हमारे घर में क्रिसमस से जुड़ी कुछ बातें प्रत्येक वर्ष एक समान ही रहती हैं। उनमें से एक है मेरी पत्नि मार्टी द्वारा बच्चों और नाती-पोतों से उपहार खोलते हुए आग्रह करना कि वे उपहार पर लपेटे गए आवरण को ध्यान से खोलें और संभाल कर रखें क्योंकि उन्हें फिर से उपयोग किया जा सकता है। मार्टी को अच्छे उपहार देना बहुत पसन्द है, परन्तु उसे उन उपहारों पर चढ़ाया जाने वाला आवरण भी अच्छा लगता है। उपहार की सुन्दरता का एक भाग उसका वह आवरण है जिसमें लपेट कर उसे दिया जाता है।
यह मेरा ध्यान उस आवरण पर ले जाता है जिस में लिपट कर मसीह यीशु संसार का उद्धारकर्ता बन कर आया ताकि हम मनुष्यों को हमारे पापों से छुड़ा सके। अपने आगमन को प्रभु यीशु अपने विलक्षण बल-सामर्थ के प्रदर्शन तथा आकाश-मण्डल को अपनी स्वर्गीय महिमा की दिव्य ज्योति से प्रकाशित कर देने के आवरण से भी लपेट सकते थे। परन्तु, इसके स्थान पर उन्होंने अपनी सारी स्वर्गीय सामर्थ और महिमा छोड़कर, हम मनुष्यों की समानता में आना पसन्द किया (फिलिप्पियों 2:7)।
उनके पृथ्वी पर आगमन के इस साधारण से आवरण का क्या महत्व है? उन्होंने हमारे समान ही ऐसा साधारण बन कर हमें आश्वस्त किया कि वे हमारे जीवन के संघर्षों से अनभिज्ञ नहीं हैं। पृथ्वी के अपने जीवन में उन्होंने गहरे एकाकीपन और अपने निकट-मित्र के जान-लेवा धोखे का अनुभव किया। उन्हें सार्वजनिक रूप से लज्जित किया गया, गलत समझा और समझाया गया, उन पर झूठा दोषारोपण किया गया। संक्षिप्त में, वह हमारी पीड़ाओं को अपने व्यक्तिगत अनुभवों से जानते हैं। परिणामस्वरूप, जैसे इब्रानियों का लेखक हमें बताता है, "क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्पाप निकला" (इब्रानियों 4:15); और यही हमें प्रोत्साहित करता है कि हम निर्भीक होकर प्रभु यीशु मसीह के पास आएं, क्योंकि वह हमारी सब बात जानता और समझता है (इब्रानियों 4:16)।
इस क्रिसमस के समय में जब आप प्रभु यीशु के बारे में विचार करें तो उस आवरण पर भी ध्यान करें जिसमें होकर उन्होंने अपने आप को हमारे लिए प्रस्तुत किया। - जो स्टोवैल
क्रिसमस के सर्वोत्तम उपहार के आवरण की उपेक्षा ना करें।
इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे। - इब्रानियों 4:16
बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 2:1-11
Philippians 2:1 सो यदि मसीह में कुछ शान्ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है।
Philippians 2:2 तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो।
Philippians 2:3 विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो।
Philippians 2:4 हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों के हित की भी चिन्ता करे।
Philippians 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो।
Philippians 2:6 जिसने परमेश्वर के स्वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा।
Philippians 2:7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
Philippians 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।
Philippians 2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है।
Philippians 2:10 कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें।
Philippians 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।
एक साल में बाइबल:
- मीका 6-7
- प्रकाशितवाक्य 13