एक प्रातः जब लिलिया कार्य पर निकलने की तैयारी कर रही थी, उसकी 4 वर्षीय पुत्री, जेस, भी कुछ कार्य करने लगी। परिवार ने एक टोस्टर खरीदा था और उस टोस्टर को कार्य करते देखने से जेस रोमांचित होती थी। कुछ ही मिनिटों में लिलिया ने पाया कि उसके सामने मेज़ पर पूरा ब्रेड और आधा टोस्ट विद्यमान था; और जेस कह रही थी, "देखा, मैं कितनी अच्छी डबल रोटी बनाती हूँ"।
एक जिज्ञासु लड़की द्वारा ब्रेड को टोस्ट में बदल देना कोई आश्चर्यकर्म नहीं था। परन्तु जब प्रभु यीशु ने एक लड़के की पाँच रोटियों और दो मछलियों को हज़ारों की भीड़ को भर-पेट खिलाने के लायक भोजन में बदल दिया, तो उस पहाड़ी पर एकत्रित भीड़ ने इस बात के आश्चर्यकर्म होने को समझा, और वे प्रभु को राजा बनाने की युक्ति करने लगे (देखिए यूहन्ना 6:1-15)।
परन्तु प्रभु यीशु का राज्य इस संसार का राज्य नहीं है (यूहन्ना 18:36), इसलिए वह उनके मध्य में से निकल कर चला गया। अगले दिन जब लोगों ने उसे झील के पार पाया, और उससे इस के बारे में पूछने लगे, तो प्रभु यीशु ने उनके विचारों और उद्देश्यों में विद्यमान मूल त्रुटि को उनके सामने रखा; प्रभु यीशु ने उन से कहा: "...मैं तुम से सच सच कहता हूं, तुम मुझे इसलिये नहीं ढूंढ़ते हो कि तुम ने अचम्भित काम देखे, परन्तु इसलिये कि तुम रोटियां खाकर तृप्त हुए" (यूहन्ना 6:26)।
उनका सोचना था कि "राजा" यीशु उन्हें मुफ्त में, बिना किसी परिश्रम के, भरपेट भोजन देता रहेगा और साथ ही रोमी शासन से स्वतंत्रता देगा; परन्तु उनकी यह सोच गलत थी। प्रभु यीशु ने उन्हें परामर्श दिया, "नाशमान भोजन के लिये परिश्रम न करो, परन्तु उस भोजन के लिये जो अनन्त जीवन तक ठहरता है, जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा, क्योंकि पिता, अर्थात परमेश्वर ने उसी पर छाप कर दी है" (पद 27)। सांसारिक दृष्टिकोण हमें प्रभु यीशु को सांसारिक आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम बनाकर दिखाएगा; परन्तु वह तो हमें सांसारिक वस्तुएं नहीं वरन पापों की क्षमा, स्वर्गीय आशीषें, और अनन्त जीवन का दान देने आया है। - टिम गस्टाफ्सन
पहले तुम परमेश्वर के राज्य और उसके धर्म की खोज करो
तो यह सब वस्तुएं भी तुम्हें दे दी जाएंगी। - मत्ती 6:33
चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और नष्ट करने को आता है। मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं। - यूहन्ना 10:10
बाइबल पाठ: यूहन्ना 6:22-34
John 6:22 दूसरे दिन उस भीड़ ने, जो झील के पार खड़ी थी, यह देखा, कि यहां एक को छोड़कर और कोई छोटी नाव न थी, और यीशु अपने चेलों के साथ उस नाव पर न चढ़ा, परन्तु केवल उसके चेले चले गए थे।
John 6:23 (तौभी और छोटी नावें तिबिरियास से उस जगह के निकट आई, जहां उन्होंने प्रभु के धन्यवाद करने के बाद रोटी खाई थी।)
John 6:24 सो जब भीड़ ने देखा, कि यहां न यीशु है, और न उसके चेले, तो वे भी छोटी छोटी नावों पर चढ़ के यीशु को ढूंढ़ते हुए कफरनहूम को पहुंचे।
John 6:25 और झील के पार उस से मिलकर कहा, हे रब्बी, तू यहां कब आया?
John 6:26 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच सच कहता हूं, तुम मुझे इसलिये नहीं ढूंढ़ते हो कि तुम ने अचम्भित काम देखे, परन्तु इसलिये कि तुम रोटियां खाकर तृप्त हुए।
John 6:27 नाशमान भोजन के लिये परिश्रम न करो, परन्तु उस भोजन के लिये जो अनन्त जीवन तक ठहरता है, जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा, क्योंकि पिता, अर्थात परमेश्वर ने उसी पर छाप कर दी है।
John 6:28 उन्होंने उस से कहा, परमेश्वर के कार्य करने के लिये हम क्या करें?
John 6:29 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया; परमेश्वर का कार्य यह है, कि तुम उस पर, जिसे उसने भेजा है, विश्वास करो।
John 6:30 तब उन्होंने उस से कहा, फिर तू कौन का चिन्ह दिखाता है कि हम उसे देखकर तेरी प्रतीति करें, तू कौन सा काम दिखाता है?
John 6:31 हमारे बाप दादों ने जंगल में मन्ना खाया; जैसा लिखा है; कि उसने उन्हें खाने के लिये स्वर्ग से रोटी दी।
John 6:32 यीशु ने उन से कहा, मैं तुम से सच सच कहता हूं कि मूसा ने तुम्हें वह रोटी स्वर्ग से न दी, परन्तु मेरा पिता तुम्हें सच्ची रोटी स्वर्ग से देता है।
John 6:33 क्योंकि परमेश्वर की रोटी वही है, जो स्वर्ग से उतरकर जगत को जीवन देती है।
John 6:34 तब उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, यह रोटी हमें सर्वदा दिया कर।
एक साल में बाइबल:
- भजन 97-99
- रोमियों 16