एक
वृद्ध आदमी ने अपनी पोती से कुछ कहा, जिसने फिर वह बात मुझे बताई। उस वृद्ध ने कहा
“मैंने घोड़ागाड़ी से लेकर मनष्य को चाँद पर चलते हुए तक देखा है; परन्तु कभी नहीं
सोचा था कि यह इतने कम समय में हो जाएगा।” जीवन छोटा है।
हम
में से कई प्रभु यीशु की ओर मुड़ते हैं क्योंकि
हम अनन्त जीवन चाहते हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है, परन्तु क्या हम समझते भी
हैं कि अनन्त जीवन क्या है? हमारी प्रवृत्ति है कि हम गलत वस्तुओं की लालसा करते
हैं। हम कुछ बेहतर चाहते हैं, और हमें लगता है कि वह जो हम चाहते हैं बस थोड़ा सा
आगे ही है। हम सोचते हैं, बस यदि मैं स्कूल पूरा करके बाहर निकल जाऊँ; बस यदि
मेरे पास वह वाली नौकरी हो; बस यदि मेरा विवाह हो जाए; बस यदि मैं सेवा-निवृत्त हो
जाऊँ; बस यदि...। और फिर एक दिन हमें अपने वृद्धों की कही बात की गूंज सुनाई
देती है, और हम सोचने लगते हैं कि समय कब और कैसे निकल गया?
वास्तविकता
यही है कि प्रत्येक मसीही विश्वासी के पास अनन्त जीवन अभी और यहीं है। परमेश्वर के
वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने लिखा, “क्योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने
मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की व्यवस्था से
स्वतंत्र कर दिया” (रोमियों 8:2)। उसने आगे लिखा, “क्योंकि
शरीरिक व्यक्ति शरीर की बातों पर मन लगाते हैं; परन्तु
आध्यात्मिक आत्मा की बातों पर मन लगाते हैं” (पद 5)।
दूसरे शब्दों में, हम मसीह यीशु के पास आ जाते हैं तो हमारी लालसाएं भी बदल जाती
हैं ; और इससे हम वह प्राप्त करने पाते हैं जिसकी हमें सबसे अधिक इच्छा रहती है “शरीर
पर मन लगाना तो मृत्यु है, परन्तु आत्मा पर मन लगाना
जीवन और शान्ति है”(पद 6)।
जीवन
के सबसे बड़े झूठ में से एक यह है कि वास्तव में जीने के लिए हमें कहीं और होना
होगा, कुछ और करना होगा, किसी और के साथ होना होगा। जब हम प्रभु यीशु मसीह में
अपना जीवन प्राप्त करते हैं, तो हम जीवन के छोटा होने के अफसोस को उसके साथ के
जीवन की भरपूरी के साथ अदला-बदली कर लेते हैं, अभी के लिए भी और अनन्त जीवन के लिए
भी। - टिम गुस्ताफसन
अनन्त जीवन के लिए हमें, हम में प्रभु यीशु
मसीह को जीने देना होगा।
और अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जाने। - यूहन्ना 17:3
बाइबल पाठ: रोमियों 8:1-11
Romans 8:1 सो अब जो मसीह यीशु में हैं,
उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं: क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन
आत्मा के अनुसार चलते हैं।
Romans 8:2 क्योंकि जीवन की आत्मा की
व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की
व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया।
Romans 8:3 क्योंकि जो काम व्यवस्था शरीर
के कारण दुर्बल हो कर न कर सकी, उसको परमेश्वर ने किया,
अर्थात अपने ही पुत्र को पापमय शरीर की समानता में, और पाप के बलिदान होने के लिये भेज कर, शरीर में पाप
पर दण्ड की आज्ञा दी।
Romans 8:4 इसलिये कि व्यवस्था की विधि हम
में जो शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं, पूरी
की जाए।
Romans 8:5 क्योंकि शरीरिक व्यक्ति शरीर की
बातों पर मन लगाते हैं; परन्तु आध्यात्मिक आत्मा की बातों पर
मन लगाते हैं।
Romans 8:6 शरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है,
परन्तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और शान्ति है।
Romans 8:7 क्योंकि शरीर पर मन लगाना तो
परमेश्वर से बैर रखना है, क्योंकि न तो परमेश्वर की व्यवस्था
के आधीन है, और न हो सकता है।
Romans 8:8 और जो शारीरिक दशा में है,
वे परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकते।
Romans 8:9 परन्तु जब कि परमेश्वर का आत्मा
तुम में बसता है, तो तुम शारीरिक दशा में नहीं, परन्तु आत्मिक दशा में हो। यदि किसी में मसीह का आत्मा नहीं तो वह उसका जन
नहीं।
Romans 8:10 और यदि मसीह तुम में है,
तो देह पाप के कारण मरी हुई है; परन्तु आत्मा
धर्म के कारण जीवित है।
Romans 8:11 और यदि उसी का आत्मा जिसने
यीशु को मरे हुओं में से जिलाया तुम में बसा हुआ है; तो
जिसने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी मरनहार
देहों को भी अपने आत्मा के द्वारा जो तुम में बसा हुआ है जिलाएगा।
एक साल में बाइबल:
- 2 इतिहास 23-24
- यूहन्ना 15