अमेरिका में 1970 के दशक में एक प्रचलित सनक थी मोटरसाईकिल द्वारा लंबी दूरी की छलाँग लगाना। इस सनक की पराकाष्ठा, और संभवतः गहराई भी 8 सितंबर 1974 को देखने को मिली जब इडाहो प्रांत की स्नेक रिवर घाटी में हज़ारों दर्शक इवेल नीवेल को घाटी के एक छोर से दूसरे छोर तक एक विशेष रीति से बनाई गई ’स्काई साईकिल’ द्वारा छलाँग लगाने को देखने के लिए एकत्रित हुए। अन्ततः इवेल का यह प्रयास असफल रहा और कुछ दूर तक की छलांग के बाद वह पैराशूट द्वारा नीचे धरती पर आ गया। कुछ दर्शकों ने प्रश्न किया, "नीचे आने से पहले इवेल घाटी की चैड़ाई की कितनी दूरी तय कर सका?" लेकिन महत्वपूर्ण बात यह नहीं थी कि उसने कितनी दूरी तय करी, वरन यह कि वह पूरी दूरी तय नहीं कर सका, अपने लक्ष्य से कम रह गया और असफल माना गया।
यह घटना पाप के साथ हमारे संघर्ष का एक अच्छा उदाहरण है। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने रोमियों को लिखी अपनी पत्री में लिखा, "इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं" (रोमियों 3:23)। कोई मनुष्य ऐसा नहीं है जो पाप के कारण मनुष्य और परमेश्वर के बीच आई दूरी को अपने प्रयास से पार कर सके। इसीलिए परमेश्वर ने प्रभु यीशु को इस संसार में भेजा जिससे वह अपने बलिदान तथा पुनरुत्थान के द्वारा पापों से पश्चाताप और उस पर विश्वास करने वाले सभी लोगों के लिए परमेश्वर और मनुष्य के बीच की उस घाटी को पार करने का मार्ग बन सके, लोगों को परमेश्वर तक ले जाने वाला बन सके।
प्रभु यीशु ने पृथ्वी पर एक निषकलंक और निषपाप जीवन व्यतीत किया और समस्त मानव जाति के सभी पापों के दण्ड को अपने ऊपर लेकर सब के लिए उस दण्ड को सह लिया, वह हमारे बदले में मारा गया, गड़ा गया और अफिर तीसरे दिन मृतकों में से जीवित हो उठा और आज जीवित परमेश्वर है जो जगत के न्यायी के रूप में एक बार फिर आएगा: "क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जिस में वह उस मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उसने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रामाणित कर दी है" (प्रेरितों 17:31)। जिस कार्य में हम मनुष्य केवल असफल रह सकते थे, वह प्रभु यीशु ने अपने बड़े प्रेम में होकर हम सब के लिए कर के दे दिया, उसे सभी के लिए सेंत-मेंत उपलब्ध करवा दिया।
अब हमें अपने किसी असफल प्रयास को करने की नहीं वरन केवल पापों से पश्चाताप करने और प्रभु यीशु के कार्य को स्वीकार करके उसे अपने जीवनों में लागू कर लेने की आवश्यकता है, और उद्धार तथा परमेश्वर से मेल मिलाप का कार्य हमारे लिए पूरा हो जाएगा। क्या आपने परमेश्वर तथा अपने मध्य की यह दूरी प्रभु यीशु में होकर पाट ली है? - बिल क्राउडर
मसीह यीशु का क्रूस उस दूरी को पाट देता है जिसे हम अपने प्रयासों से कभी पाट नहीं सकते।
नि:सन्देह पृथ्वी पर कोई ऐसा धर्मी मनुष्य नहीं जो भलाई ही करे और जिस से पाप न हुआ हो। - सभोपदेशक 7:20
बाइबल पाठ: रोमियों 3:19-28
Romans 3:19 हम जानते हैं, कि व्यवस्था जो कुछ कहती है उन्हीं से कहती है, जो व्यवस्था के आधीन हैं: इसलिये कि हर एक मुंह बन्द किया जाए, और सारा संसार परमेश्वर के दण्ड के योग्य ठहरे।
Romans 3:20 क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके साम्हने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहिचान होती है।
Romans 3:21 पर अब बिना व्यवस्था परमेश्वर की वह धामिर्कता प्रगट हुई है, जिस की गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता देते हैं।
Romans 3:22 अर्थात परमेश्वर की वह धामिर्कता, जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करने वालों के लिये है; क्योंकि कुछ भेद नहीं।
Romans 3:23 इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं।
Romans 3:24 परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं।
Romans 3:25 उसे परमेश्वर ने उसके लोहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित्त ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है, कि जो पाप पहिले किए गए, और जिन की परमेश्वर ने अपनी सहनशीलता से आनाकानी की; उन के विषय में वह अपनी धामिर्कता प्रगट करे।
Romans 3:26 वरन इसी समय उस की धामिर्कता प्रगट हो; कि जिस से वह आप ही धर्मी ठहरे, और जो यीशु पर विश्वास करे, उसका भी धर्मी ठहराने वाला हो।
Romans 3:27 तो घमण्ड करना कहां रहा उस की तो जगह ही नहीं: कौन सी व्यवस्था के कारण से? क्या कर्मों की व्यवस्था से? नहीं, वरन विश्वास की व्यवस्था के कारण।
Romans 3:28 इसलिये हम इस परिणाम पर पहुंचते हैं, कि मनुष्य व्यवस्था के कामों के बिना विश्वास के द्वारा धर्मी ठहरता है।
एक साल में बाइबल:
- रोमियों 1-4