं (2 कुरिन्थियों 11:3, 13-15)। इसलिए व्यक्ति के उद्धार पाया हुआ होने की वास्तविकता तो केवल परमेश्वर ही जानता हैऔर वही इसका निर्णय कर सकता है, तथा करता है।

    साथ हीबाइबल यह भी कहती है कि ऐसे भी मसीही विश्वासी पाए जाएँगे जो सच्चे मन से पश्चाताप करके प्रभु के पास तो आएवे वास्तव में उद्धार पाए हुए भी थेकिन्तु उन्होंने प्रभु के लिए ऐसा कुछ नहीं किया जो जांचे जाने पर प्रतिफल दिए जाने के योग्य स्वीकार किया जाता। जब न्याय के समय उनके काम जांचे जाएँगेतो वे उद्धार पाया हुआ होने के कारण स्वर्ग में तो प्रवेश करेंगेपरन्तु छूछे हाथबिना कुछ भी प्रतिफल लिएऔर अनन्त-काल तक फिर ऐसे ही छूछे हाथ ही रहेंगे (1 कुरिन्थियों 3:9-15)। सँसार के सभी लोगों के समानकिए गए कर्मों के अनुसारन्याय तो मसीही विश्वासियों का भी होगावरन न्याय आरंभ ही मसीही विश्वासियों से होगा (1 पतरस 4:17-18)परन्तु मसीही विश्वासियों का यह न्याय उनके उद्धार पाने के लिए नहींवरन अनन्तकाल के लिए उनके कर्मों के आधार पर उन्हें प्रतिफल दिए जाने के लिए होगा – उद्धार कर्मों के आधार पर नहीं है, परन्तु प्रतिफल कर्मों के आधार पर हैं। उद्धार तो केवल पापों से पश्चाताप और प्रभु यीशु पर लाए विश्वास के आधार पर परमेश्वर के अनुग्रह ही से है; किसी भी या कैसे भी कामों, अथवा प्रथाओं, या रीति-रिवाजोंया अनुष्ठानों/विधि-विधानों आदि के पालन के द्वारा कदापि नहीं है (इफिसियों 2:1-9)।

    यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, तो अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी प्रभु यीशु के पक्ष में अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की आशीष और सुरक्षा भी है। प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा माँगकर, स्वेच्छा से तथा सच्चे मन से अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए - उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आपको स्वेच्छा और सच्चे मन से प्रभु यीशु मसीह से केवल एक छोटी प्रार्थना करनी है, और साथ ही अपना जीवन उसे पूर्णतः समर्पित करना है। आप यह प्रार्थना और समर्पण कुछ इस प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु, मैं अपने पापों के लिए पश्चातापी हूँ, उनके लिए आप से क्षमा माँगता हूँ। मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए उन पापों को अपने ऊपर लिया, उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मुझे और मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।” सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी।
- क्रमशः
अगला लेख: उद्धार कर्मों द्वारा या कर्मों से नहीं है

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Will Back-Sliders go to Heaven? - Part (1)


Question:
    Once a person is saved, if he back-slides, then will he go to heaven?

Answer:
    Whosoever has been savedi.e.voluntarily and with a true hearthas repented of his sinsaccepted the Lord Jesus Christ as his personal saviorhas asked for forgiveness of his sins from Himand has submitted his life to Himonly that person will go to heaven by the grace of God – but only God knows the actual spiritual condition of mantherefore it is only God who can decide on who will go to heaven, and who will not.

    According to God’s Word, the Bible, it is very clear and firmly established that salvation is forever, i.e. is eternal. The writer of the epistle to Hebrews, writing about the Lord Jesus Christ’s work to provide salvation to mankind writes, “though He was a Son, yet He learned obedience by the things which He suffered. And having been perfected, He became the author of eternal salvation to all who obey Him,” (Hebrews 5:8-9). The Lord Jesus also said that He will give eternal life to all who believe in Him (i.e. an endless and indestructible life for all eternity, eternal life) and at the same time also assured that no one will be able to take the saved ones out of the Lord’s, or God’s hands (John 10:27-29) – this statement of the Lord has very serious and extremely important implications. On the basis of this promise from the Lordto lose one’s salvation implies thatsomehow Satan has been able to snatch away the saved persons from the Lord’s, or God’s hands, and taken possession of them again. If at all somehow this were to be possible, it would mean that three impossibilities have become possible – first, that Satan is more powerful than Godsecond, that the Lord Jesus spoke a lieHe gave a false assurance that no one will be able to take away a saved person from the hand of the Lord or of Godand third, that the Lord does not know about Satan’s power or His own power, or God’s power; He is just saying things without any basisSince any and all of this is an absolute impossibility and can never happentherefore it is evident that any person who has been savedon the basis of John 10:27-29 can never ever lose his salvation. And since those who are saved are no longer under any condemnation (Romans 8:1), therefore those who are actually saved, will most certainly enter heavenwhatever be their state of maturity in faith and standing in spirituality.

    But it is only the Lord God who knows, who is an actual Christian Believer and who is not. For example, take Judas Iscariot; he was called to be a disciple by the Lord, he stayed in fellowship with the Lord, he learnt from the Lord, he too went for preaching in the power and instructions from the Lord, along with the other disciples, and along with the disciples he too preached the gospel, he too did miracles, but in the end he was called ‘the son of perdition’ and ‘the only one lost’ (John 17:12), and went into eternal destruction. The Lord Jesus towards the end of His Sermon on the Mount had said that not everyone who calls Him ‘Lord’ will enter into heaven, even though they may have abundantly preached, worked miracles and done other remarkable works in the Lord’s name – the Lord called all such works as ‘iniquity’ – and made it clear that only they will enter heaven who are obedient to God and work according to the will of God (Matthew 7:21-23). Therefore on the basis of the evident behavior, preaching, and works of any person we can never say for sure that all those who claim to believe in the Lord and everyone who preaches or works in His name, is actually a saved personPaul also cautioned and exhorted that Satan and his angels come as angels of light and apostles of Christ to deceive people (2 Corinthians 11:3, 13-15). Therefore it is only God who knows the fact of a person’s being saved, and only He can decide, and does decide, about a person’s being saved or not.

    The Bible also says that there will be Christian Believers who truly repented and came to the Lord with a true heart, they were really saved, but they did not do anything that could be considered worthy of being rewarded by the Lord. At the time of judgement when their works are evaluated, they will surely enter heaven because they are saved, but will enter empty handed, without any rewards, and remain so forever for all eternity (1 Corinthians 3:9-15). Like for everyone else in the world, even the Christian Believers will face judgment on the basis of their works, rather, the beginning of judgement will be with the Christian Believers (1 Peter 4:17-18), but the judgement of the Christian Believers will not be for their salvation, but for giving them eternal rewards based on the evaluation of their works – salvation is not based upon works, but rewards are based on works. Salvation is only by the grace of God through repentance from sins and coming to faith in the Lord Jesus; not through any works of any kind, nor by fulfilling any traditions, or rituals, or carrying out religious observances of any kind (Ephesians 2:1-9).

    If you have not yet accepted the discipleship of the Lord, make your decision in favor of the Lord Jesus now to ensure your eternal life and heavenly blessings. Where there is obedience to the Lord, where there is respect and obedience to His Word, there is also the blessing and protection of the Lord. Repenting of your sins, and asking the Lord Jesus for forgiveness of your sins, voluntarily and sincerely, surrendering yourself to Him - is the only way to salvation and heavenly life. You only have to say a short but sincere prayer to the Lord Jesus Christ willingly and with a penitent heart, and at the same time completely commit and submit your life to Him. You can also make this prayer and submission in words something like, “Lord Jesus, I am sorry for my sins and repent of them. I thank you for taking my sins upon yourself, paying for them through your life.  Because of them you died on the cross in my place, were buried, and you rose again from the grave on the third day for my salvation, and today you are the living Lord God and have freely provided to me the forgiveness, and redemption from my sins, through faith in you. Please forgive my sins, take me under your care, and make me your disciple. I submit my life into your hands." Your one prayer from a sincere and committed heart will make your present and future life, in this world and in the hereafter, heavenly and blessed for eternity.
- To Be Continued:
Next Article: Salvation is neither by nor dependent upon works

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