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रविवार, 3 जुलाई 2011

मसीही विश्वास की आशा

मुझे एक मसीही विश्वासी का पत्र मिला, यह पत्र एक ऐसे व्यक्ति ने लिखा था जो विश्वास में होकर आने वाले विजयी जीवन को मानों थामे बैठा था। इस व्यक्ति के मस्तिष्क की एक लंबी और बहुत कठिन शल्य चिकित्सा हुई थी, लेकिन उसके मस्तिष्क का कुछ भग क्षतोग्रस्त हो गया था, जिससे वह कुछ कम देखने पाता था, उसकी सुनने की क्षमता भी कम हो गई थी और शरीर का एक भाग अधरंग का शिकार हो गया था; क्योंकि उसके गुर्दों ने भी कम करन बन्द कर दिया था, उसे कई महीने रक्त की सफाई के लिए डायालिसिस मशीन पर भी बिताने पड़े थे। उसने मान कि कई बार उसे निराशा भी हुई, लेकिन वह निराशा से पराजित नहीं हुआ। वह अब भी पूरी रीति से विश्वास करता है कि परमेश्वर का उसके जीवन में कोई प्रेम भरा प्रयोजन है, जिसके अन्तर्गत परमेश्वर ने उसके जीवन में यह सब आने दिया है। उसने अपने पत्र के अन्त में लिखा, "मैं अपनी समस्याओं के साथ जी सकता हूँ क्योंकि मैं जानता हूँ कि ये सब चीज़ें मुझे स्वर्ग के लिए तैयार कर रही हैं।" उसे अपनी महिमामयी देह मिलने की पूरी आशा थी, और उसके लिए वह आनन्दित था।

परमेश्वर के सन्तान यदि आने वाले जीवन की महिमा और अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह की आशा पर अपनी नज़रें लगाए रखें तो अपने जीवन की प्रत्येक कठीनाई और दुख के ऊपर विजयी हो सकते हैं।

परमेश्वर के वचन में अय्युब के १९ अध्ययाय में हम न केवल अपने दुखों के लिए अय्युब क विलाप पढ़ते हैं, वरन साथ ही उसकी अद्भुत आशा की अभिव्यक्ति भी पढ़ते हैं। अय्युब ने अपने अकएलेपन के लिए विलाप किया, क्योंकि उसने न केवल अपना स्वास्थ्य और संपत्ति ही को खोया था वरन साथ ही उसने अपने बेटे बेटियाँ भी खो दिये और उसके मित्रों ने भी उसे छोड़ दिया था। लेकिन फिर भी उसने तसल्ली पाई क्योंकि उसक विश्वास था कि मृत्यु के उस पार वह परमेश्वर को अपने मित्र और उद्धारकर्ता के रूप में पाएगा।

उसकी इसी आशा ने उसे हर बात पर विजयी बना दिया। यही मसीही विश्वास की आशा की सामर्थ है। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


जिस किसी की आशा परमेश्वर से है, वह कभी निराश नहीं रह सकता।

और अपनी खाल के इस प्रकार नाश हो जाने के बाद भी, मैं शरीर में होकर ईश्वर का दर्शन पाऊंगा। उसका दर्शन मैं आप अपनी आंखों से अपने लिये करूंगा... अय्युब १९:२६, २७


बाइबल पाठ: अय्युब १९:१३-२७

Job 19:13 उस ने मेरे भाइयों को मुझ से दूर किया है, और जो मेरी जान पहचान के थे, वे बिलकुल अनजान हो गए हैं।
Job 19:14 मेरे कुटुंबी मुझे छोड़ गए हैं, और जो मुझे जानते थे वह मुझे भूल गए हैं।
Job 19:15 जो मेरे घर में रहा करते थे, वे, वरन मेरी दासियां भी मुझे अनजाना गिनने लगीं हैं; उनकी दृष्टि में मैं परदेशी हो गया हूँ।
Job 19:16 जब मैं अपने दास को बुलाता हूँ, तब वह नहीं बोलता, मुझे उस से गिड़गिड़ाना पड़ता है।
Job 19:17 मेरी सांस मेरी स्त्री को और मेरी गन्ध मेरे भाइयों की दृष्टि में घिनौनी लगती है।
Job 19:18 लड़के भी मुझे तुच्छ जानते हैं और जब मैं उठने लगता, तब वे मेरे विरुद्ध बोलते हैं।
Job 19:19 मेरे सब परम मित्र मुझ से द्वेष रखते हैं, और जिन से मैं ने प्रेम किया सो पलट कर मेरे विरोधी हो गए हैं।
Job 19:20 मेरी खाल और मांस मेरी हड्डियों से सट गए हैं, और मैं बाल बाल बच गया हूं।
Job 19:21 हे मेरे मित्रो! मुझ पर दया करो, दया, क्योंकि ईश्वर ने मुझे मारा है।
Job 19:22 तुम ईश्वर की नाई क्यों मेरे पीछे पड़े हो? और मेरे मांस से क्यों तृप्त नहीं हुए?
Job 19:23 भला होता, कि मेरी बातें लिखी जातीं; भला होता, कि वे पुस्तक में लिखी जातीं,
Job 19:24 और लोहे की टांकी और शीशे से वे सदा के लिये चट्टान पर खोदी जातीं।
Job 19:25 मुझे तो निश्चय है, कि मेरा छुड़ाने वाला जीवित है, और वह अन्त में पृथ्वी पर खड़ा होगा।
Job 19:26 और अपनी खाल के इस प्रकार नाश हो जाने के बाद भी, मैं शरीर में होकर ईश्वर का दर्शन पाऊंगा।
Job 19:27 उसका दर्शन मैं आप अपनी आंखों से अपने लिथे करूंगा, और न कोई दूसरा। यद्यपि मेरा ह्रृदय अन्दर ही अन्दर चूर चूर भी हो जाए

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब २५-२७
  • प्रेरितों १२