परमेश्वर के वचन बाइबल में
अय्यूब की पुस्तक में हम इस विषय पर कि संसार में दुःख क्यों है, लगभग हर संभव तर्क को देखते है, परन्तु उन तर्कों से अय्यूब को अपनी परिस्थिति
को समझने या उसके निवारण के लिए कुछ विशेष सहायता नहीं मिली। अय्यूब की परेशानी तर्कों
से अधिक संदेह से संबंधित थी – क्या वह परमेश्वर पर भरोसा कर सकता है? अपनी इस विकट स्थिति में अय्यूब को एक बात की
सर्वाधिक लालसा थी – वह एकमात्र जन जो उसकी इस दुखदायी स्थिति को समझा सकता, वह उसके सामने प्रकट हो जाए – वह परमेश्वर से
आमने–सामने मिलना चाहता है, उससे अपनी
स्थिति के बारे में प्रश्न करना चाहता है।
अन्ततः अय्यूब की इच्छा
पूरी होती है। परमेश्वर उसके सम्मुख आता है (देखें अय्यूब 38:1)। परमेश्वर अय्यूब
के सामने आने के समय को अद्भुत रीति से निर्धारित करता है – तब, जब अय्यूब का मित्र एलीहू उसे समझा रहा है कि
क्यों उसे कोई अधिकार नहीं है कि उसे परमेश्वर से कोई दर्शन मिले।
फिर परमेश्वर जो अय्यूब से
कहना आरंभ करता है, उसके लिए न तो
अय्यूब और न ही उसका कोई मित्र तैयार था। अय्यूब के पास प्रश्नों की एक लम्बी सूची
थी, परन्तु सामने आने पर, अय्यूब
नहीं वरन परमेश्वर प्रश्न करना आरम्भ करता है। परमेश्वर अपनी बात “पुरुष के
समान अपनी कमर बान्ध ले, क्योंकि
मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, और तू मुझे
उत्तर दे” (38:3) के साथ आरंभ करता है। दुःख पर पिछले पैंतीस अध्यायों में चली चर्चा और
विवादों को एक ओर हटा कर, परमेश्वर
अपनी अद्भुत सृष्टि के विषय बात करना आरंभ करता है।
परमेश्वर की बात का मुख्य
निहितार्थ है सृष्टि के सृजनहार और पालनहार परमेश्वर तथा सृष्टि के एक छोटे से अय्यूब
के समान मनुष्य के मध्य का महान अंतर। परमेश्वर की उपस्थिति और बातें अय्यूब के
सबसे बड़े प्रश्न – “क्या कोई है जिसे उसका ध्यान रहता है, जो उसकी चिंता करता है?”
का समाधान करती है कि परमेश्वर की दृष्टि से कुछ छुपा नहीं है, और वह हर बात, हर परिस्थिति पर नियंत्रण रखता है, सब कुछ का संचालन करता है। परमेश्वर की वास्तविकता को जानने और समझने के
बाद, अय्यूब अपनी नासमझी का एहसास करने
पाता है, पश्चाताप में परमेश्वर के
आगे समर्पण कर देता है, और परमेश्वर से अद्भुत आशीषें प्राप्त करता है (अध्याय 42)।
हमारा सृष्टिकर्ता परमेश्वर हमारी हर परिस्थिति, हर बात को जानता है और उनके अद्भुत प्रयोजन करता है। - फिलिप यैन्सी
कोई भी त्रासदी परमेश्वर की सार्वभौमिकता से बाहर नहीं है।
मैं कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं; इसलिये मुझे अपने ऊपर घृणा आती है, और मैं धूल और राख में पश्चात्ताप करता हूँ। - अय्यूब 42:5-6
बाइबल पाठ: अय्यूब 38:1-11
अय्यूब 38:1 तब यहोवा ने अय्यूब
को आँधी में से यूं उत्तर दिया,
अय्यूब 38:2 यह कौन है जो अज्ञानता
की बातें कहकर युक्ति को बिगाड़ना चाहता है?
अय्यूब 38:3 पुरुष के समान अपनी
कमर बान्ध ले, क्योंकि मैं तुझ से प्रश्न
करता हूँ, और तू मुझे उत्तर दे।
अय्यूब 38:4 जब मैं ने पृथ्वी
की नेव डाली, तब तू कहां था? यदि तू समझदार हो तो उत्तर दे।
अय्यूब 38:5 उसका नाप किस ने
ठहराया, क्या तू जानता है उस पर किस
ने सूत खींचा?
अय्यूब 38:6 उसकी नेव कौन सी
वस्तु पर रखी गई, वा किस ने उसके कोने
का पत्थर बिठाया,
अय्यूब 38:7 जब कि भोर के तारे
एक संग आनन्द से गाते थे और परमेश्वर के सब पुत्र जयजयकार करते थे?
अय्यूब 38:8 फिर जब समुद्र ऐसा
फूट निकला मानो वह गर्भ से फूट निकला, तब किस ने द्वार मूंदकर उसको रोक दिया;
अय्यूब 38:9 जब कि मैं ने उसको
बादल पहनाया और घोर अन्धकार में लपेट दिया,
अय्यूब 38:10 और उसके लिये सिवाना
बान्धा और यह कहकर बेंड़े और किवाड़ लगा दिए, कि
अय्यूब 38:11 यहीं तक आ, और आगे न बढ़, और तेरी उमड़ने वाली लहरें यहीं थम जाएं?
एक साल में बाइबल:
- भजन 91-93
- रोमियों 15:1-13