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मंगलवार, 25 अप्रैल 2017

सेवा


   अमेरिका के राष्ट्रपति चुने जाने पर जॉन एफ़. केनेडी ने राष्ट्र को किए अपने प्रथम संबोधन में अमेरिका के नागरिकों के सामने एक चुनौती रखी, "यह मत पूछिए कि आपका राष्ट्र आपके लिए क्या कर सकता है; वरन यह पूछिए कि आप अपने राष्ट्र के लिए क्या कर सकते हैं?" यह नागरिकों के लिए पुनःसमर्पण का उनका आहवान था कि वे दूसरों की सेवा के लिए अपने जीवनों को समर्पित करें। उनके शब्दों ने विशेषकर उन लोगों के पुत्र और पुत्रियों को प्रेरित किया जिन्होंने युध्द में अपने देश की सेवा की थी।

   उनका तात्पर्य स्पष्ट था: जो आपके माता-पिता ने कमाया-बनाया है, बहुधा अपने जीवन की आहुति के द्वारा, उसे अब शांतिप्रीय साधनों द्वारा सुरक्षित रखो। उनके इस आहवान के प्रत्युत्तर में अनेकों स्व्यंसेवकों की सेना उठ खड़ी हुई जिसने दशकों से सारे संसार भर में मानवता की सेवा के लिए कार्य किया है।

   इससे भी कई शताबदी पहले, जैसा परमेश्वर के वचन बाइबल में दर्ज है, प्रेरित पौलुस ने भी मसीही विश्वासियों को एक चुनौति दी, आहवान किया, जो रोमियों 12 में हमें मिलता है। यहाँ पौलुस हमें अपने शरीरों को, उसकी सेवा के लिए जिसने अपने प्राण हमारे लिए बलिदान कर दिए, अर्थात प्रभु यीशु मसीह के लिए जीवते बलिदान कर के अर्पित करने को कहता है। हम मसीही विश्वासियों के लिए यह आत्मिक बलिदान मात्र शब्दों में नहीं होना चाहिए, वरन हमें अपने जीवनों को दूसरों की शारीरिक, भावनात्मक तथा आत्मिक भलाई के लिए निवेश करना है।

   सबसे उत्तम बात यह है कि यह बलिदान जहाँ हम अभी हैं, वहीं किया जा सकता है; जिनके बीच हम अभी हैं, उनके मध्य ही यह सेवा की जा सकती है। - रैंडी किलगोर


यीशु से यही नहीं कहें कि वह आपके लिए कुछ करे; 
उससे यह पूछें कि आप उसके लिए क्या कर सकते हैं?

मैं तुम्हारी शारीरिक दुर्बलता के कारण मनुष्यों की रीति पर कहता हूं, जैसे तुम ने अपने अंगो को कुकर्म के लिये अशुद्धता और कुकर्म के दास कर के सौंपा था, वैसे ही अब अपने अंगों को पवित्रता के लिये धर्म के दास कर के सौंप दो। - रोमियों 6:19

बाइबल पाठ: रोमियों 12:1-8
Romans 12:1 इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान कर के चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है। 
Romans 12:2 और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो।
Romans 12:3 क्योंकि मैं उस अनुग्रह के कारण जो मुझ को मिला है, तुम में से हर एक से कहता हूं, कि जैसा समझना चाहिए, उस से बढ़कर कोई भी अपने आप को न समझे पर जैसा परमेश्वर ने हर एक को परिमाण के अनुसार बांट दिया है, वैसा ही सुबुध्दि के साथ अपने को समझे। 
Romans 12:4 क्योंकि जैसे हमारी एक देह में बहुत से अंग हैं, और सब अंगों का एक ही सा काम नहीं। 
Romans 12:5 वैसा ही हम जो बहुत हैं, मसीह में एक देह हो कर आपस में एक दूसरे के अंग हैं। 
Romans 12:6 और जब कि उस अनुग्रह के अनुसार जो हमें दिया गया है, हमें भिन्न भिन्न वरदान मिले हैं, तो जिस को भविष्यद्वाणी का दान मिला हो, वह विश्वास के परिमाण के अनुसार भविष्यद्वाणी करे। 
Romans 12:7 यदि सेवा करने का दान मिला हो, तो सेवा में लगा रहे, यदि कोई सिखाने वाला हो, तो सिखाने में लगा रहे। 
Romans 12:8 जो उपदेशक हो, वह उपदेश देने में लगा रहे; दान देनेवाला उदारता से दे, जो अगुआई करे, वह उत्साह से करे, जो दया करे, वह हर्ष से करे।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 21-22
  • लूका 18:24-43