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रविवार, 31 मई 2020

पीड़ा



     उस ऊँची हृदय विदारक पुकार ने दोपहर के अंधियारे को बेध दिया। मैं कल्पना कर सकता हूँ कि उस आवाज़ ने यीशु के पांवों के निकट खड़े उन के प्रिय जनों के विलाप, और साथ में टंगे अपराधियों की आहों की आवाज़ को भी दबा दिया होगा, तथा सभी सुनने वालों को स्तब्ध कर दिया होगा। यीशु ने बड़ी पीड़ा में उस क्रूस पर टंगे हुए पुकारा, “एली, एली, लमा शबक्तनीहे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर टू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?” (मत्ती 27:45-46) जो उनके एकाकीपन की वेदना को व्यक्त कर रहा था।

     मैं इस से अधिक हृदय विदारक शब्दों की कल्पना भी नहीं कर सकता हूँ। अनन्तकाल से प्रभु यीशु पिता परमेश्वर के साथ सिद्ध सहभागिता में रहे थे, उन्होंने साथ मिलाकर इस सृष्टि की रचना की थी, मनुष्य को अपने स्वरूप में रचा था, और उद्धार के मार्ग की योजना बनाई थी। अभी तक एक भी ऐसा पल नहीं था जिसमें वे एक दूसरे से अलग हुए हों।

     किन्तु अब क्रूस पर टंगे होने की पीड़ा के साथ, प्रभु यीशु ने पहली बार परमेश्वर की अपने साथ उपस्थिति के न होने की वेदना को भी अनुभव किया, क्योंकि अब उन्होंने समस्त मानव-जाति के सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया था, मनुष्यों के पापों को अपने ऊपर लेकर वे पाप बन गए थे, और इस दशा में परमेश्वर पिता ने उन से अपना मुँह फेर लिया था।

     यही एक मात्र मार्ग था। केवल उन की परमेश्वर के साथ की इस सहभागिता के टूटने के द्वारा ही हम मनुष्यों का उद्धार और परमेश्वर से मेल-मिलाप का मार्ग बन कर तैयार हो सकता था। क्योंकि प्रभु यीशु क्रूस की उस पीड़ा और परमेश्वर से सहभागिता टूटने की वेदना को सहने के लिए तैयार थे, इस लिए आज हम मसीही विश्वासी, वे जिन्होंने प्रभु के क्रूस पर किए गए इस कार्य को स्वीकार किया है, उन से अपने पापों की क्षमा मांग कर, अपना जीवन उन्हें समर्पित कर दिया है, परमेश्वर के साथ अनन्तकाल की सहभागिता का आनन्द ले सकते हैं।

     प्रभु यीशु आपका कोटि-कोटि धन्यवाद हो हमारे क्षमा के लिए उस हृदय विदारक पीड़ा सहना स्वीकार करने के लिए। - डेव ब्रैनन

क्रूस पाप में खोए हुए मनुष्यों के लिए परमेश्वर के प्रेम को प्रकट करता है।

जो पाप से अज्ञात था, उसी को उसने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उस में हो कर परमेश्वर की धामिर्कता बन जाएं। - 2 कुरिन्थियों 5:21

बाइबल पाठ: मत्ती 27:32-50
मत्ती 27:32 बाहर जाते हुए उन्हें शमौन नाम एक कुरेनी मनुष्य मिला, उन्होंने उसे बेगार में पकड़ा कि उसका क्रूस उठा ले चले।
मत्ती 27:33 और उस स्थान पर जो गुलगुता नाम की जगह अर्थात खोपड़ी का स्थान कहलाता है पहुंचकर।
मत्ती 27:34 उन्होंने पित्त मिलाया हुआ दाखरस उसे पीने को दिया, परन्तु उसने चखकर पीना न चाहा।
मत्ती 27:35 तब उन्होंने उसे क्रूस पर चढ़ाया; और चिट्ठियां डालकर उसके कपड़े बांट लिए।
मत्ती 27:36 और वहां बैठकर उसका पहरा देने लगे।
मत्ती 27:37 और उसका दोषपत्र, उसके सिर के ऊपर लगाया, कि यह यहूदियों का राजा यीशु है
मत्ती 27:38 तब उसके साथ दो डाकू एक दाहिने और एक बाएं क्रूसों पर चढ़ाए गए।
मत्ती 27:39 और आने जाने वाले सिर हिला हिलाकर उस की निन्‍दा करते थे।
मत्ती 27:40 और यह कहते थे, कि हे मन्दिर के ढाने वाले और तीन दिन में बनाने वाले, अपने आप को तो बचा; यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो क्रूस पर से उतर आ।
मत्ती 27:41 इसी रीति से महायाजक भी शास्‍त्रियों और पुरनियों समेत ठट्ठा कर कर के कहते थे, इस ने औरों को बचाया, और अपने को नहीं बचा सकता।
मत्ती 27:42 यह तो इस्राएल का राजा है। अब क्रूस पर से उतर आए, तो हम उस पर विश्वास करें।
मत्ती 27:43 उसने परमेश्वर का भरोसा रखा है, यदि वह इस को चाहता है, तो अब इसे छुड़ा ले, क्योंकि इस ने कहा था, कि मैं परमेश्वर का पुत्र हूं
मत्ती 27:44 इसी प्रकार डाकू भी जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे उस की निन्‍दा करते थे।
मत्ती 27:45 दोपहर से ले कर तीसरे पहर तक उस सारे देश में अन्‍धेरा छाया रहा।
मत्ती 27:46 तीसरे पहर के निकट यीशु ने बड़े शब्द से पुकारकर कहा, एली, एली, लमा शबक्तनी अर्थात हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?
मत्ती 27:47 जो वहां खड़े थे, उन में से कितनों ने यह सुनकर कहा, वह तो एलिय्याह को पुकारता है।
मत्ती 27:48 उन में से एक तुरन्त दौड़ा, और स्‍पंज ले कर सिरके में डुबोया, और सरकण्‍डे पर रखकर उसे चुसाया।
मत्ती 27:49 औरों ने कहा, रह जाओ, देखें, एलिय्याह उसे बचाने आता है कि नहीं।
मत्ती 27:50 तब यीशु ने फिर बड़े शब्द से चिल्लाकर प्राण छोड़ दिए।   

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 13-14
  • यूहन्ना 12:1-26