जब जिब्राइल स्वर्गदूत जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के जन्म के विषय में संसार के लिए शुभ सन्देश को लेकर मरियम के पास पहुँचा (लूका 1:26-27; 2:10), तो क्या यह सन्देश उस युवती मरियम के लिए भी शुभ था? संभवतः मरियम के मन में कई विचार उठे होंगे: मैं अपने गर्भवती होने के बारे में अपने परिवार को क्या बाताऊँगी? कहीं मेरा मंगेतर इस मंगनी को तोड़ तो नहीं देगा? नगर के लोग क्या कहेंगे? यदि मुझे क्षमा भी कर दिया गया और मुझे जीवन जीने भी दिया गया, तो मैं अकेली माँ के रूप में कैसे निर्वाह करूँगी?
जब यूसुफ को मरियम के गर्भवती होने का पता चला, तो वह परेशान हुआ; उसके सामने तीन विकल्प थे। मरियम के साथ अपनी मंगनी को वैसे ही रहने दे और उससे विवाह कर ले; या, उसे त्याग दे और उसे सार्वजनिक रूप से अपमानित होने दे; या फ़िर चुपचाप मंगनी तोड़ दे और मरियम पर कोई सार्वजनिक अपमान न आने दे। यूसुफ ने तीसरा विकल्प चुना, परन्तु परमेश्वर ने हस्तक्षेप किया और उसे स्वपन में दर्शन देकर उससे कहा, "जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्वप्न में दिखाई देकर कहने लगा; हे यूसुफ दाऊद की सन्तान, तू अपनी पत्नी मरियम को अपने यहां ले आने से मत डर; क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है" (मत्ती 1:20)।
मरियम और यूसुफ के लिए क्रिसमस, अपने सामने कल्पना से परे गंभीर भावनात्मक चुनौतियों के होते हुए भी, परमेश्वर की आज्ञाकारिता के साथ आरंभ हुआ। उन्होंने अपने विषय परमेश्वर पर भरोसा किया, और ऐसा करने में उन्होंने 1 यूहन्ना 2:5, "पर जो कोई उसके वचन पर चले, उस में सचमुच परमेश्वर का प्रेम सिद्ध हुआ है: हमें इसी से मालूम होता है, कि हम उस में हैं" को अपने जीवन में जी कर दिखाया।
क्रिसमस के इस मौसम में अपने मनों को परमेश्वर के प्रेम से भर लें, उसके प्रति विश्वासयोग्य बनें, हर बात और हर परिस्थिति के लिए उस पर अपना भरोसा बनाए रखें। जब हम परमेश्वर की आज्ञाकारिता में बने रहेंगे, वह हमारे लिए मार्ग भी बनाता चला जाएगा। - एल्बर्ट ली
परमेश्वर के प्रति प्रेम से भरे हृदय से ही
परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता प्रवाहित होती है।
वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा। - मत्ती 1:21
बाइबल पाठ: लूका 1:26-38
Luke 1:26 छठवें महीने में परमेश्वर की ओर से जिब्राईल स्वर्गदूत गलील के नासरत नगर में एक कुंवारी के पास भेजा गया।
Luke 1:27 जिस की मंगनी यूसुफ नाम दाऊद के घराने के एक पुरूष से हुई थी: उस कुंवारी का नाम मरियम था।
Luke 1:28 और स्वर्गदूत ने उसके पास भीतर आकर कहा; आनन्द और जय तेरी हो, जिस पर ईश्वर का अनुग्रह हुआ है, प्रभु तेरे साथ है।
Luke 1:29 वह उस वचन से बहुत घबरा गई, और सोचने लगी, कि यह किस प्रकार का अभिवादन है?
Luke 1:30 स्वर्गदूत ने उस से कहा, हे मरियम; भयभीत न हो, क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह तुझ पर हुआ है।
Luke 1:31 और देख, तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्पन्न होगा; तू उसका नाम यीशु रखना।
Luke 1:32 वह महान होगा; और परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा; और प्रभु परमेश्वर उसके पिता दाऊद का सिंहासन उसको देगा।
Luke 1:33 और वह याकूब के घराने पर सदा राज्य करेगा; और उसके राज्य का अन्त न होगा।
Luke 1:34 मरियम ने स्वर्गदूत से कहा, यह क्योंकर होगा? मैं तो पुरूष को जानती ही नहीं।
Luke 1:35 स्वर्गदूत ने उसको उत्तर दिया; कि पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ तुझ पर छाया करेगी इसलिये वह पवित्र जो उत्पन्न होने वाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा।
Luke 1:36 और देख, और तेरी कुटुम्बिनी इलीशिबा के भी बुढ़ापे में पुत्र होने वाला है, यह उसका, जो बांझ कहलाती थी छठवां महीना है।
Luke 1:37 क्योंकि जो वचन परमेश्वर की ओर से होता है वह प्रभावरिहत नहीं होता।
Luke 1:38 मरियम ने कहा, देख, मैं प्रभु की दासी हूं, मुझे तेरे वचन के अनुसार हो: तब स्वर्गदूत उसके पास से चला गया।
एक साल में बाइबल:
- दानिय्येल 3-4
- 1 यूहन्ना 5