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बुधवार, 17 अक्टूबर 2018

प्रार्थना



      जोई ने बच्चों के कार्यकर्म का आरंभ प्रार्थना के साथ किया, फिर उन बच्चों के साथ एक स्तुति-गीत गाया। फिर उसने उस दिन के वक्ता, एरोन का उन बच्चों से परिचय करवाया और फिर से प्रार्थना की; छः वर्षीय इम्मानुएल अपनी कुर्सी पर बैठा विचलित होने लगा। फिर एरोन ने अपने सन्देश के आरंभ और अन्त में फिर से प्रार्थना की। इम्मानुएल ने शिकायत की: “चार प्रार्थनाएं! इतनी देर तक मुझसे नहीं बैठा जाता है!”


      यदि आपको लगता है कि इम्मानुएल के लिए यह चुनौती कठिन थी, तो फिर परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस द्वारा कही गई बात, “निरन्‍तर प्रार्थना मे लगे रहो” (1 थिस्सलुनीकियों 5:17), अर्थात सदा प्रार्थना के भाव में रहें पर विचार करें। हम में से कुछ व्यसक भी प्रार्थना को उबाने वाला समझते हैं। हो सकता है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि हम नहीं जानते हैं कि प्रार्थना में क्या कहना है, या यह नहीं समझते कि प्रार्थना परमेश्वर पिता से वार्तालाप करना है।

      सत्रहवीं शताब्दी में फ्रैन्कोएस फेनेलों द्वारा लिखे गए शब्दों से मुझे प्रार्थना को समझने में बहुत सहायता मिली; उन्होंने लिखा: “आपके मन में जो कुछ भी हो उसे परमेश्वर को बता दीजिए, बिलकुल वैसे जैसे कोई अपने अंतरंग मित्र को अपने मन की हर बात, हर दुःख, हर खुशी बता देता है। उसे अपनी परेशानियां बताईए जिससे वह आपको सांतवना दे; अपने आनन्द की बातें बताईए जिससे वह आपको शान्त और संयमी रखे; उसे अपनी लालसाएं बताईए, जिससे वह उन्हें पवित्र करे;” उसने आगे कहा, “उससे अपनी परीक्षाओं और प्रलाभानों के विषय कहें, जिससे वह आपको उनसे सुरक्षित करे; उसे अपने मन के घाव दिखाईए, जिससे वह उन्हें भर दे;...यदि आप इस प्रकार से अपनी सभी कमजोरियां, आवश्यकताएँ, परेशानियां आदि प्रार्थना में उससे कहेंगे, तो प्रार्थना न तो उबाऊ होगी, और न ही प्रार्थना में कहने के लिए विषयों की कोई कमी अथवा कठिनाई होगी।”

      हम अपनी प्रार्थनाओं के द्वारा परमेश्वर से अपनी घनिष्ठता को बढ़ाते रहें; उसके साथ अधिक से अधिक समय बिताते रहें। - ऐनी सेटास


प्रार्थना परमेश्वर के साथ अंतरंग वार्तालाप है।

परन्तु वह [प्रभु यीशु] जंगलों में अलग जा कर प्रार्थना किया करता था। - लूका 5:16

बाइबल पाठ: 1 थिस्सलुनीकियों 5:12-28
1 Thessalonians 5:12 और हे भाइयों, हम तुम से बिनती करते हैं, कि जो तुम में परिश्रम करते हैं, और प्रभु में तुम्हारे अगुवे हैं, और तुम्हें शिक्षा देते हैं, उन्हें मानो।
1 Thessalonians 5:13 और उन के काम के कारण प्रेम के साथ उन को बहुत ही आदर के योग्य समझो: आपस में मेल-मिलाप से रहो।
1 Thessalonians 5:14 और हे भाइयों, हम तुम्हें समझाते हैं, कि जो ठीक चाल नहीं चलते, उन को समझाओ, कायरों को ढाढ़स दो, निर्बलों को संभालो, सब की ओर सहनशीलता दिखाओ।
1 Thessalonians 5:15 सावधान! कोई किसी से बुराई के बदले बुराई न करे; पर सदा भलाई करने पर तत्‍पर रहो आपस में और सब से भी भलाई ही की चेष्‍टा करो।
1 Thessalonians 5:16 सदा आनन्‍दित रहो।
1 Thessalonians 5:17 निरन्‍तर प्रार्थना मे लगे रहो।
1 Thessalonians 5:18 हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है।
1 Thessalonians 5:19 आत्मा को न बुझाओ।
1 Thessalonians 5:20 भविष्यद्वाणियों को तुच्‍छ न जानो।
1 Thessalonians 5:21 सब बातों को परखो: जो अच्छी है उसे पकड़े रहो।
1 Thessalonians 5:22 सब प्रकार की बुराई से बचे रहो।
1 Thessalonians 5:23 शान्‍ति का परमेश्वर आप ही तुम्हें पूरी रीति से पवित्र करे; और तुम्हारी आत्मा और प्राण और देह हमारे प्रभु यीशु मसीह के आने तक पूरे पूरे और निर्दोष सुरक्षित रहें।
1 Thessalonians 5:24 तुम्हारा बुलाने वाला सच्चा है, और वह ऐसा ही करेगा।
1 Thessalonians 5:25 हे भाइयों, हमारे लिये प्रार्थना करो।
1 Thessalonians 5:26 सब भाइयों को पवित्र चुम्बन से नमस्‍कार करो।
1 Thessalonians 5:27 मैं तुम्हें प्रभु की शपथ देता हूं, कि यह पत्री सब भाइयों को पढ़कर सुनाईं जाए।
1 Thessalonians 5:28 हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम पर होता रहे।


एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 50-52
  • 1 थिस्सलुनीकियों 5