सन २००८ के ग्रीष्म ओलंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह के वर्णन के लिए प्रयोग करे गए शब्दों में से कुछ हैं ’अद्भुत’, ’स्तब्ध कर देने वाले’, ’असीम’। एक टिप्पणीकार ने लिखा, "यह दिखाता है कि जब किसी कलाकार को खर्च का ध्यान किए बिना कार्य करने की छूट दी जाए तो क्या होता है।"
जब मैंने यह सब सुना तो मुझे ध्यान आया, "परमेश्वर ने भी तो सृष्टि के समय यही किया!" उसने किसी बात की कोई कमी रख ना छोड़ी। इसीलिए यह सृष्टि सुन्दरता में अनुपम, अपनी जटिलता में अद्भुत और हर बात में लाजवाब है।
ओलंपिक खेलों का उद्घाटन समारोह अपनी हर एक बात में पूर्णतः लयबद्ध था; यदि किसी एक भी नर्तक अथवा बजाने वाले ने कलाकार द्वारा निर्धारित लय, संगीत और नृत्य मुद्रा की बजाए, अपनी इच्छा के अनुसार कुछ भी किया होता तो सारा समारोह बिगड़ जाता।
सृष्टि के कुछ समय पश्चात यही हुआ। ओलंपिक समारोह के निर्देशक से भिन्न, परमेश्वर ने अपनी सृष्टि की सर्वोच्च कृति को स्वेच्छा की स्वतंत्रता दी और उन्होंने इस स्वतंत्रता का दुरुप्योग किया। आदम और हव्वा ने स्वेच्छा का प्रयोग करते हुए वह किया जो परमेश्वर की इच्छा के विपरीत था और परमेश्वर की सृष्टि बिगड़ गई। आज भी संसार की समस्या यही है - मनुष्य द्वारा परमेश्वर की इच्छा को नज़रंदाज़ करते हुए अपनी ही इच्छा को सर्वोपरि रखना। परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह भविष्यद्वक्ता ने लिखा, "...हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया" (यशायाह ५३:६)। हमारी इस मनमानी करने की प्रवृति का परमेश्वर ने मानवीय समझ से परे हल निकाला - हमारी बर्बादी की बहाली की कीमत उस सृष्टिकार ने स्वयं ही चुका दी और मानव द्वारा अपने ही हाथों से लिखे अपने ही विनाश से बचने तथा मानव जाति की संपूर्ण बहाली का मार्ग बना दिया।
एक दिन एक और उद्घाटन समारोह होगा, वहाँ सभी एकत्रित होंगे और स्वर्ग तथा पृथ्वी का हर प्राणी प्रभु यीशु के आगे घुटने टेकेगा (फिलिप्प्यों २:१०)। जिन्होंने मसीह यीशु में हो कर मिलने वाली बहाली की परमेश्वर की योजना को स्वीकार कर लिया है, वे सब ही स्वर्ग में अनन्त काल तक एक साथ मिलकर सिद्ध परमेश्वर की सिद्ध आराधना में सम्मिलित होंगे। - जूली एकरमैन लिंक
हम अनन्तकाल तक परमेश्वर की स्तुति करेंगे - उसे आज ही क्यों ना आरंभ करें।
बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य १५
Rev 15:1 फिर मैं ने स्वर्ग में एक और बड़ा और अद्भुत चिन्ह देखा, अर्थात सात स्वर्गदूत जिन के पास सातों पिछली विपत्तियां थीं, क्योंकि उन के हो जाने पर परमेश्वर के प्रकोप का अन्त है।
Rev 15:2 और मैं ने आग से मिले हुए कांच का सा एक समुद्र देखा, और जो उस पशु पर, और उस की मूरत पर, और उसके नाम के अंक पर जयवन्त हुए थे, उन्हें उस कांच के समुद्र के निकट परमेश्वर की वीणाओं को लिए हुए खड़े देखा।
Rev 15:3 और वे परमेश्वर के दास मूसा का गीत, और मेम्ने का गीत गा गाकर कहते थे, कि हे र्स्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, तेरे कार्य बड़े, और अद्भुत हैं, हे युग युग के राजा, तेरी चाल ठीक और सच्ची है।
Rev 15:4 हे प्रभु, कौन तुझ से न डरेगा और तेरे नाम की महिमा न करेगा क्योंकि केवल तू ही पवित्र है, और सारी जातियां आकर तेरे साम्हने दण्डवत करेंगी, क्योंकि तेरे न्याय के काम प्रगट हो गए हैं।
Rev 15:5 और इस के बाद मैं ने देखा, कि स्वर्ग में साक्षी के तम्बू का मन्दिर खोला गया।
Rev 15:6 और वे सातों स्वर्गदूत जिन के पास सातों विपत्तियां थीं, शुद्ध और चमकती हुई मणि पहिने हुए छाती पर सुनहले पटुके बान्धे हुए मन्दिर से निकले।
Rev 15:7 और उन चारों प्राणियों में से एक ने उन सात स्वर्गदूतों को परमेश्वर के, जो युगानुयुग जीवता है, प्रकोप से भरे हुए सात सोने के कटोरे दिए।
Rev 15:8 और परमेश्वर की महिमा, और उस की सामर्थ के कारण मन्दिर धुएं से भर गया और जब तक उन सातों स्वर्गदूतों की सातों विपत्तियां समाप्त न हुई, तब तक कोई मन्दिर में न जा सका।
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति २०-२२
- मत्ती ६:१९-३४