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मंगलवार, 8 अक्टूबर 2019

पर्याप्त



      जब मुझ से तथा मेरे पति से पहली बार हमारे छोटे से मसीही समूह की अपने घर में मेज़बानी करने के लिए पूछा गया, तो मेरी पहली प्रतिक्रया थी कि हम इन्कार कर दें। मैं अपने आप को अपर्याप्त समझती थी। हमारे छोटे से घर में सबके बैठने के लिए पर्याप्त कुर्सियाँ नहीं थीं, और घर में लोगों के एकत्रित होने लायक स्थान की भी कमी थी। मुझे नहीं लगता था कि हम में चर्चा को आरंभ करने तथा संचालित करते रहने की योग्यताएं थीं। मुझे चिंता थी मुझ से आने वाले लोगों के लिए भोजन बनाने के लिए कहा जाएगा, जिसके लिए मेरे पास इच्छा और संसाधन दोनों ही की कमी थी। मुझे लगता था कि हमारे पास यह करने के लिए पर्याप्त नहीं है; मुझे नहीं लगता था कि यह करने के लिए मैं पर्याप्त हूँ। किन्तु हम परमेश्वर और अपने समुदाय के लिए कुछ करना भी चाहते थे; इसलिए अपनी शंकाओं और हिचकिचाहट के होते हुए भी हमने “हाँ” कह दिया। और तब से लेकर अगले पाँच वर्षों तक अपने समूह की मेज़बानी करने से हमें बहुत आनन्द और आशीष मिलती रही है।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में भी मुझे इसी प्रकार का संकोच उस व्यक्ति में दिखाई देता है जो परमेश्वर के नबी एलीशा के पास रोटी लेकर आया था। एलीशा ने उससे कहा कि वह उस रोटी को उपस्थित लोगों में बाँट दे, परन्तु उस व्यक्ति ने प्रश्न किया कि वह बीस रोटियाँ, कैसे सौ लोगों के लिए पर्याप्त होंगी? प्रतीत होता है कि वह उस भोजन को परोसना ही नहीं चाह रहा था क्योंकि उसकी मानवीय समझ के अनुसार, वह भोजन-मात्रा पर्याप्त नहीं थी। परन्तु अन्त में पता चला कि वह पर्याप्त से भी अधिक था (2 राजाओं 4:44), क्योंकि परमेश्वर ने उसकी उस भेंट को लिया और उसकी आज्ञाकारिता के कारण उसे पर्याप्त बना दिया।

      जब हमें लगे कि हम अयोग्य हैं, या जो हम देना चाह रहे हैं वह अपर्याप्त है, तो हम यह स्मरण करें कि परमेश्वर ने हम से जो भी हमारे पास है उसे आज्ञाकारिता में दे देने के लिए कहा है। हमारी भेंट को पर्याप्त वह बनाता है। - कर्स्टन होल्म्बर्ग

विश्वास और आज्ञाकारिता के साथ दी गई प्रत्येक भेंट पर्याप्त होती है।

इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्‍ता न करना कि हम क्या खाएंगे? और क्या पीएंगे? और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहिनेंगे? क्या प्राण भोजन से, और शरीर वस्‍त्र से बढ़कर नहीं? – मत्ती 6:25

बाइबल पाठ: 2 राजाओं 4: 42-44; मत्ती 6:31-34
2 Kings 4:42 और कोई मनुष्य बालशालीशा से, पहिले उपजे हुए जव की बीस रोटियां, और अपनी बोरी में हरी बालें परमेश्वर के भक्त के पास ले आया; तो एलीशा ने कहा, उन लोगों को खाने के लिये दे।
2 Kings 4:43 उसके टहलुए ने कहा, क्या मैं सौ मनुष्यों के साम्हने इतना ही रख दूं? उसने कहा, लोगों को दे दे कि खाएं, क्योंकि यहोवा यों कहता है, उनके खाने के बाद कुछ बच भी जाएगा।
2 Kings 4:44 तब उसने उनके आगे धर दिया, और यहोवा के वचन के अनुसार उनके खाने के बाद कुछ बच भी गया।

Matthew 6:31 इसलिये तुम चिन्‍ता कर के यह न कहना, कि हम क्या खाएंगे, या क्या पीएंगे, या क्या पहिनेंगे?
Matthew 6:32 क्योंकि अन्यजाति इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्तुएं चाहिए।
Matthew 6:33 इसलिये पहिले तुम उसे राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी।
Matthew 6:34 सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 30-31
  • फिलिप्पियों 4