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शुक्रवार, 23 जुलाई 2021

दृष्टि

 

          बचपन में, मैं भी किसी भी अन्य बच्चे के समान ही शरारती थी, और अपनी शरारतों और बुराइयों को छिपाने के प्रयास करती थी, जिससे उनके लिए मुझे कोई दण्ड न मिले। लेकिन फिर भी अकसर मेरी माँ को तुरंत ही पता चल जाता था। मुझे अचंभा होता था कि वह कैसे मेरी शैतानियों के बारे में सब कुछ जान लेती थी। मैं जब भी अचंभित होकर उससे इसके बारे में पूछती, तो माँ का एक ही उत्तर होता था, “मेरे सिर के पीछे भी आँखें है।”  इस कारण जब भी उसकी पीठ मेरी ओर होती थी तो मैं बड़े ध्यान से उसके सिर को देखती रहती थी, कि उसकी उन आँखों को देखने पाऊँ – क्या वे आँखें अदृश्य थीं या उसके बालों से ढकी रहती थीं? बड़ी होते हुए, मैंने उसकी उन अतिरिक्त आँखों के प्रमाण को ढूँढना बन्द कर दिया, क्योंकि मुझे एहसास हो गया था कि मैं उतनी चतुर थी नहीं जितना मैं अपने आप को समझती थी। माँ की ध्यान से हम बच्चों पर लगी रहने वाली दृष्टि, हमारे प्रति उसके प्रेम और देखभाल का प्रमाण थी।

          मैं अपनी माँ की उस सतर्क दृष्टि और देखभाल के लिए बहुत कृतज्ञ हूँ (चाहे कभी-कभी मुझे लगता था कि मेरी शैतानी उसकी दृष्टि में नहीं आनी चाहिए थी), किन्तु उससे भी अधिक कृतज्ञ मैं इस बात के लिए हूँ कि परमेश्वर स्वर्ग पर से भी “सब मनुष्यों को निहारता है” (भजन 33:13)। वह केवल वह सब ही नहीं देखता है जो हम करते रहते हैं; वो हमारे दुखों, हमारी प्रसन्नता, और एक-दूसरे के प्रति हमारे प्रेम तथा व्यवहार आदि को भी देखता रहता है।

          परमेश्वर हमारे वास्तविक चरित्र को देखता है और उसे हमेशा पता होता है कि हमें किस बात की आवश्यकता है। अपनी सिद्ध दृष्टि से वह हमारे हृदयों की भीतरी दशा को भी देखता है, और जो उससे प्रेम करते हैं और उसमें अपनी आशा बनाए रखते हैं, उन पर अपनी सुरक्षा की दृष्टि बनाए रहता है। वह हम से प्रेम करने और हमारी देखभाल करने वाला पिता है, जिसकी दृष्टि से हम कभी ओझल नहीं होते हैं। - किर्स्टन होल्मबर्ग

 

परमेश्वर सारे संसार पर, विशेषकर अपने बच्चों पर, अपनी दृष्टि को बनाए रखता है।


 और हे मेरे पुत्र सुलैमान! तू अपने पिता के परमेश्वर का ज्ञान रख, और खरे मन और प्रसन्न जीव से उसकी सेवा करता रह; क्योंकि यहोवा मन को जांचता और विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है उसे समझता है। यदि तू उसकी खोज में रहे, तो वह तुझ को मिलेगा; परन्तु यदि तू उसको त्याग दे तो वह सदा के लिये तुझ को छोड़ देगा। - 1 इतिहास 28:9

बाइबल पाठ: भजन 33:6-19

भजन संहिता 33:6 आकाशमण्डल यहोवा के वचन से, और उसके सारे गण उसके मुंह ही श्वास से बने।

भजन संहिता 33:7 वह समुद्र का जल ढेर के समान इकट्ठा करता; वह गहिरे सागर को अपने भण्डार में रखता है।

भजन संहिता 33:8 सारी पृथ्वी के लोग यहोवा से डरें, जगत के सब निवासी उसका भय मानें!

भजन संहिता 33:9 क्योंकि जब उसने कहा, तब हो गया; जब उसने आज्ञा दी, तब वास्तव में वैसा ही हो गया।

भजन संहिता 33:10 यहोवा अन्य अन्य जातियों की युक्ति को व्यर्थ कर देता है; वह देश देश के लोगों की कल्पनाओं को निष्फल करता है।

भजन संहिता 33:11 यहोवा की युक्ति सर्वदा स्थिर रहेगी, उसके मन की कल्पनाएं पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहेंगी।

भजन संहिता 33:12 क्या ही धन्य है वह जाति जिसका परमेश्वर यहोवा है, और वह समाज जिसे उसने अपना निज भाग होने के लिये चुन लिया हो!

भजन संहिता 33:13 यहोवा स्वर्ग से दृष्टि करता है, वह सब मनुष्यों को निहारता है;

भजन संहिता 33:14 अपने निवास के स्थान से वह पृथ्वी के सब रहने वालों को देखता है,

भजन संहिता 33:15 वही जो उन सभों के हृदयों को गढ़ता, और उनके सब कामों का विचार करता है।

भजन संहिता 33:16 कोई ऐसा राजा नहीं, जो सेना की बहुतायत के कारण बच सके; वीर अपनी बड़ी शक्ति के कारण छूट नहीं जाता।

भजन संहिता 33:17 बच निकलने के लिये घोड़ा व्यर्थ है, वह अपने बड़े बल के द्वारा किसी को नहीं बचा सकता है।

भजन संहिता 33:18 देखो, यहोवा की दृष्टि उसके डरवैयों पर और उन पर जो उसकी करुणा की आशा रखते हैं बनी रहती है,

भजन संहिता 33:19 कि वह उनके प्राण को मृत्यु से बचाए, और अकाल के समय उन को जीवित रखे।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 31-32
  • प्रेरितों 23:16-35