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बुधवार, 21 नवंबर 2018

धन्यवाद



      एमिली सुन रही थी, जब उसके मित्र धन्यवाद दिवस से संबंधित अपने परिवार में प्रचलित परंपराओं की बारे में बता रहे थे। गैरी ने कहा, “हम एक से दूसरे कमरे में जाते हैं और प्रत्येक जन बताता है कि वह परमेश्वर के प्रति किन किन बातों के लिए धन्यवादी है।” एक अन्य मित्र ने अपने परिवार के एक साथ बैठकर धन्यावद का भोजन करने और साथ प्रार्थना करने के विषय बताया। उसने अपने पिता के साथ बिताए गए समय के बारे में स्मरण करते हुए कहा कि जब वे जीवित थे तब, “यद्यपि पिताजी को भूल जाने की बीमारी हो गई थी परन्तु परमेश्वर के प्रति धन्यवाद देने में उनकी यादाशत बिलकुल स्पष्ट होती थी।” रैंडी ने कहा कि “मेरे परिवार में साथ मिलकर परमेश्वर के प्रति स्तुति और धन्यवाद के गीत गाने की परम्परा है, और मेरी दादी तो गाती ही चली जाती हैं, रुकने का नाम ही नहीं लेती हैं!”

      यह सब सुनते सुनते और अपने परिवार के बारे में सोचते हुए एमिली की उदासी और ईर्ष्या बढ़ती चली जा रही थी, और जब उसकी बारी आई तो उसने शिकायत के भाव में कहा, “हमारी परम्परा तो बस टर्की खाना और बैठकर टेलिविज़न देखना है। हमारे घर में कोई परमेश्वर का नाम भी नहीं लेता है और न ही उसे धन्यवाद करता है।”

      तुरंत ही एमिली को अपने रवैये पर ग्लानी हुई। उसके मन में आवाज़ उठी, “तुम उसी परिवार की सदस्या हो। तुम ऐसा क्या भिन्न कर सकती हो जो उस दिन के महत्व को परिवार के सामने सार्थक करे?” उसने निर्णय लिया कि वह वह अपने परिवार के प्रत्येक सदस्य को व्यक्तिगत रीति से यह बताना चाहती है कि वह परमेश्वर की धन्यवादी है कि वह उसके बहन, भाई, या संबंधी हैं। जब धन्यवादी दिवस आया, तो उसने एक एक करके प्रत्येक से उनके प्रति और उनके लिए परमेश्वर के प्रति अपने धन्यवाद को व्यक्त किया, और उन सब को भी उसका यह प्रेम भरा व्यवहार देखकर बहुत अच्छा लगा। ऐसा करना एमिली के लिए सरल नहीं था क्योंकि यह उसके परिवार का सामान्य व्यवहार या वार्तालाप नहीं था, परन्तु उन सब से उनके प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करने से उसे और उन्हें दोनों को बहुत अच्छा लगा।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने लिखा, “कोई गन्‍दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो” (इफिसियों 4: 29) औरों के प्रति, तथा औरों के लिए हमारे धन्यवाद के शब्द हमें अपने तथा परमेश्वर के लिए उनकी कीमत का एहसास दिला सकते हैं। - ऐनी सेटास


प्रोत्साहन के शब्दों से मनुष्य की आत्मा आशा से भर जाती है।

जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं, और जो उसे काम में लाना जानता है वह उसका फल भोगेगा। - नीतिवचन 18:21

बाइबल पाठ: इफिसियों 4:25-32
Ephesians 4:25 इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
Ephesians 4:26 क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।
Ephesians 4:27 और न शैतान को अवसर दो।
Ephesians 4:28 चोरी करनेवाला फिर चोरी न करे; वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे; इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो।
Ephesians 4:29 कोई गन्‍दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।
Ephesians 4:30 और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।
Ephesians 4:31 सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।
Ephesians 4:32 और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।


एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल 16-17
  • याकूब 3