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बुधवार, 8 अक्टूबर 2014

बाधा


   मेरी बेटी डेब्बी एक छोटी बच्ची थी, उसने बैले नृत्य सीखना आरंभ किया था। उस नृत्य के एक अभ्यास में डेब्बी को लपेट कर रखे हुई व्यायाम करने वाली दरी के ऊपर से कूद कर निकलना था। डेब्बी का पहला प्रयास अच्छा नहीं रहा, वह उस बाधा पर लड़खड़ा कर नीचे गिर गई। गिरते ही पल भर को तो वह भूमि पर स्तब्ध पड़ी रही, और फिर उसने रोना आरंभ कर दिया। मैं एक दम कूद कर उसके पास पहुँचा, उसे उठाया, उससे सांत्वना के शब्द कहे, उसे शान्त करवाया और उसे फिर से प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया। अब कि बार मैंने उसका हाथ पकड़कर उसके साथ दौड़ लगाई, और तब तक उसके साथ लगा रहा जब तक कि वह उस बाधा पर से सफलतापूर्वक पार नहीं हो गई। उसके बाद डेब्बी उस बाधा से नहीं डरी; लेकिन ऐसा होने तक उसे मेरी सहायता तथा प्रोत्साहन की आवश्यकता बनी हुई थी।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में जब प्रेरित पौलुस अपने साथी बरनबास के साथ अपनी पहली सेवकाई की यात्रा पर निकला तो उन्होंने अपने साथ एक जवान, मरकुस को भी ले लिया। यात्रा के समय मरकुस को कुछ कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा और वह पौलुस तथा बरनबास को छोड़कर बीच यात्रा से ही वापस घर लौट गया। बाद में जब पौलुस और बरनाबास अपनी दूसरी सेवकाई यात्रा पर निकलने लगे तो बरनबास ने फिर से मरकुस को एक और अवसर देने के लिए साथ ले चलना चाहा, लेकिन पौलुस ने पहली यात्रा के अनुभव के आधार पर इसका विरोध किया। पौलुस और बरनबास में इस बात को लेकर अनबन इतनी बढ़ी कि बरनबास मरकुस के साथ अलग रास्ते चल दिया और पौलुस एक दूसरे साथी को लेकर अलग दिशा में चल दिया (प्रेरितों 15:36-39)।

   बाइबल हमें यह तो नहीं बताती कि सेवकाई की बाधा को पार करवाने के बरनबास के इस प्रयास को लेकर मरकुस की आरंभिक प्रतिक्रीया और अनुभव कैसे थे, या बरनबास ने उससे क्या कहा और कैसे प्रोत्साहित किया, लेकिन यह स्पष्ट है कि मरकुस ने अपने आप को अब कि बार सेवकाई के लिए योग्य प्रमाणित अवश्य कर दिया और फिर आगे चलकर पौलुस के साथ भी उसके मतभेद दूर हो गए, क्योंकि बाद में पौलुस ने मरकुस के विषय में अपनी एक पत्री में लिखा, "...मरकुस को ले कर चला आ; क्योंकि सेवा के लिये वह मेरे बहुत काम का है" (2 तिमुथियुस 4:11)। साथ ही हम पाते हैं कि बाइबल में दी गई प्रभु यीशु की जीवनियों में से एक मरकुस द्वारा लिखी गई।

   जब हम किसी मसीही विश्वासी को असफलता के साथ संघर्ष करते देखते हैं, तो हमारा प्रतिक्रीया क्या होती है? क्या हम उसे सहायता तथा प्रोत्साहन द्वारा उठा कर सफलता की सीढ़ी चढ़वाते हैं, या आलोचना द्वारा निरुत्साहित करके असफलता में और गहरा धंसने देते हैं? हमारा कर्तव्य और मसीही विश्वास उसे सहायता और प्रोत्साहन प्रदान करने को कहता है। क्या आज आपके ध्यान में कोई ऐसा जन है जिसे कोई बाधा पार करने के लिए आपकी सहायता की आवश्यकता है? - डेनिस फिशर


जब समस्याएं और असफलताएं किसी को निराशा में दबाती हैं, तब सहृदयता और प्रेम उन्हें उठा कर खड़ा करवाते हैं।

हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा भी जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो। - गलतियों 6:1

बाइबल पाठ: प्रेरितों 15:36-41
Acts 15:36 कुछ दिन बाद पौलुस ने बरनबास से कहा; कि जिन जिन नगरों में हम ने प्रभु का वचन सुनाया था, आओ, फिर उन में चलकर अपने भाइयों को देखें; कि कैसे हैं। 
Acts 15:37 तब बरनबास ने यूहन्ना को जो मरकुस कहलाता है, साथ लेने का विचार किया। 
Acts 15:38 परन्तु पौलुस ने उसे जो पंफूलिया में उन से अलग हो गया था, और काम पर उन के साथ न गया, साथ ले जाना अच्छा न समझा। 
Acts 15:39 सो ऐसा टंटा हुआ, कि वे एक दूसरे से अलग हो गए: और बरनबास, मरकुस को ले कर जहाज पर कुप्रुस को चला गया। 
Acts 15:40 परन्तु पौलुस ने सीलास को चुन लिया, और भाइयों से परमेश्वर के अनुग्रह पर सौंपा जा कर वहां से चला गया। 
Acts 15:41 और कलीसियाओं को स्थिर करता हुआ, सूरिया और किलिकिया से होते हुआ निकला।

एक साल में बाइबल: 
  • ज़कर्याह 1-2