मार्च 1, 1981 के दिन प्रचारक और बाइबल के टीकाकार डी. मार्टिन लौयड-जोन्स अपनी मृत्यु-शैया पर थे। उन्होंने सन 1939 से 1968 लंडन के वेस्टमिनस्टर चैपल में पास्टर का कार्य किया था। अब जीवन के अन्त के निकट आकर वे अपनी बोल पाने की क्षमता खो चुके थे। मृत्यु-शैया से उन्होंने इशारा किया कि वे अपने स्वास्थ होने के लिए और प्रार्थनाएं नहीं चाहते, उन्होंने एक कागज़ पर लिखा, "मुझे महिमा में जाने से रोकने के और प्रयास मत करो।"
क्योंकि जीवन अन्मोल है इसलिए किसी प्रीय जन को पृथ्वी के जीवन को छोड़कर जाते देखना कष्टदायक होता है। लेकिन यह भी निश्चित और सत्य है कि परमेश्वर ने प्रत्येक व्यक्ति के लिए इस संसार को छोड़कर जाने का एक समय निश्चित किया है। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है कि, "यहोवा के भक्तों की मृत्यु, उसकी दृष्टि में अनमोल है" (भजन 116:15)। जब प्रेरित पौलुस ने देखा कि उसकी मृत्यु का समय निकट है तब वह निराश नहीं हुआ, वरन जो उसके लिए स्वर्ग में रखा हुआ था, उसे लेकर प्रसन्न था, और दूसरों को भी मसीही विश्वास में बने रहने के लिए प्रोत्साहित कर रहा था; उसने अपनी अन्तिम पत्री में लिखा, "क्योंकि अब मैं अर्घ की नाईं उंडेला जाता हूं, और मेरे कूच का समय आ पहुंचा है। मैं अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है। भविष्य में मेरे लिये धर्म का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो धर्मी, और न्यायी है, मुझे उस दिन देगा और मुझे ही नहीं, वरन उन सब को भी, जो उसके प्रगट होने को प्रिय जानते हैं" (2 तिमुथियुस 4:6-8)।
जीवन यात्रा में एक मसीही विश्वासी चाहे किसी भी स्थान पर पहुँचा हो, उसका अन्तिम गन्तव्य है मसीह यीशु के साथ जा रहना, क्योंकि यह अच्छा है (फिलिप्पियों 1:23)। यह आशा हमें उत्साहित करती है, जीवन की चुनौतियों का सामना करने का साहस देती है और जब हमारे साथी मसीही विश्वासी संसार से कूच करते हैं तब सान्तवना भी देती है।
क्या आज आपके पास यह आशा, यह निश्चय है? क्या आप महिमा के लिए तैयार हैं? - डेनिस फिशर
जीवन का सबसे बड़ा आनन्द स्वर्ग की आशा है।
धर्मी जन नाश होता है, और कोई इस बात की चिन्ता नहीं करता; भक्त मनुष्य उठा लिये जाते हैं, परन्तु कोई नहीं सोचता। धर्मी जन इसलिये उठा लिया गया कि आने वाली आपत्ति से बच जाए, - यशायाह 57:1
बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 1:12-23
Philippians 1:12 हे भाइयों, मैं चाहता हूं, कि तुम यह जान लो, कि मुझ पर जो बीता है, उस से सुसमाचार ही की बढ़ती हुई है।
Philippians 1:13 यहां तक कि कैसरी राज्य की सारी पलटन और शेष सब लोगों में यह प्रगट हो गया है कि मैं मसीह के लिये कैद हूं।
Philippians 1:14 और प्रभु में जो भाई हैं, उन में से बहुधा मेरे कैद होने के कारण, हियाव बान्ध कर, परमेश्वर का वचन निधड़क सुनाने का और भी हियाव करते हैं।
Philippians 1:15 कितने तो डाह और झगड़े के कारण मसीह का प्रचार करते हैं और कितने भली मनसा से।
Philippians 1:16 कई एक तो यह जान कर कि मैं सुसमाचार के लिये उत्तर देने को ठहराया गया हूं प्रेम से प्रचार करते हैं।
Philippians 1:17 और कई एक तो सीधाई से नहीं पर विरोध से मसीह की कथा सुनाते हैं, यह समझ कर कि मेरी कैद में मेरे लिये क्लेश उत्पन्न करें।
Philippians 1:18 सो क्या हुआ? केवल यह, कि हर प्रकार से चाहे बहाने से, चाहे सच्चाई से, मसीह की कथा सुनाई जाती है, और मैं इस से आनन्दित हूं, और आनन्दित रहूंगा भी।
Philippians 1:19 क्योंकि मैं जानता हूं, कि तुम्हारी बिनती के द्वारा, और यीशु मसीह की आत्मा के दान के द्वारा इस का प्रतिफल मेरा उद्धार होगा।
Philippians 1:20 मैं तो यही हादिर्क लालसा और आशा रखता हूं, कि मैं किसी बात में लज्ज़ित न होऊं, पर जैसे मेरे प्रबल साहस के कारण मसीह की बड़ाई मेरी देह के द्वारा सदा होती रही है, वैसा ही अब भी हो चाहे मैं जीवित रहूं या मर जाऊं।
Philippians 1:21 क्योंकि मेरे लिये जीवित रहना मसीह है, और मर जाना लाभ है।
Philippians 1:22 पर यदि शरीर में जीवित रहना ही मेरे काम के लिये लाभदायक है तो मैं नहीं जानता, कि किस को चुनूं।
Philippians 1:23 क्योंकि मैं दोनों के बीच अधर में लटका हूं; जी तो चाहता है कि कूच कर के मसीह के पास जा रहूं, क्योंकि यह बहुत ही अच्छा है।
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति 46-48
- मत्ती 13:1-30