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शनिवार, 23 जनवरी 2021

मन

 

          जब कॉलेज की एक कक्षा सांस्कृतिक भ्रमण के लिए गई, तो प्रशिक्षक ने अपने सर्वोत्तम विद्यार्थियों में से एक लगभग पहचाना ही नहीं। कक्षा में वह अपनी पैंट के अन्दर छः इंच ऊँची एड़ियों वाले जूते छिपाए रहती थी जिससे कि लम्बी दिखे। परन्तु अब चलने फिरने के लिए जो जूते उसने पहने हुए थे, उनमें वह पाँच फीट से भी कम ऊँचाई की थी! उसने हँसते हुए कहा, “ऊँची एड़ी वाले मेरे जूते दिखाते हैं कि मैं कैसी दिखना चाहती हूँ; लेकिन ये जूते दिखा रहे हैं कि मैं वास्तव में कैसी हूँ।”

          हमारा भौतिक स्वरूप हमारी वास्तविकता को नहीं दिखाता है; हमारी सच्चाई हमारे मन के द्वारा है। परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि प्रभु यीशु ने उन स्वांग भरने में निपुण, अत्यधिक धर्मी दिखने वाले धर्म के अगुवों, उन “फरीसियों और व्यवस्था के शिक्षकों” की कठोर शब्दों में आलोचना की। उन्होंने प्रभु यीशु से पूछा कि उसके शिष्य भोजन खाने से पहले अपने हाथ क्यों नहीं धोते थे, जैसा कि उनकी धार्मिक परंपराओं की माँग थी (मत्ती 15:1-2)। प्रभु यीशु ने उन से पूछा,तुम भी अपनी रीतियों के कारण क्यों परमेश्वर की आज्ञा टालते हो?” (पद 3)। फिर प्रभु ने प्रकट किया कि कैसे उन्होंने बाहर से परमेश्वर की व्यवस्था के आज्ञाकारी प्रतीत होने के लिए अपने लिए बचने का एक वैधानिक मार्ग बना लिया था, और उसके द्वारा, अपने माता-पिता की देखभाल में लगाने के स्थान पर वे अपने धन को अपने ही पास बचाकर रखे रहते थे (पद 4-6), जो कि पाँचवीं आज्ञा का उल्लंघन (निर्गमन 20:12) और माता-पिता का निरादर करना था।

          यदि हम बाहरी स्वरूपों पर ही ध्यान देते रहेंगे, और परमेश्वर के स्पष्ट आज्ञाओं की आज्ञाकारिता से बचने के लिए अपने लिए बचने के मार्ग बनाते रहेंगे, तो हम उसकी व्यवस्था की आत्मा का उल्लंघन करने वाले होंगे। प्रभु यीशु ने कहा,क्योंकि कुचिन्‍ता, हत्या, परस्त्रीगमन, व्यभिचार, चोरी, झूठी गवाही और निन्दा मन ही से निकलतीं है” (मत्ती 15:19)। केवल परमेश्वर ही, उसके पुत्र और जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की धार्मिकता के द्वारा, हमें एक स्वच्छ मन दे सकता है जो उसका आज्ञाकारी बना रहे। - टिम गुस्ताफसन

 

यदि हमारा उद्देश्य अन्य मनुष्यों को प्रभावित करने का रहेगा, 

तो हम परमेश्वर को प्रसन्न करने वाले नहीं होंगे।


तुम न तो संसार से और न संसार में की वस्तुओं से प्रेम रखो: यदि कोई संसार से प्रेम रखता है, तो उस में पिता का प्रेम नहीं है। - 1 यूहन्ना 2:15

बाइबल पाठ: मत्ती 15:1-11, 16-20.

मत्ती 15:1 तब यरूशलेम से कितने फरीसी और शास्त्री यीशु के पास आकर कहने लगे।

मत्ती 15:2 तेरे चेले पुरनियों की रीतियों को क्यों टालते हैं, कि बिना हाथ धोए रोटी खाते हैं?

मत्ती 15:3 उसने उन को उत्तर दिया, कि तुम भी अपनी रीतियों के कारण क्यों परमेश्वर की आज्ञा टालते हो?

मत्ती 15:4 क्योंकि परमेश्वर ने कहा था, कि अपने पिता और अपनी माता का आदर करना: और जो कोई पिता या माता को बुरा कहे, वह मार डाला जाए।

मत्ती 15:5 पर तुम कहते हो, कि यदि कोई अपने पिता या माता से कहे, कि जो कुछ तुझे मुझ से लाभ पहुंच सकता था, वह परमेश्वर को भेंट चढ़ाई जा चुकी।

मत्ती 15:6 तो वह अपने पिता का आदर न करे, सो तुम ने अपनी रीतियों के कारण परमेश्वर का वचन टाल दिया।

मत्ती 15:7 हे कपटियों, यशायाह ने तुम्हारे विषय में यह भविष्यवाणी ठीक की।

मत्ती 15:8 कि ये लोग होंठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उन का मन मुझ से दूर रहता है।

मत्ती 15:9 और ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि मनुष्यों की विधियों को धर्मोपदेश कर के सिखाते हैं।

मत्ती 15:10 और उसने लोगों को अपने पास बुलाकर उन से कहा, सुनो; और समझो।

मत्ती 15:11 जो मुंह में जाता है, वह मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता, पर जो मुंह से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है।

मत्ती 15:16 उसने कहा, क्या तुम भी अब तक ना समझ हो?

मत्ती 15:17 क्या नहीं समझते, कि जो कुछ मुंह में जाता, वह पेट में पड़ता है, और सण्‍डास में निकल जाता है?

मत्ती 15:18 पर जो कुछ मुंह से निकलता है, वह मन से निकलता है, और वही मनुष्य को अशुद्ध करता है।

मत्ती 15:19 क्योंकि कुचिन्‍ता, हत्या, परस्त्रीगमन, व्यभिचार, चोरी, झूठी गवाही और निन्दा मन ही से निकलतीं है।

मत्ती 15:20 यही हैं जो मनुष्य को अशुद्ध करती हैं, परन्तु हाथ बिना धोए भोजन करना मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता।

 

एक साल में बाइबल: 

  • निर्गमन 7-8 
  • मत्ती 15:1-20