धार्मिक अगुओं का एक समूह एक व्यभिचार में
पकड़ी गई स्त्री को लेकर प्रभु यीशु के पास आया, जब वे मंदिर में लोगों को उपदेश दे
रहे थे। उनका उद्देश्य उस स्त्री के द्वारा प्रभु को समाज की दृष्टि में नीचा
दिखाना था; परन्तु वे नहीं जानते थे कि वास्तव में वे उस पापी स्त्री को अनुग्रह
के सागर के पास ला रहे हैं। उन्होंने प्रभु यीशु के सामने उस स्त्री को खड़ा किया और
उससे पूछा कि उस स्त्री के दण्ड के बारे में उसकी राय क्या है; अब इस स्त्री के
साथ क्या किया जाना चाहिए? उनके विचार में, यदि प्रभु यीशु कहते कि उसे छोड़ दो तो
यह मूसा की व्यवस्था का उल्लंघन होता, और प्रभु यीशु व्यवस्था का पालन न करने के
दोषी ठहरते। परन्तु यदि वे कहते कि व्यवस्था के अनुसार उसे पत्थरवाह करके मार दो,
तो वे प्रेम और अनुग्रह की अपनी शिक्षाओं के विरुद्ध जाते।
परन्तु प्रभु यीशु ने उन षड्यंत्रकारियों पर
पासा पलट दिया। परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा है कि उन दोषारोपण करने वाले धर्म
के अगुवों को तुरंत सीधा उत्तर देने के बजाए, प्रभु ने झुककर धरती पर कुछ लिखना
आरंभ कर दिया। जब वे उससे प्रश्न पूछते रहे, तो उसने ऊपर उनकी ओर देखकर उनसे कहा
कि उनमें से जो कोई भी निर्दोष हो, जिसने कभी कोई पाप न किया हो, पहला पत्थर वही मारे,
और प्रभु ने झुककर फिर से धरती पर लिखना आरंभ कर दिया। कुछ देर के बाद जब प्रभु ने
आँख उठाई तो वह स्त्री अकेली खड़ी थी, उसपर दोषारोपण करने और प्रभु को षडयंत्र में
फंसाने का प्रयास करने वाले सभी जा चुके थे।
अब वहाँ केवल एक ही था जो निर्दोश और
निष्पाप था, जो उस स्त्री पर पत्थर मार सकता था – स्वयँ प्रभु यीशु; परन्तु
उन्होंने उस स्त्री की ओर देखा, उसपर अनुग्रह किया और उसके पापों को क्षमा करके
उससे फिर पाप न करने को कहकर उसे जाने दिया।
आज आपके स्थिति चाहे जो भी हो, चाहे आप औरों
पर दोषारोपण करने के दोषी हों, या इस आश्वासन की खोज में हों कि आपके पापों का
क्या होगा? निश्चिन्त होकर प्रभु यीशु के सामने अपने पापों को मान लीजिए तथा उससे
क्षमा की प्रार्थना कीजिए, क्योंकि सँसार के किसी भी व्यक्ति के कैसे एवँ कितने भी
पाप क्यों न हों, वे प्रभु यीशु के अनुग्रह के बाहर नहीं हैं । वह सबसे प्रेम करता
है, सबको क्षमा प्रदान करना चाहता है; उसका प्रेम और करूणा आज सब के लिए उपलब्ध
हैं। - रैंडी किल्गोर
हम एक ऐसे
उद्धारकर्ता की सेवा करते हैं जो क्षमा देने के लिए लालायित रहता है।
क्योंकि
परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो,
परन्तु अनन्त जीवन पाए। परमेश्वर ने अपने
पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा, कि जगत पर दंड की आज्ञा दे परन्तु इसलिये कि
जगत उसके द्वारा उद्धार पाए। - यूहन्ना 3:16-17
बाइबल पाठ:
यूहन्ना 8:1-11
John 8:1 परन्तु यीशु जैतून के पहाड़ पर गया।
John 8:2 और भोर को फिर मन्दिर में आया, और सब लोग उसके
पास आए; और वह बैठकर उन्हें उपदेश देने लगा।
John 8:3 तब शास्त्री और फरीसी एक स्त्री को लाए, जो
व्यभिचार में पकड़ी गई थी, और उसको बीच में खड़ी कर के यीशु
से कहा।
John 8:4 हे गुरू, यह स्त्री व्यभिचार करते ही पकड़ी गई
है।
John 8:5 व्यवस्था में मूसा ने हमें आज्ञा दी है कि ऐसी स्त्रियों को पत्थरवाह
करें: सो तू इस स्त्री के विषय में क्या कहता है?
John 8:6 उन्होंने उसको परखने के लिये यह बात कही ताकि उस पर दोष लगाने के लिये
कोई बात पाएं, परन्तु यीशु झुककर उंगली से भूमि पर लिखने
लगा।
John 8:7 जब वे उस से पूछते रहे, तो उसने सीधे हो कर उन
से कहा, कि तुम में जो निष्पाप हो, वही
पहिले उसको पत्थर मारे।
John 8:8 और फिर झुककर भूमि पर उंगली से लिखने लगा।
John 8:9 परन्तु वे यह सुनकर बड़ों से ले कर छोटों तक एक एक कर के निकल गए,
और यीशु अकेला रह गया, और स्त्री वहीं बीच में
खड़ी रह गई।
John 8:10 यीशु ने सीधे हो कर उस से कहा, हे नारी,
वे कहां गए? क्या किसी ने तुझ पर दंड की आज्ञा
न दी।
John 8:11 उसने कहा, हे प्रभु, किसी
ने नहीं: यीशु ने कहा, मैं भी तुझ पर दंड की आज्ञा नहीं देता;
जा, और फिर पाप न करना।
एक
साल में बाइबल:
- यशायाह 7-8
- इफिसियों 2