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शुक्रवार, 4 अगस्त 2017

बुद्धिमता


   इंटरनैट पर उपलब्ध समाचार साईट्स को देखते हुए जब आप उस पृष्ठ पर बिलकुल नीचे तक पहुँचते हैं तो वहाँ एक भाग मिलता है जिसमें पाठक उस समाचार विषय के बारे में अपनी टिप्पणी लिख सकते हैं। सबसे प्रतिष्ठित और अच्छी मानी जाने वाली साईट्स पर भी इस टिप्पणी वाले स्थान में अनेकों लोगों द्वारा निरादरपूर्ण बातें, अधूरी जानकारी वाली अपमानजनक बातें, लोगों को अपशब्द कहना, इत्यादि पाएंगे।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन नामक पुस्तक बुद्धिमता की बातों का संग्रह है जो लगभग 3000 वर्ष पहले संकलित किया गया था; परन्तु इस पुस्तक की बातें आज भी उतनी ही समकालिक और उपयोगी हैं जितनी कि आज का सबसे ताज़ा समाचार। इस पुस्तक के 26वें अध्याय में दो शिक्षाएं हैं जो प्रथम दृष्टि में परस्पर विरोधी प्रतीत होती हैं, और दोनों ही आज के सामाजिक चर्चा माध्यमों पर सटीक लागू होती हैं: "मूर्ख को उस की मूर्खता के अनुसार उत्तर न देना ऐसा न हो कि तू भी उसके तुल्य ठहरे" (नीतिवचन 26:4); और फिर "मूर्ख को उसकी मूढ़ता के अनुसार उत्तर देना, ऐसा न हो कि वह अपने लेखे बुद्धिमान ठहरे" (नीतिवचन 26:5)।

   इन दोनों परस्पर विरोधी प्रतीत होने वाली बातों में परस्पर संतुलन वहाँ प्रयुक्त ’के अनुसार’ में है। कहने का तात्पर्य है कि पहली शिक्षा है कि किसी भी बात पर ऐसे उत्तर या टिप्पणी मत दो जैसे मूर्ख देते हैं। दूसरी शिक्षा का अर्थ है कि ऐसे उत्तर या टिप्पणी दो कि मूर्ख की मूर्खता उसकी बुद्धिमता प्रतीत न हो।

   मेरी समस्या है कि जिस मूर्खता का मुझे बहुधा सामना करना पड़ता है, वह मेरी अपनी ही होती है। मैंने भी कभी-कभी टिप्पणी वाले स्थान पर या तो कोई कटाक्ष अथवा निन्दनीय बात लिखी है, या किसी और की टिप्पणी को पलट कर निरादरपूर्ण रीति से उसी के ऊपर डाल दिया है। यह परमेश्वर को कतई नहीं भाता है जब मैं अपने किसी संगी मनुष्य के प्रति ऐसा अनादर करूँ, चाहे वे मूर्खतापूर्ण व्यवहार ही क्यों न कर रहे हों।

   परमेश्वर ने हमें अभिव्यक्ति की अद्भुत स्वतंत्रता दी है। हमें जो कहना है, जब कहना है, जिस प्रकार कहना है, आदि बातों का हम अपनी इच्छा और समझ के अनुसार स्वयं निर्णय कर सकते हैं, लेकिन परमेश्वर का वचन बाइबल हमें साथ ही प्रभु यीशु मसीह के शब्दों में यह भी चिताती है कि "और मैं तुम से कहता हूं, कि जो जो निकम्मी बातें मनुष्य कहेंगे, न्याय के दिन हर एक बात का लेखा देंगे" (मत्ती 12:36)। साथ ही परमेश्वर ने हमें एक स्वतंत्रता और दी है, हम जब चाहे उसके पास आकर, उससे आवश्यकता तथा परिस्थिति के अनुसार बुद्धिमता माँग सकते हैं, मार्गदर्शन ले सकते हैं, और वह हमें कभी निराश नहीं करेगा। - टिम गुस्टाफ्सन


जो करो या कहो, प्रेम से करो या कहो।

पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उसको दी जाएगी। - याकूब 1:5

बाइबल पाठ: नीतिवचन 26:1-12
Proverbs 26:1 जैसा धूपकाल में हिम का, और कटनी के समय जल का पड़ना, वैसा ही मूर्ख की महिमा भी ठीक नहीं होती। 
Proverbs 26:2 जैसे गौरिया घूमते घूमते और सूपाबेनी उड़ते-उड़ते नहीं बैठती, वैसे ही व्यर्थ शाप नहीं पड़ता। 
Proverbs 26:3 घोड़े के लिये कोड़ा, गदहे के लिये बाग, और मूर्खों की पीठ के लिये छड़ी है। 
Proverbs 26:4 मूर्ख को उस की मूर्खता के अनुसार उत्तर न देना ऐसा न हो कि तू भी उसके तुल्य ठहरे। 
Proverbs 26:5 मूर्ख को उसकी मूढ़ता के अनुसार उत्तर देना, ऐसा न हो कि वह अपने लेखे बुद्धिमान ठहरे। 
Proverbs 26:6 जो मूर्ख के हाथ से संदेशा भेजता है, वह मानो अपने पांव में कुल्हाड़ा मारता और विष पीता है। 
Proverbs 26:7 जैसे लंगड़े के पांव लड़खड़ाते हैं, वैसे ही मूर्खों के मुंह में नीतिवचन होता है। 
Proverbs 26:8 जैसे पत्थरों के ढेर में मणियों की थैली, वैसे ही मूर्ख को महिमा देनी होती है। 
Proverbs 26:9 जैसे मतवाले के हाथ में कांटा गड़ता है, वैसे ही मूर्खों का कहा हुआ नीतिवचन भी दु:खदाई होता है। 
Proverbs 26:10 जैसा कोई तीरन्दाज जो अकारण सब को मारता हो, वैसा ही मूर्खों वा बटोहियों का मजदूरी में लगाने वाला भी होता है। 
Proverbs 26:11 जैसे कुत्ता अपनी छाँट को चाटता है, वैसे ही मूर्ख अपनी मूर्खता को दुहराता है। 
Proverbs 26:12 यदि तू ऐसा मनुष्य देखे जो अपनी दृष्टि में बुद्धिमान बनता हो, तो उस से अधिक आशा मूर्ख ही से है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 66-67
  • रोमियों 7