ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

रविवार, 9 दिसंबर 2018

प्रोत्साहन



      एक पुराना गाना है, “If We Make it Through December” जो एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताता है जिसे फैक्ट्री के कार्य से निकाल दिया जाता है और उसके पास अपने बेटी के लिए क्रिसमस के उपहार खरीदने के लिए कोई पैसा नहीं होता है। यद्यपि दिसंबर वर्ष का आनन्द मनाने का समय होता है, उसका जीवन अन्धेरा और ठंडा था।

      निराशा दिसंबर के लिए अनूठी तो नहीं है, परन्तु उस समय बढ़ सकती है। हमारी अपेक्षाएं बड़ी हो सकती हैं, हमारी उदासी और गहरी हो सकती है। ऐसे में थोड़ा सा प्रोत्साहन बहुत सहायक हो सकता है।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में नए नियम खण्ड का एक पात्र है यूसुफ, जो साइप्रस का निवासी था, प्रभु यीशु के आरंभिक अनुयायियों में से था, और प्रेरित उसे बरनाबास अर्थात “शान्ति का पुत्र” भी कहते थे। उससे हमारी मुलाकात प्रेरितों 4:36-37 में होती है, जब उसने अपनी भूमि बेचकर अन्य विश्वासियों की आवश्यकता में उनकी सहायता के लिए वह पैसा दान कर दिया। बाद में हम देखते हैं कि जब अन्य शिष्य पौलुस से भयभीत थे, क्योंकि पहले शाउल (पौलुस का पहला नाम) यीशु के शिष्यों का शत्रु हुआ करता था, तो बरनाबास ही था जो मसीह द्वारा उसके परिवर्तन पर विश्वास करके,पौलुस को खोजकर अन्य शिष्यों के पास लेकर लाया और उसका समर्थन किया, उसे अन्य शिष्यों से मिलवाया  (प्रेरितों 9:26-27)।

      हमारे चारों ओर ऐसे लोग हैं जिन्हें प्रोत्साहन की आवश्यकता है। समय से कहा गया एक शब्द, एक फोन, या एक प्रार्थना, मसीह में उनके विश्वास को सहारा दे सकती है, उन्हें संभाल सकती है।

      बरनाबास की उदारता और सहायता दिखाते हैं कि शान्ति या प्रोत्साहन का पुत्र होने का अभिप्राय क्या होता है। हो सकता है कि यह प्रोत्साहन ही वह सबसे अच्छा उपहार है जिसे आप इस क्रिसमस काल में किसी को दे सकें। - डेविड मैक्कोस्लैंड


प्रोत्साहन किसे को दिया गया सर्वोत्तम उपहार हो सकता है।

हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा भी जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो। - गलातियों 6:1

बाइबल पाठ: प्रेरितों 4:32-37; 9:26-27
Acts 4:32 और विश्वास करने वालों की मण्‍डली एक चित्त और एक मन के थे यहां तक कि कोई भी अपनी सम्पति अपनी नहीं कहता था, परन्तु सब कुछ साझे का था।
Acts 4:33 और प्रेरित बड़ी सामर्थ से प्रभु यीशु के जी उठने की गवाही देते रहे और उन सब पर बड़ा अनुग्रह था।
Acts 4:34 और उन में कोई भी दरिद्र न था, क्योंकि जिन के पास भूमि या घर थे, वे उन को बेच बेचकर, बिकी हुई वस्‍तुओं का दाम लाते, और उसे प्रेरितों के पांवों पर रखते थे।
Acts 4:35 और जैसी जिसे आवश्यकता होती थी, उसके अनुसार हर एक को बांट दिया करते थे।
Acts 4:36 और यूसुफ नाम, कुप्रुस का एक लेवी था जिसका नाम प्रेरितों ने बरनबास (अर्थात शान्‍ति का पुत्र) रखा था।
Acts 4:37 उस की कुछ भूमि थी, जिसे उसने बेचा, और दाम के रूपये लाकर प्रेरितों के पांवों पर रख दिए।

Acts 9:26 यरूशलेम में पहुंचकर उसने चेलों के साथ मिल जाने का उपाय किया: परन्तु सब उस से डरते थे, क्योंकि उन को प्रतीति न होता था, कि वह भी चेला है।
Acts 9:27 परन्तु बरनबास ने उसे अपने साथ प्रेरितों के पास ले जा कर उन से कहा, कि इस ने किस रीति से मार्ग में प्रभु को देखा, और इस ने इस से बातें कीं; फिर दमिश्क में इस ने कैसे हियाव से यीशु के नाम का प्रचार किया।


एक साल में बाइबल: 
  • दानिय्येल 11-12
  • यहूदा